Knowledge News : अब PFI से जुड़ना होगा बड़ा गुनाह, बैन के बाद संगठन नहीं कर पाएगा ये काम

आतंकी फंडिंग व अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल पाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने पीएफआई यानि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को बैन कर दिया है।;

Update: 2022-09-28 13:00 GMT

काफी लंबे समय से चर्चा में रहे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानि पीएफआई (PFI) को सरकार (Government) ने 5 साल के लिए बैन कर दिया है। आतंकी फंडिंग व अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल पाए जाने के बाद कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पीएफआई को सरकार ने बैन किया है। गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) की ओर से इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। बता दें कि हाल ही में NIA कि ओर से PFI के कई ठिकानों पर छापेमारी कर 250 से ज्यादा सदस्यों को हिरासत में लिया था। अब सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत पीएफआई को एक "गैरकानूनी संघ" घोषित किया है। आप में से बहुत से लोगों को यह नहीं पता होगा कि PFI क्या है। इससे लोग कैसे जुड़ते थे। क्या करते थे तो चलिए ऐसे में जानते हैं कि आखिर इस पर बैन लगने के बाद संगठन और इसके सदस्यों का क्या मुश्किल हो सकती है। इस बैन के बाद कौन-कौन से बदलाव होने वाले हैं।

क्या है PFI

पीएफआई (PFI) यानि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। यह संगठन दक्षिण भारत के 3 मुस्लिम संगठनों का विलय करके बनाया गया था। इनमें कर्नाटक का फोरम फॉर डिग्निटी, केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। PFI का दावा है कि इस समय देश के 23 राज्यों यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद PFI का विस्तार तेजी से हुआ था। बताया जाता है कि कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ है। वहां पर इसकी कई शाखाएं भी हैं। गठन के बाद से ही PFI पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहे हैं।

बैन के बाद क्या आएगा बदलाव

1. एक रिपोर्ट के अनुसार, अब देशभर में केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों और राज्य पुलिस को संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार करने, उनके खातों को फ्रीज करने और यहां तक ​​कि उनकी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार भी मिल गया है।

2. सेक्शन 10 के अनुसार, अगर कोई भी इंसान इस तरह के संगठन का सदस्य बना रहता है या फिर इस संगठन की बैठकों में हिस्सा लेता है। यहां तक कि अगर इस सगंठन का साथ देता है या उनसे कोई सहयोग लेता है। तो उसे 2 साल की जेल या जुर्मान लगाया जा सकता है। ये धारा उन लोगों पर भी लागू होगी, जो बैन संगठनों की किसी भी उद्देश्य से मदद करता है।

3. UAPA के तहत बैन लगने के बाद UAPA की धारा 10 के अनुसार प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता लेना अपराध की श्रेणी में आएगा। अगर कोई बैन लगे हुए इस संगठन का सदस्य बनता है तो उसे 2 साल की कैद की सजा हो सकती है और कुछ परिस्थितियों में आजीवन कारावास और यहां तक ​​कि मौत की सजा तक भी बढ़ाया जा सकता है।

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