सोमवार से सीएम सिटी करनाल में महापड़ाव शुरू करेंगी आंगनवाड़ी वर्कर्स
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व सकसं से संबंधित अनेक विभागीय यूनियनों ने महापड़ाव के समर्थन का ऐलान किया है और मुख्यमंत्री से आंदोलनरत आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स की मांगों को स्वीकार कर हड़ताल को समाप्त करवाने की मांग की है।;
चंडीगढ़। चार साल बीत जाने के बावजूद प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की घोषणा को लागू करने की बजाय हड़ताली नेताओं को बर्खास्त करने से खफा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सोमवार से सीएम सिटी करनाल में महापड़ाव शुरू करेंगी। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व सकसं से संबंधित अनेक विभागीय यूनियनों ने महापड़ाव के समर्थन का ऐलान किया है और मुख्यमंत्री से आंदोलनरत आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स की मांगों को स्वीकार कर हड़ताल को समाप्त करवाने की मांग की है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की घोषणाओं को लागू कर हड़ताल को समाप्त करने की बजाय हड़ताली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बर्खास्त करने व उनके खिलाफ झुठे मुकदमे दर्ज कराने की निन्दा की है। संघ ने हड़ताल को विफल बनाने के लिए आईसीडीएस सुपरवाइजर के ऊपर बनाए जा रहे अनावश्यक दबाव बनाने पर भी कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बौखलाहट में उठाएं गए इस कदम ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।
उन्होंने बताया कि आंगनवाडी तालमेल कमेटी के आह्वान पर प्रदेश की 40 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हैल्पर्स सितंबर, 2018 को मन की बात में प्रधानमंत्री द्वारा वर्कर के मानदेय में 1500 व हेल्पर के 750 बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि पिछले 4 साल से केंद्र सरकार से यह पैसा हरियाणा सरकार ले रही है। लेकिन उसे वर्करों व हैल्परों को नहीं दे रही। इसी प्रकार मुख्यमंत्री द्वारा 6 मार्च,2018 को विधानसभा में वर्कर को अर्धकुशल व हेल्पर को अकुशल की श्रेणी का मानदेय देने और इसे महंगाई भत्ते के साथ जोड़ने की धोषणा की थी।
प्रदेशाध्यक्ष लांबा ने बताया कि सरकार हड़ताली आंगनबाड़ी हेल्पर्स के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही है। प्रदेश की 40 हजार से ज्यादा महिलाएं सड़कों पर हैं। आइसीडीएस के तहत लाभार्थी तबकों जिनमें 0-6 साल के बच्चे, गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं को दिया जा रही पोषण सामग्री बंद है। हड़ताली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता केवल वही मांग रहे हैं जो 4 साल पहले सरकार घोषित कर चुकी है। इसलिए आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स को हड़ताल जैसा कठोर कदम उठाना पड़ रहा है।