कृषि विभाग ने दी किसानों को सलाह : ग्रास हॉपर को टिड्डी समझ कर भ्रमित न हों किसान
यह टिड्डी दल ना होकर उसी प्रजाति का दूसरा कीट है। टीडी दल एक दिन में कई मीलों का सफर तय कर लेते हैं परंतु यह ज्यादा सफर तय नहीं कर सकता। जिस खेत में है लगभग उसी खेत में रहता है। इसको बड़ी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।;
हरिभूमि न्यूज : नारनौल
जिला के खंड नांगल चौधरी व नारनौल के कुछ गांवों में बाजरा की फसल पर ग्रास हॉपर कीट का आक्रमण देखने को मिल रहा है। यह एक पत्ती खाने वाला कीट है जो ज्वार, बाजरा की फसल की नरम पतियों को खाकर, फसल को नुकसान पहुंचाता है। किसान इसे टिड्डी दल ना समझें।
यह जानकारी देते हुए उप कृषि निदेशक डा. बलवंत सिंह ने बताया की पहाड़ियों के साथ लगते कुछ गांवों में इसका आक्रमण देखने को मिल रहा है। लगभग एक हजार एकड़ क्षेत्र में इस कीट का आक्रमण देखने को मिल रहा है। कुछ किसान इसे टिड्डी दल समझ कर परेशान हो रहे हैं। यह टिड्डी दल ना होकर उसी प्रजाति का दूसरा कीट है। टीडी दल एक दिन में कई मीलों का सफर तय कर लेते हैं परंतु यह ज्यादा सफर तय नहीं कर सकता। जिस खेत में है लगभग उसी खेत में रहता है। इसको बड़ी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि किसान इसके नियंत्रण के लिए सामूहिक रूप से साइपरमैथरीन 25 प्रतिशत की 100 मिलीलीटर मात्रा या लम्बडा साइहलथरिन 5 प्रतिशत की 80 से 100 मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें तो इसका नियंत्रण बखूबी से हो जाएगा। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी गांवों में जाकर इस संदर्भ में किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं। किसानों को सलाह है कि छिड़काव के बाद 15 दिन तक उस खेत की घास या चारा मवेशियों को ना खिलाएं। किसान छिड़काव करते वक्त यह भी ध्यान रखें की दवाई उनके शरीर पर ना गिरे। इसके प्रजन्न को आगे बढ़ने से रोकने के लिए खेतों की मेढ को साफ सुथरा रखे।