नेशनल हाईवे 152-डी का 90% निर्माण पूरा, चंडीगढ़-हरियाणा का राजस्थान से होगा सीधा जुड़ाव
अम्बाला-कोटपुतली कॉरिडोर तीन राज्यों में उद्योग के सामान व यात्री यातायात के लिए सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। प्रमुख शहरों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से सरकार की ओर से ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे की योजना बनाई गई है। एक्सप्रेस-वे चंडीगढ़, अम्बाला व जयपुर के बीच की दूरी व यात्रा के समय को भी कम करेगा, क्योंकि यह दिल्ली को छोड़कर एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा।;
हरिभूमि न्यूज : कनीना (नारनौल)
नए एक्सप्रेस-वे 152-डी को ग्रीन फील्ड कॉरिडोर का नाम भी दिया गया है। इसकी कुल लम्बाई 227 किलोमीटर है। यह दक्षिण हरियाणा को सीधे उत्तर हरियाणा से जोड़ेगा। प्रदेश के आठ जिलों से होकर गुजरने वाले इस ग्रीन फील्ड कॉरिडोर का सफर भी अत्यधिक आरामदायक रहेगा। नेशनल हाईवे का 90 प्रतिशत निर्माण पूरा हो चुका है। इस हाईवे के शुरू होने के बाद नारनौल से चंडीगढ़ तक का सफर सात की बजाय पांच घंटे में पूरा होगा। इसके लिए सिर्फ चार महीने का ओर इंतजार करना होगा। केंद्र सरकार के भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बनने वाला एक्सप्रेस-वे अगस्त तक बनकर तैयार हो जाएगा।
इस ग्रीन कॉरिडोर की घोषणा 2018 में की गई थी। इसके लिए 1826 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया। जिस पर 529 करोड़ रुपये की लागत आई। 14 जुलाई 2020 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसका शिलान्यास किया था। कॉरिडोर का निर्माण 2021 के अंत तक होना था, लेकिन भिवानी जिले के गांव खातीवास क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण को लेकर बने विवाद व कोरोना के कारण इसमें देरी हुई। जिसके चलते बाद में इसको पूरा करने की डेडलाइन फरवरी 2022 रखी गई, लेकिन नवंबर व दिसंबर में एनजीटी की बंदिशों व कुछ अन्य विवादों के चलते यह माना जा रहा है कि यह कॉरिडोर जून-जुलाई में कार्य पूरा होने व अगस्त में शुरू होने की पूरी उम्मीद है।
अम्बाला-कोटपुतली कॉरिडोर तीन राज्यों में उद्योग के सामान व यात्री यातायात के लिए सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। प्रमुख शहरों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से सरकार की ओर से ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे की योजना बनाई गई है। एक्सप्रेस-वे चंडीगढ़, अम्बाला व जयपुर के बीच की दूरी व यात्रा के समय को भी कम करेगा, क्योंकि यह दिल्ली को छोड़कर एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा। भिवानी व कलानौर क्षेत्र के लोग इस कॉरिडोर को महम अथवा खैरड़ी मोड़ से पकड़ सकते हैं। एनएचएआई के अधिकारियों व निर्माण कर रही कम्पनी के तकनीकी अधिकारी संजय कुमार के अनुसार इस एक्सप्रेस-वे पर गतिसीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा रखी जाएगी। खैरड़ी मोड़ से इस्माइलाबाद तक का सफर महज सवा घंटे में पूरा हो जाएगा।
दोनों तरफ होगी हरियाली
नेशनल हाईवे 152-डी न केवल बेहतरीन सफर की अनुभूति कराएगा बल्कि हाईवे के दोनों तरफ बिखरी हरियाली आपके सफर को आसानदायक बना देगी। बागड़ की धरती समझे जाने वाले महेंद्रगढ़ में भी बदलाव की बयार आएगी। ग्रीन फील्ड कॉरिडोर नारनौल को अम्बाला के अलावा इंटर चेंज दिल्ली- कटड़ा एक्सप्रेस वे व दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस वे से भी जुड़ेगा। ऐसे में क्षेत्र में आने वाले दिनों में रोजगार परक गतिविधियां भी तेज होगी और लोगों के जीवन स्तर में भी काफी फर्क पड़ेगा। कुरुक्षेत्र के इस्माइलाबाद कस्बे से जैसे ही नेशनल हाईवे नंबर 152 पर कुछ दूर चलेंगे तो मार्ग से हिसार जाने की बजाय नारनौल की तरफमुड़ेगा जोकि 152-डी कहलाएगा।
टोल प्लाजा से ही होगी एंट्री व एग्जिट
इस एक्सप्रेस-वे पर सफर करने के लिए टोल प्लाजा से ही एंट्री-एग्जिट करनी पड़ेगी। इस एक्सप्रेस-वे का मेन एंट्री टोल नारनौल में बनाया गया है। 227 किलोमीटर लंबे इस हाइवे क दोनों तरफ तीन ड्राइविंग लेन बनाई गई हैं। अधिकांश जगह पर कॉरिडोर का कार्य पूरा हो चुका है। केवल तीन-चार ओवरब्रिज का कार्य जारी है। जिन्हें पूरा करने के लिए तेजी से कार्य चल रहा है। हाल ही में खातीवास में किसानों के विरोध के बावजूद भूमि अधिग्रहण का कार्य भी पूरा कर लिया है और वहां भी काम पूरी गति पर है।
मुम्बई एक्सप्रेस-वे को भी जोड़ेगा
अम्बाला से इस्माइलाबाद तक नेशनल हाईवे 152 का 39 किलोमीटर का खंड कोटपुतली तक पहुंचेगा। यह एक आर्थिक गलियारा बनेगा। जिसमें चार सड़क परियोजनाएं शामिल हैं। ट्रांस-हरियाणा एक्सप्रेस वे 152-डी, नारनौल बाइपास का 14 किलोमीटर लंबा हिस्सा कोटपुतली के पास नारनौल से पनियाला मोड़ (एनएच-48) तक, एनएच 148-बी का 30 किलोमीटर का हिस्सा दिल्ली-बड़ोदरा मुंबई एक्सप्रेस-वे, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 148-बी से जुड़ा होगा, जो अम्बाला-कोटपुतली कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा।
सौर ऊर्जा से जलेगी लाइटें
एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार इस मार्ग की खास बात यह होगी कि इस पर सौर ऊर्जा के पॉवर प्लांट लगाए गए हैं। रात को इस हाईवे का नजारा देखते ही बनेगा। विश्व स्तर की सभी सुविधाओं का ध्यान रखकर इस मार्ग का निर्माण किया जा रहा है। अम्बाला-कोटपुतली कॉरिडोर में पर्यावरण के अनुकूल विशेषताएं होगी। जिनमें प्रत्येक 500 मीटर पर जल संचयन स्थल शामिल हैं। कॉरिडोर के दोनों ओर करीब डेढ़ लाख पेड़ लगाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त मार्ग विश्व स्तरीय यात्री सुविधाओं से सुसज्जित होगा, जिसमें फूड कोर्ट व इंधन भरने की सुविधाएं शामिल हैं।
रोजगार के अवसर पैदा होंगे
इस एक्स्प्रेस-वे के निर्माण से नारनौल, महेंद्रगढ़, कनीना, चरखी दादरी, कलानौर, भिवानी, महम, रोहतक, सफीदों, जींद व कैथल तथा कुरूक्षेत्र के लोगों को सीधा फायदा पहुंचेगा। इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।