47 प्रतिशत वैक्सीन को मान रहे सुरक्षित, 28 प्रतिशत लोग इस गलत जानकारी की वजह से नहीं लगवाना चाहते हैं कोरोना का टीका

ऐसे कई आश्चर्यजनक तथ्य पीजीआईएमएस कम्यूनिटी मेडीसन विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉ. शीबा सेठी के रिसर्च में सामने आए हैं। बीमारी को लेकर 400 में से 27 प्रतिशत लोग तो कोरोना को कुछ मानते ही नहीं।;

Update: 2021-04-05 07:13 GMT

कोविड वैक्सीनेशन (Covid Vaccination) और बीमारी को लेकर जमीनी स्तर पर की गई एक स्टडी (Study) में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 400 में से 190 यानी 47.5 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिनमें कुछ भ्रांतियां तो हैं, लेकिन वे टीका लगवाने के लिए भी तैयार हैं।

अचंभित करने वाली बात ये है कि शहर की स्लम बस्तियों में रहने वाले 7 प्रतिशत लोग ये मान रहे हैं कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए यह टीका लेकर आई है। 21 प्रतिशत लोग इसलिए वैक्सीन नहीं लगवा रहे क्योंकि उनका मानना है कि शराब पीने वाले टीका नहीं लगवा सकते। जबकि ऐसा है नहीं। ऐसे कई आश्चर्यजनक तथ्य पीजीआईएमएस कम्यूनिटी मेडीसन विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉ. शीबा सेठी के रिसर्च में सामने आए हैं। बीमारी को लेकर 400 में से 27 प्रतिशत लोग तो कोरोना को कुछ मानते ही नहीं। उनका कहना है कि सर्दी, खांसी बुखार की तरह ही कोरोना इंफेक्शन भी है, कोई डरने वाली बात नहीं। कुल मिलाकर 400 में से 210 लोग अफवाहों से इतने डरे हुए हैं कि वैक्सीन लगवाने के लिए राजी नहीं हो रहे।

12 सवाल पूछे गए

रिसर्च के दौरान 12 सवालों की लिस्ट तैयार की गई। चुने गए अर्बन स्लम एरिया में जाकर सभी से सवाल पूछे गए। सवाल पूछने वालों को तीन हिस्सों कम, ज्यादा और बहुत ज्यादा में बांटा गया। यानी प्रतिशत के हिसाब से पता लगाया गया कि कितने लोग किस सवाल पर क्या राय रखते हैं। अलग-अलग सवाल पर सभी के मन में अलग-अलग बातें थी। सामने आया कि लोग अब भी वैक्सीन से डर रहे हैं, कोविड को सामान्य बीमारी ही बता रहे हैं। अब भी लोगों को जागरूकता करने और उनके दिमाग में पैदा हुए भ्रम को तोड़ने की जरूरत है।

47% बोले वैक्सीन सुरक्षित नहीं

रिसर्च में सामने आया है कि 47 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि वैक्सीन के कई तरह के साइड इफेक्ट हैं। इससे बड़ा खतरा हो सकता है। 32 प्रतिशत का यह भी मानना है कि वैक्सीन ज्यादा प्रभावशाली नहीं है, इसलिए लगवाकर क्या करेंगे।

रिसर्च को बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन का अवार्ड मिला

पीजीआईएमएस की कम्यूनिटी मेडीसीन विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉ. शीबा सेठी की स्टडी को महाराष्ट्र में बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन का अवार्ड मिला है। डॉ. शीबा सेठी ने बताया कि इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आईपीएचए), इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडीसन (आईएपीएसएम) की कांफ्रेंस 3-4 अप्रैल को हुई थी। इस वर्चुअल कांफ्रेंस में डॉ. शीबा सेठी ने अपनी प्रेजेंटेशन दी। जिसे प्रथम स्थान मिला। डॉ. शीबा सेठी ने बताया कि यह स्टडी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरबी जैन की देखरेख में की गई। 

बीमारी को लेकर कितने प्रतिशत क्या मानते हैं

27% : सर्दी, खासी जुकाम की तरह ही कोरोना इंफेक्शन है। 

22% : जो लोग खाने में विटीमिन-सी लेते हैं, वे वायरस से बचे रहेंगे। 

29% : गर्म पानी ज्यादा मात्रा में पीने से इंफेक्शन से बचा जा सकता है। 

31% : एलकोहल या हाइपोक्लोराइट शरीर पर छिड़कने से वायरस मर जाएगा । 

वैक्सीनेशन को लेकर कितने प्रतिशत क्या मानते हैं

17% : वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोनो जैसे लक्षण आएंगे। 

21% : शराब पीने वाले वैक्सीन नहीं लगवा सकते। 

7% : जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार की रणनीति। 

24% : वैक्सीन के कारण देश में बहुत लोगों की मौत हुई। 

47% : वैक्सीन के कई साइड इफेक्ट हैं।

32% : वैक्सीन ज्यादा प्रभावशाली नहीं है। 

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