Permafrost: दुनिया में एक ऐसा गड्ढा, जो आने वाले समय में बन सकता है धरती के लिए खतरा

Permafrost: धरती का आकार अलग-अलग जगह पर एक दूसरे से भिन्न है। पृथ्वी पर कई ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो खतरे से खाली नहीं है। ऐसे ही खतरे का संकेत लेकर आया है साइबेरिया में पर्माफ्रॉस्ट गड्ढा। जिसकी लंबाई इतनी है कि इसमें 145 फुटबॉल के मैदान समा सकते हैं। जानिए इस गड्ढे के बारे में।;

Update: 2023-07-29 13:43 GMT

Permafrost: जिस धरती पर हम रहते हैं उसकी बनावट, स्थिति हर जगह अलग-अलग है। किसी स्थान पर इसकी बनावट मैदानी रूप में, तो कहीं पर इसकी बनावट पहाड़ी व खाई के रूप में है। दुनिया में धरती को लेकर कई ऐसे रहस्य हैं जिसके बारें में जानकर आश्चर्य होता है। एक ऐसे ही रहस्य के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जो आने वाले समय में एक बड़े खतरे का स्वागत करेगा।

यह गड्ढा देखने में एक मछली की तरह लगता है। यह कोई आम गड्ढा नहीं है, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा पर्माफ्रॉस्ट गड्ढा है। जिसे लेकर साइंटिस्ट भी काफी चिंतित हैं। पर्माफ्रॉस्ट गड्ढा जिसका मतलब ऐसा गड्ढा या ऐसी जगह जहां की जमीन, मिट्टी लाखों- करोड़ों वर्षों से जीरो डिग्री तापमान में जमी हुई है।

जानें गड्ढे के बारे में

इस गड्ढे को 1940 में पहली बार देखा गया था, जिसने अब एक विशाल रूप ले लिया है। कभी इस गड्ढे का आकार छोटा हुआ करता था, लेकिन जिस गति से इस गड्ढे का आकार बढ़ता जा रहा है, वह सोचने योग्य है। इस विशाल गड्ढे को कई नामों से जाना जाता है, जैसे बाटागाइका, बाटागे और बागाटाइका। बीते दिनों साइबेरिया ने ड्रोन के माध्यम से इस गड्ढे की नई तस्वीरें ली, उस दौरान पता चला कि इस गड्ढे का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान समय में इस गड्ढे का आकार 0.8 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। 0.8 किलोमीटर का मतलब इसमें 145 फुटबॉल के मैदान समा सकते हैं। 

बीते कुछ सालों में बढ़ी गड्ढे की गहराई

साइंटिस्टों के अनुसार, इस गड्ढे में 1.26 लाख साल पुरानी मिट्टी मौजूद है। जिसका संबंध प्लीस्टोसीन के समय से माना जा रहा है। किस बदलाव के कारण गड्ढे का स्वरूप में परिवर्तन हो रहा है। इसका खास कारण का अभी पता नहीं चल सका है। गड्ढे के बदलते स्वरूप में वृद्धि हुई इस बात को लेकर रूस के वैज्ञानिक ने हामी भरी है।

रसियन एकेडमी ऑफ साइंसेस (Russian Academy of Sciences) के वैज्ञानिक एलेक्सी लुपाचेव के अनुसार, यह एक अजीब घटना है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि पृथ्वी के जलवायु में काफी बदलाव हुए, जो आने वाले समय में खतरे से खाली नहीं होगा। क्लाइमेट चेंज के कारण कई अरसों से बर्फ में जमी यह जगह अब कीचड़ और गड्ढे के रूप में बदलती जा रही है। शोधकर्ताओं ने 50,000 साल पुराने खतरनाक वायरस को पुनर्जीवित किया है, जो साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट में निष्क्रिय पड़ा हुआ था।

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इस गड्ढे में 80 प्रतिशत बर्फ

गड्ढे का आकार एक मछली की तरह दिखाई देता है। यह गड्ढा साइबेरिया के साखा रिपब्लिक जगह पर मौजूद है। जंगलों के कटने की वजह से इस जगह पर मिट्टी का कटाव शुरू हो गया। मिट्टी के कटाव की वजह से गड्ढे के नीचे मौजूद बर्फ पिघलने लगी और यह जगह एक बड़े गड्ढे के रूप में बदल गई, जिसके कारण इसके अंदर 80 प्रतिशत बर्फ है। जब-जब बर्फ पिघलती है तब-तब वहां पर मौजूद अन्य चीजें गड्ढे में बदल जाती है।

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