किसानों की घर वापसी के बाद बेजुबानों पर संकट, भूख से व्याकुल इधर-उधर भटक रहे
साल भर बॉर्डर से जाखोदा बाईपास तक किसान रहे। उन्होंने खूब लंगर चलाए। उन लंगरों से न केवल जरूरत मंद लोगों बल्कि बेजुबां जानवरों को भी भरपेट खाना मिलता रहा।;
हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
सालभर तक चले आंदोलन से न केवल प्रवासी मजदूरों बल्कि बेजुबां पशुओं को भी भरपेट भोजन मिल पा रहा था। अब किसानों के जाने के बाद बेजुबानों पर भूख का संकट मंडरा रहा है। इसे देखते हुए भूख से व्याकुल इधर-उधर भटक रहे बेजुबानों को गार्डियन ऑफ एंजेल्स ट्रस्ट ने भोजन की व्यवस्था कराई। साथ ही आमजन से जीव सेवा की अपील की है।
ट्रस्ट के संचालक हरिकिशन मंगले ने बताया कि टीकरी बॉर्डर से लेकर बाईपास तक काफी क्षेत्र ऐसा है, जहां आबादी नहीं है। इस क्षेत्र में कुत्ते आदि पशुओं की तादाद काफी ज्यादा है। पहले होटल/ढाबों की वजह से इन पशुओं को भोजन मिल जाता था, लेकिन जब आंदोलन शुरू हुआ तो ढाबे बंद हो गए। इसके बाद लगभग साल भर तक बॉर्डर से जाखोदा बाईपास तक किसान रहे। उन्होंने खूब लंगर चलाए। उन लंगरों से न केवल जरूरत मंद लोगों बल्कि बेजुबां जानवरों को भी भरपेट खाना मिलता रहा। किसान भाई इन जीवों की सेवा कर रहे थे।
अब 11 दिसंबर को आंदोलन पूरा होने के बाद किसान अपने घर लौट गए हैं। किसानों के जाने के बाद ये पशु अनाथ से हो गए हैं। क्योंकि अभी होटल/ढाबे चालू नहीं हुए हैं। शायद चालू होने में समय लग जाए। ऐसे हालातों में ये पशु भूख से मर जाएंगे। उन्हें यह महसूस हुआ तो आफिस से छुट्टी लेकर लगभग 150 कुत्तों को भोजन का प्रबंध कराया। टीकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोगों का ये दायित्व बनता है कि वे वहां के पशुओं के लिए भोजन की व्यवस्था करें। ठंड के मौसम में यदि पशुओं को भरपेट खाना नहीं मिलता है तो वे मर जाएंगे।