Bahadurgarh : पिता बनाना चाहते थे प्रोफेसर, मनीषा ने चुना साइंटिस्ट का रास्ता

  • इसरो की सफलता में हरियाणा की बेटी मनीषा राठी का अहम योगदान
  • दिसंबर 2017 में ऑल इंडिया रैंक वन लेकर साइंटिस्ट बनी थी धनाना गांव की बेटी
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Update: 2023-08-25 06:15 GMT

Bahadurgarh : भारतीय विज्ञान के इतिहास में 23 अगस्त 2023 का दिन सदैव सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। इस ऐतिहासिक सफलता में हरियाणा की साइंटिस्ट बेटी मनीषा राठी का भी अहम योगदान है। मनीषा के पिता उसे प्रोफेसर बनाना चाहते थे, लेकिन मनीषा का इरादा इसरो से जुड़कर इतिहास रचने का था।

मूल रूप से गांव धनाना की रहने वाली मनीषा राठी का परिवार दिल्ली के उत्तम नगर में रहता है। मनीषा के पिता सतबीर सिंह राठी दिल्ली के जनकपुरी में स्थित महाराजा सूरजमल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी में सहायक प्रोफेसर हैं और मां रानी देवी घर संभालती हैं। मनीषा ने गांव लाखन माजरा के निजी स्कूल से दसवीं उत्तीर्ण की। फिर दिल्ली के हिरणकूदना में स्थित गंगा स्कूल से 12वीं पास की। इसके बाद जनकपुरी के महाराजा सूरजमल संस्थान से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। मनीषा ने जेएनयू में एमटेक-पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा दी और ऑल इंडिया में तीसरा रैंक प्राप्त किया। दिल्ली एनआईटी में भी अनुबंध के आधार पर मनीषा ने एक साल टीचिंग की। फिर दिसंबर-2017 में ऑल इंडिया रैंक वन के साथ इसरो में साइंटिस्ट के रूप में उसका चयन हो गया।

उसने बैंगलोर मुख्यालय में ज्वाइन कर लिया। हालांकि एमआईईटी में भी साइंटिस्ट के रूप में भी उसका चयन हुआ और उसे दिल्ली में जॉब ऑफर हुई। लेकिन मनीषा के मन में एक जुनून था। उसने इसरो को ही चुना। दिसंबर-2022 में मनीषा को पदोन्नति मिली। शुरू से ही वह सेटेलाइट ग्रुप से जुड़ी रही। इसरो से जुड़ने के बाद कड़ी मेहनत और लगन को देखते हुए उसने चंद्रयान-3 की टीम में अपनी जगह बनाई। आज उसकी मेहनत के दम पर देश के लिए गौरव का क्षण आया। परिवार के लिए भी बेहद खुशी का मौका है। परिजनों के पास लगातार फोन आ रहे हैं, बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। राजबीर राठी ने बताया कि बेटी की सफलता से पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।

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