Knowledge News : आखिर कैसे बाबा-ओझाओं के दरबार से भाग जाते हैं भूत-प्रेत, जानिए इसके पीछे की साइकोलॉजी

क्या आप जानते हैं कि दरबारों या धार्मिक मान्यता के स्थानों में भूत-प्रेत कैसे भाग जाते हैं। अगर नहीं तो पढ़िए आज का ये आर्टिकल।;

Update: 2023-01-25 12:15 GMT

सिर्फ बागेश्वर धाम (bageshwar dham) दरबार में ही नहीं बल्क‍ि देश में बहुत से ऐसे मंदिर और दरगाहें हैं जहां पर भूत या प्रेतों से सताये हुए लोग आते हैं। ऐसी बहुत सी जगहों के बारे में आपने भी सुना होगा और कई ने तो देखा भी होगा। ऐसी जगहों पर आए हुए लोग अजीबोगरीब हरकत करते हुए दिखाई देते हैं। जैसे कुछ पीड़‍ित तो खुद को चोट पहुंचा रहे होते हैं, महिलाएं बाल खोलकर सिर पटकना, अजीब तरह की आवाजें निकालना, भूत-प्रेतों से बात करना ये सब आपको भारत के धार्मिक स्थानों या बाबा-ओझाओं और मौलवियों के यहां दिख जाएगा। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ऐसे धार्मिक दरबारों या धार्मिक मान्यता के स्थानों में भूत-प्रेत भगाने की मान्यता कैसे काम करती है। अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं।

भारत में कई ऐसी जगह हैं जहां के लोग भूत-प्रेत, जादू-टोना जैसी बाधाओं पर यकीन करते हैं। इसी वजह से कई धार्मिक दरबारों की मान्यता बढ़ी है, वहां कई इस तरह के दावे किए जाते हैं कि लोग यहां आकर ठीक हुए हैं।मनोविज्ञान में इसे बहुत से अध्ययनों के जरिए बताया गया है। अब हम आपको 2020 में हुई एक स्टडी के बारे में बताते हैं ये स्टडी फेथ हीलिंग पर की गई हैं। फेथ हीलिंग का मतलब होता है विश्वास की ताकत से किसी को मानसिक शारीरिक रूप से स्वस्थ करना। जैसे मनोचिकित्सा में दवाओं के साथ-साथ काउंसिलिंग भी काफी मददगार होती है। उसी तरह फेथ हीलिंग भी मानसिक रूप से परेशान हुए लोगों के लिए चिकित्सा के साथ-साथ मददगार साबित होती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हमारे देश में लोगों में मानसिक रोगों या फिर मानसिक विकारों (Mental Disorders) के प्रत‍ि जागरूकता की कमी है, इसलिए कई बार मेन्टल डिसऑर्डर या किसी अन्य दिमागी रोग (Mental Illness) से ग्रस्त मरीज के लक्षणों को भूत-प्रेत और बाधा की तरह देखा जाता है। खासकर गांव में रहने वाले लोगों में इस तरह की मान्यताएं ज्यादा होती हैं। ऐसी बहुत सी रिपोर्ट हैं जो बताती हैं कि लोगों में मास हिस्टीरिया के केस देखे जाते हैं।

मास हिस्टीरिया में लोग अजीब तरह की हरकतें जैसे बाल नोचना, हाथ-पैर पटकना, रोना-चिल्लाना, भागने की कोश‍िश करना, जैसे तमाम लक्षण दिखते हैं। ऐसे मामलों में साइकेट्रिस्ट (मनोचिकित्सक) को ही मरीज को दिखाना चाहिए। लेकिन लोग ऐसे में पीर-फकीर, ओझा, तांत्र‍िक से लेकर दैव स्थानों पर जाते हैं। वहां उन्हें आराम भी मिलता है। इसके साथ ही लोगों को ये विश्वास भी होता है कि ये सिद्ध जगहे हैं। जबकि ऐसे मामलों में साइकोलॉजिकल द्वारा काउंसलिंग भी मददगार साबित होती है।

कौन से लोग ऐसे स्थानों पर ज्यादा जाते हैं

एक स्टडी में पता चला कि सुपर नेचुरल शक्त‍ियों पर विश्वास करने वाले लोगों में ज्यादातर वो गावं के लोग थे जो बेरोजगार या जिनके घरों में समस्या थी। वहां पर इनका इलाज किसी ताबीज या किसी निश्चय या प्रण जैसे तरीकों से करते हैं।

डिल्यूजनल डिसऑर्डर (Delusional Disorder)

यह डिसऑर्डर एक तरह से मतिभ्रम है ज‍िसमें कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि उनकी किसी शक्ति से सीधे बात होती है। इसका एक प्रकार ये होता है जिसमें पीड़‍ित अंधविश्वास में आसानी से डूब जाता है। इसके बाद वो कई तरह के अनुष्ठानों से अंधविश्वास को बढ़ावा देता है। ऐसे लोगों को आसपास वाले लोग बाधा से ग्रस्त समझ लेते हैं।

Tags:    

Similar News