आखिर क्या होता है FCRA License, जिसके Cancel होने से मुश्किल में राजीव गांधी फाउंडेशन, जानिए सब कुछ

मोदी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राजीव गांधी फाउंडेशन के FCRA लाइसेंस को रद्द कर दिया है। इसे कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बड़ी कार्यवाई माना जा रहा है।;

Update: 2022-10-23 07:46 GMT

मोदी सरकार ने राजीव गांधी फाउंडेशन (Rajiv Gandhi Foundation) के फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) लाइसेंस (Licence ) को रद्द (cancels) कर दिया है। राजीव गांधी फाउंडेशन एक गैर-सरकारी संस्था (NGO) है, जिसका कर्ता-धर्ता गांधी परिवार (Gandhi family) है। फॉरेन फंडिंग लॉ (Foreign Funding Law) का पालन ना करने का दोषी पाए जाने पर NGO पर यह कार्रवाई हुई है। मिली जानकरी के अनुसार लाइसेंस रद्द करने का निर्णय इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी (Inter Ministerial Committee) की जांच (Inquiry) की रिपोर्ट के आधार पर हुआ है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर ये FCRA क्या है और इसका लाइसेंस रद्द होने से फाउंडेशन पर क्या असर पड़ने वाला है। आज हम आपको आपको FCRA से जुड़ी हर बात बताने वाले हैं।

क्या है FCRA?

FCRA का पूरा नाम फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट है, जो 1976 में बनाया गया था। बाद में इस एक्ट में लगातार संशोधन होता रहा है। संसद द्वारा यह एक्ट किसी व्यक्ति, संस्था या कंपनियों को विदेशों से मिलने वाली फंडिंग के स्वीकार करने के तरीके, उनके उपयोग या उनसे जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए यह बनाया गया था। सीधे शब्दों में कहें तो भारत में जब भी कोई NGO या कोई व्यक्ति किसी काम के लिए विदेश से फंडिंग लेता है, तो उसे इस एक्ट में बनाए गए नियमों का पालन करना ही होता है। FCRA के माध्यम से विदेशों से मिलने वाली फंडिंग या दान को नियंत्रित किया जाता है, जिससे कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए किसी तरह का खतरा पैदा ना हो। यह एक्ट विदेशी फंडिंग लेने लेने वाले सभी संगठनों और गैर-सरकारी संस्थाओं पर लागू होता है। इस एक्ट से विदेश से आने वाले पैसे पर पैनी नजर रखी जाती है।

FCRA ना होने पर क्या होगा?

अगर किसी NGO या दूसरी तरह की संस्था को विदेश से धन मंगवाना है, तो इस एक्ट के तहत सरकार से लाइसेंस प्राप्त करना होता है। FCRA लाइसेंस मिलने के बाद भी विदेशों से फंडिंग लेने पर फंडिंग की पूरी जानकारी देनी होती है। यह रजिस्ट्रेशन पांच साल के लिए होता है। पांच साल के बाद इसे रिन्यू करवाना होता है। राजीव गांधी फाउंडेशन अब ये लाइसेंस ना होने पर विदेशी फंडिंग नहीं ले पाएगा और जो भी फंडिंग अभी तक मिली है उसका भी एक निश्चित प्रतिशत ही खर्च कर पाएगा।

फंडिंग के हैं कई नियम

FCRA लाइसेंस मिलने के बाद भी संस्थाओं को विदेशों से जितनी मर्जी पैसा मंगाने और मनचाहे ढंग से खर्च करने की आजादी नहीं होती। इसके लिए कुछ नियम तय किए गए हैं, जिनके दायरे में रहकर ही पैसे मंगाए जा सकते हैं और उन्हें खर्च किया जा सकता है। संस्थाएं किसी सामाजिक या सांस्कृतिक कामों के लिए विदेशों से फंड ले सकती हैं, लेकिन आयकर रिटर्न आदि में इसकी पूरी जानकारी देनी होती है। इसके साथ ही राजनीतिक दल, सरकारी अधिकारी, विधानमंडल के सदस्य, जज और मीडिया के लोगों को विदेश से चंदा लेने पर मनाही है। इसी तरह से चुनाव में खर्च करने के लिए भी किसी तरह की फंडिंग नहीं मंगाई जा सकती है।

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