सामान्य नहीं मंत्री ओपी यादव के आरोप, खतरे में रेवाड़ी नगर परिषद चेयरमैन की कुर्सी !

मंत्री के बयान पर चेयरमैन का पलटवार और विपक्षी विधायक के सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बचाने के आरोप भी मामले को तूल देने के लिए काफी हैं।;

Update: 2022-09-11 09:32 GMT

नरेन्द्र वत्स  : रेवाड़ी

प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव की ओर से 8 सितंबर को ग्रीवेंस कमेटी की मीटिंग के बाद जिस तरह से डीडी पावर खत्म करने के मामले में नगर परिषद के ईओ और चेयरमैन को भ्रष्टाचार के मामले में कटघरे में खड़ा करने का काम किया है, उससे इस बात की चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं कि नगर परिषद चेयरमैन की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। मंत्री के बयान पर चेयरमैन का पलटवार और विपक्षी विधायक के सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बचाने के आरोप भी मामले को तूल देने के लिए काफी हैं। इससे आने वाले दिनों में नगर परिषद की राजनीति के 'प्याले में तूफान' की संभावनाएं स्पष्ट तौर पर नजर आने लगी हैं।

मंत्री ओमप्रकाश यादव ने ठोक बजाकर यह बात कही थी कि यह सभी जानते हैं कि रेवाड़ी नगर परिषद ईओ चेक काटने के नाम पर कितना खाते हैं और चेयरमैन कितना। उन्होंने यह भी दावा किया था कि सरकार के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं। मंत्री के इस बयान के तुरंत बाद चेयरमैन पूनम यादव खुलकर मैदान में आ गई थीं। उन्होंने मंत्री पर ही भाजपा सरकार की छवि खराब करने के आरोप लगाते हुए चेलेंज किया था कि अगर उन पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित होते हैं, तो वह पद से तुरंत इस्तीफा दे देंगी। कांग्रेसी विधायक चिरंजीव राव ने एक बयान में कहा कि वह 8 साल से लगातार यह बात कहते आ रहे हैं कि नगर परिषद में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। उनकी बात सुनने को कोई तैयार नहीं हुआ, परंतु अब सरकार के मंत्री ने इस बात पर मोहर लगाने का काम कर दिया है।

मंत्री के वार और चेयरमैन के पलटवार के बाद दोनों ओर से किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं होने से भले ही मामला शांत नजर आ रहा हो, परंतु हकीकत यह है कि पर्दे के पीछे आगे की पटकथा तैयार हो रही है। यह सभी जानते हैं कि पूनम यादव के सिर पर चेयरमैनी का ताज रखने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ही हैं। मंत्री ओपी यादव भी राव के खास समर्थकों में शुमार हैं। उनकी छवि साफ-सुथरी और इमानदार मानी जाती है। ऐसे में उनका चेयरमैन की इमानदारी पर सवाल उठाना इस बात का प्रमाण माना जा रहा है कि बिना राव की अनुमति के वह इस तरह का बयान नहीं दे सकते। अगर वास्तव में मंत्री के इस बयान के पीछे केंद्रीय मंत्री की मूक सहमति रही होगी, तो आने वाले समय में पूनम के लिए पद बचाना आसान नहीं होगा।

पार्षदों में पनपता रहा असंतोष

नगर परिषद में राव इंद्रजीत सिंह समर्थित पार्षदों का बहुमत है। बड़ी संख्या में पार्षद कुछ माह पूर्व ही राव के समक्ष नगर परिषद के भ्रष्टाचार का मामला जोर-शोर से उठा चुके हैं। यह मामला इस कदर उछला था कि राव इंद्रजीत सिंह को दिल्ली से यहां आकर असंतुष्ट पार्षदों को मनाने के लिए चेयरमैन से लेकर अधिकारियों तक से एक-एक करके बंद कमरे में बातचीत की थी। इसके बाद असंतुष्ट नजर आने वाले पार्षद शांत हो गए थे। जानकार सूत्रों के अनुसार कुछ पार्षदों में अभी भी असंतोष बना हुआ है, परंतु वह राव के समक्ष खुलकर दर्द बयां करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे।

राव ने आईजीयू में की दोनों से बात

शुक्रवार को मीरपुर यूनिवर्सिटी के स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने आए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने पहले मंत्री और बाद में चेयरमैन के बयान को लेकर दोनों के साथ अकेले में बात की। चेयरमैन पूनम यादव के अनुसार मंत्री ने अपने बयान पर सफाई देते हुए का कहा कि वह उन चेयरमैन की बात कर रहे थे, जिनके खिलाफ मामले उजागर हो चुके हैं। रेवाड़ी का जिक्र उनसे भूलवश हो गया था। राव ने दोनों को इस मामले में आगे बयानबाजी नहीं करने की नसीहत दी। इसके बाद मंत्री और चेयरमैन दोनों ने मंत्री की गाड़ी में चंद दूरी तय करते हुए यह संदेश देने का प्रयास किया कि दोनों के बीच किसी तरह के मतभेद नहीं हैं।

खसरा नंबर 161 पर भी चर्चा

नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामलों के बाद खसरा नंबर-1 की बेशकीमती जमीन को लेकर भी शहर में चर्चा का बाजार गर्म होने लगा है। रिकार्ड के अनुसार यह जमीन नगर परिषद की है, परंतु इस पर कब्जा एक प्रभावशाली व्यक्ति का बताया जा रहा है। इस जमीन को लेकर पूर्व में कई बार जांच तो हुई, लेकिन जमीन को खाली कराने की हिम्मत नगर परिषद के अधिकारी नहीं जुटा पाए। यह जमीन गर्ल्स सीनियर सैकेंडरी स्कूल के आसपास बताई जा रही है, जिसकी कीमत करोड़ों रुपए है।

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