बहादुरगढ़ : 4 सालों में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को नहीं मिली कोई ग्रांट
आरटीआई के तहत जानकारी जुटाने वाले एक्टिविस्ट सतपाल हाडा ने कहा कि इन हालात में शहर के लोगों को स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने और सीवर व्यवस्था दुरुस्त करने में विभाग पूरी तरह विफल साबित हुआ है।;
हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़। अटल शहरी परिवर्तन एवं कायाकल्प मिशन (अमरुत योजना) लागू होने के बाद जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को बहादुरगढ़ में विकास कार्य करवाने के लिए वर्ष-2019 से सरकार द्वारा कोई ग्रांट नही मिली है। इस संदर्भ में आरटीआई के तहत जानकारी जुटाने वाले एक्टिविस्ट सतपाल हाडा ने कहा कि इन हालात में शहर के लोगों को स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने और सीवर व्यवस्था दुरुस्त करने में विभाग पूरी तरह विफल साबित हुआ है।
दरअसल, सतपाल हाडा ने 24 सितंबर को आरटीआई एक्ट के तहत मुख्य सचिव कार्यालय से 2019 से अब तक बहादुरगढ़ शहर के विकास के लिए विभिन्न विभागों को सरकार द्वारा दी गई ग्रांट के संबंध में जानकारी मांगी थी। मुख्य सचिव कार्यालय इस आवेदन को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए जिला उपायुक्त के पास भेज दिया था। जिसके अंतर्गत जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने जानकारी दी है कि वर्ष 2019 से सितंबर-2023 तक बहादुरगढ़ में विकास कार्य के लिए विभाग को शून्य राशि प्राप्त हुई है। सतपाल हाडा का कहना है कि ग्रांट के अभाव में विभाग जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं करवा सकता है। बहादुरगढ़ में सीवर लाइन की देखरेख नहीं हो सकती। यही कारण है कि पेयजल आपूर्ति के समय सड़कों पर व्यर्थ पानी बहता है। शहर की कॉलोनियों में सीवर का गंदा पानी गलियों में जमा रहता है। आमजन सीवर युक्त दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं।
शहर में पानी निकासी, सीवरेज, पीने के पानी सप्लाई समेत कई काम अमरुत योजना में किए जा रहे थे। बता दें कि अमृत योजना के पहले चरण के अंतर्गत शहरी नागरिकों की सुविधा के लिए बहादुरगढ़ में 31.57 करोड़ रुपए की लागत से पेयजल परियोजना और 53.28 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज प्रणाली को मजबूत किया गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल 18 जुलाई को इस परियोजना का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया था। सीवरेज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के तहत 20 किलोमीटर लंबी नई लाइन डाली गई और करीब 30 किलोमीटर लंबी पुरानी लाइनों को बदला गया। हालांकि अब केंद्र सरकार की अमरुत योजना को निकाय विभाग से वापस ले लिया गया है। अमरुत के फेज-1 के तहत नगर परिषद ने काम किया था। जबकि फेज-2 में अब जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग यह काम करेगा। काम सही न होने और समय पर न होने से सरकार ने इस योजना को अब पब्लिक हेल्थ को सौंपने का फैसला लिया है।