Satellite Phone: दिखने में बेसिक, कीमत लाख से भी अधिक, जानें सैटेलाइट फोन को कब-क्यों और किसने बनाया
Satellite Phone: बात करने के लिए हम सभी फोन का इस्तेमाल करते हैं। किसी भी प्रकार की सूचना को जानना हो या बताना हो हम सभी अधिकतर फोन का इस्तेमाल करते हैं। हम सभी ने कहीं न कहीं, कभी न कभी सैटेलाइट फोन तो जरूर देखे होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि सेटेलाइट फोन क्यों और किसने बनाया।;
Satellite Phone: सैटेलाइट फोन का यूज आम तौर पर आम आदनी नहीं करते, इसका उपयोग अधिकारी व सरकारी ऑफिसर जैसे लोग करते हैं। ये फोन उस जगह पर काम करते हैं जहां पर नेटवर्क की दिक्कत होती है, क्योंकि आम फोन नेटवर्क न होने पर काम करना बंद कर देते हैं।
सैटेलाइट फोन देखने में भले ही सामान्य दिखता है, लेकिन इसकी कीमत बहुत अधिक है। हम सभी ने कभी न कभी तो सैटेलाइट फोन के बारे में सुना ही होगा। यह फोन दिखने में एक बेसिक फोन की तरह होता है। फोन में सिग्नल के एंटीना और कुछ बटन के साथ छोटी सी स्क्रीन होती है, लेकिन अगर बात करें इनकी कीमत की तो ये काफी महंगे होते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि जब बात ही होती हो तो इतने महंगे क्यों।
पहला सैटेलाइट फोन
दुनिया का पहला सैटेलाइट फोन मोटोरोला के द्वारा सन् 1989 में लॉन्च किया गया था। उस वक्त मोटोरोला फर्म सैटेलाइट टेलीकम्युनिकेशन के मामले में सबसे आगे था। सैटेलाइट फोन का आविष्कार क्लासिक GSM mobile phone की लिमिट को खत्म करने के लिए किया। सैटेलाइट फोन को बनाने के पीछे की वजह दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों, पहाड़, जंगल, रेगिस्तान और समुद्र के बीच में फंसे होने पर (जहां नेटवर्क की दिक्कत हो) आप लोगों से बात कर पाएं या मदद मांग पाएं। सैटेलाइट फोन को भारत में बिना परमिशन के अपने पास रखना अपराधी की कैटेगरी में रखा जा सकता है।
क्या है सैटेलाइट फोन
सैटेलाइट फोन जैसे कि नाम से ही पता चल रहा है कि वह फोन जिसका कनेक्शन सैटेलाइट से होता है। जिसकी मदद से हम कॉल कर सकते हैं। वह कॉल सीधे सैटेलाइट से होती है। इसे किसी भी प्रकार के नॉर्मल टावर व जीएसएम नेटवर्क की जरूरत नहीं होती है। इसमें पहले आपके डाटा चाहे वह मैसेज हो या फिर वॉइस हो उसके पहले सैटेलाइट को भेजा जाता है उसके बाद वहां से वह सैटेलाइट के जरिए जमीन पर आता है।
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कैसे करता है काम
सामान्य फोन में डेटा को स्थानांतरित करने के लिए नेटवर्क की आवश्यकता होती है। अगर सरल शब्दों में कहें, तो फोन से डेटा को ट्रांसफर करने के लिए नेटवर्क की जरूरत होती है। दूर या पहाड़ी इलाकों में अक्सर नेटवर्क की दिक्कतें हो जाती हैं, क्योंकि वहां पर टावर या नेटवर्क नहीं होता है। जिसकी वजह से फोन मिलाने में दिक्कत होती है। वहीं, सैटेलाइट फोन के साथ ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती है। ये फोन हिमालय, महासागर, समुद्र के बीच में जाकर भी यूज करने में दिक्कत नहीं होती।
सैटेलाइट फोन को लेकर भारत में कानून
भारत में बिना परमिशन सैटेलाइट का उपयोग करना गैर कानूनी है। अगर कोई बाहर का व्यक्ति भारत में इसका उपयोग करता है, तो उसे भी भारत सरकार से परमिशन लेनी पड़ेगी।
सैटेलाइट फोन की कीमत
बेसिक से दिखने सैटेलाइट फोन की कीमत 3 हजार डॉलर होती है। मार्केट में अलग-अलग तरह की कंपनी के सैटेलाइट फोन मौजूद हैं। अगर बात करें भारतीय करेंसी की, तो इनकी कीमत लगभग ढाई लाख रुपये है।