आदित्य मलिक ने South Africa की किलिमंजारो चोटी पर लहराया तिरंगा
14 साल की उम्र में हरियाणा से किसी भी बच्चे ने अब तक किलिमंजारों पर्वत की चोटी पर तिरंगा नहीं लहराया है। इस उपलब्धि को सोनीपत जिले के गांव रिवाड़ा के रहने वाले आदित्य मलिक ने अपने नाम किया है।;
हरिभूमि न्यूज : रोहतक
सोनीपत जिले के गांव रिवाड़ा के रहने वाले आदित्य मलिक (Aditya Malik) ने दक्षिण अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत(Kilimanjaro Mountains) की चोटी को फतह किया है। शहर के किशनपुरा में रह रहे उनके दादा सत्यवीर मलिक ने बताया कि 14 साल की उम्र में हरियाणा(Haryana) से किसी भी बच्चे ने किलिमंजारों पर्वत की चोटी पर देश की शान तिरंगा नहीं लहराया है। आदित्य के पिता सत्येंद्र मलिक एक निजी एयरलाइंस में बतौर सीनियर पायलट कार्यरत है। सत्यवीर मलिक ने बताया कि आदित्य के पिता भी एक जाने-माने पर्वतारोही है।
11 मार्च को पहुंचे मंजिल पर
सत्येंद्र मलिक ने बताया कि आदित्य इस समय दसवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है। इन्होंने नौंवी कक्षा की परीक्षा देने के तुरंत बाद गत 5 से 11 मार्च तक तंजानिया में अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी फतह की। आदित्य इस समय वायुसेना स्कूल सुब्रतो पार्क दिल्ली में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। पिता बताते हैं कि चट्टान पर चढ़ने के लिए चट्टान जैसे ही मजबूत इरादे होने चाहिए। आदित्य के मजबूत इरादे थे। इसलिए उन्होंने यह साहसिक कार्य कर दिखाया है। सत्येंद्र मलिक भी खुद एक जाने-माने पर्वतारोही हैं। ये भारतीय वायुसेना में बतौर विंग कमांडर भी तैनात रहे। इस दौरान इन्होंने एडवेंचर निदेशक की जिम्मेदारी का भी निवर्हन किया। सत्येंद्र मलिक बताते हैं कि आदित्य ने उनकी देखरेख में ही किलिमंजारो पर्वत की चोटी को फतह किया है।
छह दिन में तय किया सफर
सत्येंद्र मलिक ने बताया कि पर्वत पर चढ़ाई के लिए लेमोशो मार्ग पर सफर शुरू किया। इस रास्ते से किलिमंजारो पर्वत पर पहुंचने में आमतौर पर 8 दिन लगते हैं। लेकिन हमने यह सफर 6 दिन में ही पूरा किया। पहले दिन 6 मार्च को लोंडोरसी गेट से शिरा 1 तक लगभग 14 किमी लम्बा ट्रेक पार किया। दूसरा दिन शिरा 1 से लावा टॉवर के लिए और फिर बैरांको कैंप पहुंचे। यह दूरी 21 किलोमीटर की थी।
पर्वतारोही सत्येंद्र मलिक ने बताया कि तीसरे दिन बैरांको कैंप से करंगा कैंप गए। चूंकि आदित्य एक रॉक क्लाइंबर होने की वजह से ग्रेट बैरांको वॉल पर आसानी से चढ़ गया। इसकी सीधी चढ़ाई लगभग 900 फीट की थी। मलिक ने कहा कि चौथे दिन करंगा कैंप फीट से लेकर बाराफू कैंप तक और आधी रात को शिखर की चढ़ाई शुरू करनी थी। पांचवें दिन 10 मार्च- बाराफु कैंप से उहुरू पीक (19,341 फीट) यह 9 घंटे की चढ़ाई थी और 30 मिनट तक शिखर पर रुकने के बाद, तीन घंटे में बाराफु तक उतरे और दोपहर का भोजन करने के बाद, फिर से मवेका कैंप 12 कि मी की दूरी की यात्रा की। यह एक लंबा दिन था, जिसमें 18 घंटे की चढ़ाई और उतराई थी।
छठा दिन 11 मार्च - मवेका कैंप से मवेका गेट 10 किलोमीटर था, लेकिन वास्तव में यह कठिन उतराई थी। वे दोपहर को 1 बजे नीचे पहुंचे और फिर 3 बजे एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए।