सरसों उत्पादन के लिए तैयार किए क्षेत्रों का कृषि अधिकारियों ने किया दौरा
जिले में तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की कवायद में जुटे कृषि विभाग द्वारा माइक्रो लेवल पर सरसों उत्पादन के लिए विकसित किए गए क्षेत्रों के निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।;
सोनीपत। जिले में तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की कवायद में जुटे कृषि विभाग द्वारा माइक्रो लेवल पर सरसों उत्पादन के लिए विकसित किए गए क्षेत्रों के निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिसके अंतर्गत कृषि मंत्रालय के संयुक्त निदेशक डा. विक्रांत सिंह ने मुरथल, मुकीमपुर व दिपालपुर गांव में पहुंचकर सरसों के खेतों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने किसानों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए। इस दौरान उनके साथ स्थानीय कृषि अधिकारी भी मौजूद रहे।
बता दें कि कृषि विभाग की तरफ से तिलहन का रकबा बढ़ाने के लिए रबी सीजन के तहत किसानों को सरसों के बीज की मिनी किट फ्री में वितरित की गई थी। यही नही सरसों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए स्पेशल उपयुक्त क्षेत्र भी विकसित किए गए है, जिसके अंतर्गत एक दायरे में अधिक से अधिक एकड़ में सरसों की बिजाई करवाई गई है। ऐसे में विकसित किए गए इन क्षेत्रों का अब आला अधिकारी निरीक्षण कर रहे है, ताकि सरसों उत्पादन में किसी प्रकार की परेशानी किसानों को न झेलनी पड़े। दौरे के दौरान सोनीपत उपमंडल कृषि अधिकारी डा. संदीप वर्मा, डा. अरविंद कुमार, डा. नवीन लठवाल, डा. निरंजन सिंह, विशाल व आशीष मौजूद थे।
दिल के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है पीली सरसों-
कृषि विभाग पीली सरसों का उत्पादन बढ़ाने की कवायद में जुटा हुआ है। वीरवार को कृषि मंत्रालय के संयुक्त निदेशक डॉ विक्रांत ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत विभाग द्वारा किसानों को पीली सरसों का बीज वितरित किया गया है। उन्होंने बताया कि पीली सरसों के सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। पीली सरसों का तेल दिल के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। इस किस्म में एसिड की मात्रा 2 फीसदी ओर ग्लूकोसिनोर्ट्स की मात्रा 30 पीपीएम पाई जाती है। इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है।
रबी सीजन में किसानों को पीली सरसों को उगाने के लिए फ्री में एकड़ के हिसाब से पैकेट वितरित किए गए थे। विभाग की तरफ से क्षेत्र में तिलहन की फसलों को बढ़ावा देने के लिए विशेष रोड मैप तैयार किया गया है। जिसके अंतर्गत इस बार पीली सरसों के उत्पादन के लिए विशेष क्षेत्र विकसित किए गए है। उक्त विकसित किए गए उक्त क्षेत्रों का निरीक्षण किया गया है तथा किसानों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए है। ताकि किसान फसल में मुनाफा कमा सके।