एम्स को लेकर फिर बाधा, ग्रामीणों की दो टूक, 50 लाख से कम नहीं देंगे एक एकड़ जमीन

सरकार के आदेश पर डीसी यशेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में जिला सचिवालय में माजरा गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक हुई। डीसी यशेन्द्र सिंह ने बैठक में कहा कि जिला प्रशासन व सरकार का प्रयास है कि एम्स का निर्माण जल्द से जल्द हो इसके लिए सरकार प्रयासरत है। इसलिए बार-बार ग्रामीणों के साथ बैठक की जा रही है ताकि इस प्रोजेक्ट को जल्द अमली जामा पहनाया जा सकें।;

Update: 2020-10-28 07:51 GMT

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी

जिले में प्रस्तावित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को लेकर अड़चने दूर होने का नाम ही नहीं ले रही। मनेठी में प्रस्तावित एम्स (AIIMS) को लेकर जमीन कम पड़ने पर माजरा के ग्रामीण आगे आए थे, लेकिन अब मुआवजे को लेकर पेंच फंस सकता है।  सरकार (Government) के आदेश पर डीसी यशेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में जिला सचिवालय में माजरा गांव के ग्रामीणों (villagers) के साथ बैठक हुई। डीसी यशेन्द्र सिंह ने बैठक में कहा कि जिला प्रशासन व सरकार का प्रयास है कि एम्स का निर्माण जल्द से जल्द हो इसके लिए सरकार प्रयासरत है। इसलिए बार-बार ग्रामीणों के साथ बैठक की जा रही है ताकि इस प्रोजेक्ट को जल्द अमली जामा पहनाया जा सकें।

माजरा गांव के लोगों ने डीसी को बैठक में अवगत कराया कि वे अपनी जमीन पचास लाख रुपये प्रति एकड़ से नीचे नहीं देंगे। इस पर डीसी ने कहा कि एक बार पुन: इस पर विचार कर लें ताकि यह प्रोजेक्ट बन जाएं, लेकिन ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया कि वे पचास लाख रूपए से नीचे जमीन नहीं देगें।

केन्द्र की टीम कर चुकी दौरा

यहां यह भी बतां दे कि एक अक्टूबर को केन्द्रीय टीम में शामिल भारत सरकार में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के संयुक्त सचिव सुनील शर्मा के नेतृत्व में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट एम्स नई दिल्ली डीके शर्मा, निदेशक पीएमएसएस नरेन्द्र कुमार ओज, सीनियर आर्किटेक्ट सीडीबी राजीव कनौजिया, एम्स राय बरेली एसई जीपी श्रीवास्तव ने एम्स निर्माण के लिए भालखी माजरा गांव की जमीन का अवलोकन किया था। उसके बाद केन्द्रीय टीम ने जो भी जिला प्रशासन से जानकारी मांगी थी, वह जानकारी उपलब्ध करवा दी गई है।

पांच साल से अटका है प्रोजेक्ट

रेवाड़ी जिले के गांव मनेठी में पांच साल पहले एम्स की घोषणा हुई थी। दो साल तक तो सरकारी स्तर पर मामला अटका रहा, लेकिन उसके बाद इसमें कानूनी अड़चने आनी शुरू हो गई। मनेठी पंचायत द्वारा दी गई जमीन पर पौने दो साल पहले वन सलाहकार समिति ने आपत्ति लगा दी थी। बाद में सरकार ने ग्रामीणों से जमीन मांगी थी। लेकिन पोर्टल पर एक ही स्थान पर एक साथ ढाई सौ एकड़ जमीन नहीं मिल पाई। बाद में भालखी-माजरा गांव की जमीन का चयन किया गया। जमीन का निरीक्षण केन्द्रीय टीम कर चुकी है। अब मुआवजे को लेकर बातचीत चल रही है। ताकि जल्द से जल्द एम्स का निर्माण कार्य शुरू हो सके, लेकिन यह मामला भी जल्द सुलझता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। मंगलवार को हुई बैठक में एसडीएम रेवाड़ी रविन्द्र यादव, एसडीएम कोसली एवं डीडीपीओ कुशल कटारिया के अतिरिक्त माजरा गांव के यशु प्रधान, देशराज सरपंच, जितेन्द्र यादव, रोहताश पंच, मंजीत ठेकेदार, राजबीर, विकास, ताराचंद सहित अन्य ग्रामीण भी उपस्थित रहे।

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