Basmati Rice Price : विदेशों में बासमती चावल की बढ़ी मांग, 5300 रुपये के रिकार्ड स्तर पर पहुंचे बासमती के दाम
मिडल ईस्ट के देशों में चावल की डिमांड ओर निकलेगी, जिस कारण दामों में अभी ओर तेजी आने की संभावना है। देश के जाने-माने एक्सपोर्टर भी इसकी पुष्टि करते हैं। बता दें कि भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल एक्सपोर्टर है।;
सुरेन्द्र असीजा/फतेहाबाद
विदेशों में बासमती चावल की डिमांड बढ़ने से प्रदेश में बासमती किस्म की वैरायटी 1401 व 1509 के दामों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। यहां बासमती की इन किस्मों के दाम 5300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। बीते वर्ष इस समय तक इसके दाम 3200 रुपये प्रति क्विंटल थे। बताया जा रहा है कि मिडल ईस्ट के देशों में चावल की डिमांड ओर निकलेगी, जिस कारण दामों में अभी ओर तेजी आने की संभावना है। देश के जाने-माने एक्सपोर्टर भी इसकी पुष्टि करते हैं। बता दें कि भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल एक्सपोर्टर है।
प्रदेश सरकार की खरीद एजेंसी हैफेड इन दिनों मण्डियों से धान की 1401-डीबी व 1509 वैरायटी के साथ 1121 की खरीद कर रही है। जब तक हैफेड ने मण्डियों में खरीद शुरू नहीं की थी, तब तक निजी खरीद एजंेसियां किसानों से सस्ते दामों पर धान खरीद रही थी। हैफेड का खाड़ी देशों में खासकर मिडल ईस्ट, सऊदी अरब, ईरान, ईराक सहित 12 देशों में धान एक्सपोर्ट का करार हुआ तो इसके दामों में बढ़ोतरी होने लगी। हैफेड ने इस सीजन में खाड़ी देशों में 45 हजार मीट्रिक टन चावल एक्सपोर्ट करना है। अब तक हैफेड ने 33 हजार एमटी धान की खरीद की है, जिससे यह तो यह तय है कि हैफेड अभी ओर धान खरीदेगी, जिससे धान के दामों में ओर ज्यादा बढ़ोतरी होगी। बीते वर्ष इसके दाम 3200 रुपये प्रति क्विंटल थे। अब 2100 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा मिल रहे है। इस सीजन के शुरूआत में धान के दाम 3000 रुपये प्रति क्विंटल के करीब थे।
इस बार धान का रकबा कम होने व गोदामों में पिछला स्टॉक न होने के चलते इस बार धान के दामों में फसल आते ही अक्टूबर में ही तेजी दिखी थी। इस सीजन के शुरू में यहां गैर परमल धान 1121, 1509 व 1401 के दाम 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल से शुरू हुए थे। नवम्बर में इसके भाव 3500-3600 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पहंुच गए थे। पिछले दिनों विदेशों में इसकी डिमांड निकलने से बासमती के दामों में वृद्धि होने लगी। नवम्बर अंत तक इसके भाव 4 हजार प्रति क्विंटल पहंुच गए थे। तब यह अनुमान लगाया जा था कि बासमती के दाम अभी ओर बढ़ेंगे। दिसम्बर के दूसरे हफ्ते इसके दाम 4500 रुपये प्रति क्विंटल को भी पार कर गए थे। एक महीने बाद ही इसके दाम 5300 रुपये प्रति क्विंटल को छू रहे है। एक्सपोर्ट कारोबार से जुड़े जानकारों के अनुसार विदेशों में भारतीय बासमती की खूब मांग है, जिस कारण इसके दाम बढ़ने लगे हैं।
विश्व के 22 देशों में एक्सपोर्ट होता है भारतीय बासमती
यहां से बासमती किस्म का चावल 1121 व डीबी 1401 पैक होकर मिडल ईस्ट के करीब 22 देशों में एक्सपोर्ट होता है। इनमें सऊदी अरब, ईरान, ईराक, ओमान, अमन, बहरीन, कुवैत प्रमुख रूप से शामिल हैं। फतेहाबाद की एक्सपोर्ट फर्म जिंदल इंडस्ट्री व जिंदल बासमती इंडिया लिमिटेड का माल इन देशों में एक्सपोर्ट होता है। इन फर्मों का 50 हजार टन माल मिडल ईस्ट के देशों को जाता है। इसके अलावा इस बार हैफेड भी विदेशों में माल निर्यात कर रहा है, जिस कारण यहां बासमती के दाम आसमान छू रहे हैं। 5300 रुपये प्रति क्विंटल धान के भाव होना आज तक का रिकार्ड है।
विश्व का सबसे बड़ा बासमती निर्यातक है भारत
जानकारों के अनुसार भारत से 40 से 44 लाख टन बासमती चावल एक्सपोर्ट होता है जबकि गैर बासमती चावल का एक्सपोर्ट करीब 2 करोड़ टन है। पूरे विश्व से भारत चावल एक्सपोर्ट करने वालों में सबसे बड़ा देश है। विश्व में एक्सपोर्ट होने वाले चावलों में से भारत की हिस्सेदार 40 फीसदी है जबकि बासमती चावलों के मामले में यह हिस्सेदारी बढ़कर 90 फीसदी तक हो जाती है।
चावलों के दामों में अभी ओर वृद्धि की संभावना : जिंदल
देश के प्रमुख राईस एक्सपोर्टरों में शामिल फतेहाबाद की फर्म जिंदल इंडस्ट्री व जिंदल बासमती इंडिया लिमिटेड के एमडी अजय जिंदल के अनुसार भारत के चावल उत्पादकों के लिए इस समय गोल्डन पीरियड चल रहा है। कोविड के समय यहां का माल पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह पर रूक गया था। वजह थी खाड़ी देशों में डिमांड कम थी। ऐसे में वहां एक्सपोर्टरों का पैसा भी फंस गया था। 2019 के बाद पहला मौका है जब हालात अच्छे हैं और चावलों की डिमांड और रेट भी अच्छे निकल रहे हैं। चावलों के दामों में अभी ओर वृद्धि की संभावना है।
हैफेड ने 45 हजार एमटी चावल खाड़ी देशों में निर्यात करने का करार किया है। अब तक 33 हजार एमटी धान की खरीद की गई है। धान की खरीद अभी चल रही है। इस समय बासमती किस्म की विभिन्न वैरायटियों के दाम 5300 रुपये के पास चल रहे है, जोकि एक रिकार्ड है। इससे किसानों को भी काफी फायदा हो रहा है। -राजेश हुड्डा, जिला प्रबंधक, हैफेड