Knowledge News : आखिर क्यों DTH की छतरी को लगाया जाता है तिरछा, जानिए ये है खास वजह

DTH की छतरी तो लगभग सब के घर पर लगी होगी। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर इन छतरी को हमेशा तिरछा ही क्यों लगाया जाता है।;

Update: 2022-09-04 12:36 GMT

आपमें से ऐसे बहुत से लोग होंगे जो 90s के होंगे। वो लोग ये बात बहुत अच्छी तरह से जानते होंगे की उस समय में इंसान को टीवी (TV) देखने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती थी। कभी पिक्चर की क्वालिटी सही करने के लिए एंटीने को इधर-उधर घुमाना पड़ता था तो कई बार घंटो उसे पकड़ के रखना पड़ता था। आज के समय में चीजें जितनी आसान हो गई है पहले ऐसी नहीं हुआ करती थी। टीवी पर बस एक ही चैनल डीडी नेशनल आया करता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है क्योंकि अब आपको हर किसी के घर में DTH की छतरी (DTH Antenna) देखने को मिल जाएगी। जिसमें आप सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि दूसरे देशों के चैनल भी देख सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर DTH की छतरी को हमेशा तिरछा ही क्यों लगाया जाता है। क्या होगा अगर कभी इसे सीधा लगा दिया गया। अगर आप भी इस बारे में नहीं जानते तो चलिए आज हम आपको बताते हैं।

क्यों तिरछी होती है DTH छतरी

दरअसल ये तो हम जानते हैं कि DTH एंटीना सिग्नल्स को कैच करके उसे हमारे टीवी में पिक्चर में बदलता है। इसको तिरछा लगाने के पीछे का कारण है इसकी डिज़ाइन और फंक्शनिंग। छतरी के तिरछा होने के कारण से ही जब कोई किरण इसके कॉनकेव सरफेस से टकराती है तो ये रिफ्लेक्ट करके वापस नहीं जाती और हमें टीवी पर तस्वीर देखने को मिलती है। अगर छतरी को तिरछा नहीं लगाया जाएगा तो ऐसा नहीं होगा। इसलिए इसके डिजाइन की वजह से किरण फोकस पर केंद्रित होती है और ये फोकस सरफेस के मीडियम से थोड़ी दूरी पर होता है। जो फीड हॉर्न की मदद से सिग्नल डीटीएच बॉक्स तक पहुंचते हैं।

अगर छतरी को सीधा लगाया तो क्या होगा

अब आपके दिमाग में आया होगा कि अगर इस DTH की छतरी को सीधा लगा दिया तो क्या होगा। तो हम आपको बता दें कि अगर हम DTH छतरी को सीधा लगा देंगे तो आने वाली किरण इसके कॉनकेव सरफेस से टकराकर टिकने के बजाय रिफ्लेक्ट करके वापस चली जाएगी। इसके साथ ही किरण फोकस पर केंद्रित ही नहीं होती। बता दें कि एंटीना ऑफसेट होता है, यानि कि ये कानकेव सर्फेस से मिलता-जुलता है। जब इस सर्फेस पर सिग्‍नल टकराते हैं तो एंटीने में लगे फीड हॉर्न पर ये केंद्रित हो जाते हैं। उन सिग्‍नल्‍स को यही फीड हॉर्न रिसीव करता है और इसके बाद हमें टीवी पर क्लियर पिक्चर मिल पाती है।

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