राेहतक में वेस्टेज का बेहतर प्रयोग : गीले कूड़े से खाद बनाकर लोग घर में ही उगा रहे सब्जियां
यह मुहिम प्रदेश के कई जिलों में चलाई जा रही है। घर के गीले कूड़े में लोग गोबर मिलाकर जैविक खाद तैयार कर रहे हैं और घर की छतों पर ही सब्जियां, फूल और फ्रूट उगा रहे हैं। अकेले रोहतक शहर में ही करीब एक हजार से अधिक परिवार यह प्रयोग कर रहे हैं।;
पंकज भाटिया : रोहतक
प्रदेश में सैकड़ों परिवार घर के गीले कूड़े से खाद बनाकर घर में ही फूल खिला रहे हैं। इसके अलावा जैविक सब्जियां और फ्रूट भी उगा रहे हैं। इससे दो फायदे हो रहे हैं। एक तो अच्छी केमिकल मुक्त सब्जियां खाने को मिल रही हैं और दूसरा शहर भी साफ-सुथरा हो रहा है। यह मुहिम प्रदेश के कई जिलों में चलाई जा रही है। घर के गीले कूड़े में लोग गोबर मिलाकर जैविक खाद तैयार कर रहे हैं और घर की छतों पर ही सब्जियां, फूल और फ्रूट उगा रहे हैं। अकेले रोहतक शहर में ही करीब एक हजार से अधिक परिवार यह प्रयोग कर रहे हैं। इसके लिए नगर निगम भी लोगों की मदद कर रहा है। निगम की टीमें सक्षम युवाओं के साथ मिलकर घर-घर जाकर लोगों को जीरो वेस्ट के प्रति जागरूक कर रही हैं। इसके काफी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।
रंग ला रही मेहनत
रोहतक में एक साल से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। अब मेहनत भी रंग लाने लगी है। यदि यह प्रयोग सभी अपनाएंगे तो शहर साफ सुथरा होगा और घर से निकलने वाले वेस्ट का भी बेहतर प्रयोग किया जा सकेगा। इसका सही उपयोग करने से लोगों को भी घर की सब्जियां खाने को मिलेंगी। उन्हें बाजार से महंगे भाव से सब्जियां नहीं खरीदनी पड़ेंगी।
यह होता प्रयोग
खाद बनाने के लिए खराब फल, फल और सब्जियों के छिलके, अंडे के छिलके, बासी खाना, चाय पत्ती का प्रयोग किया जा रहा है।
ऐसे तैयार होती है खाद
खाद बनाने में रसोई का गीला कूड़ा प्रयोग में लाया जाता है। इसके लिए तीन बाल्टियों में कूड़ा डालना होता है। पहली बाल्टी 10 लीटर, दूसरी 20 और तीसरी 50 लीटर की होनी चाहिए। पहली बाल्टी के कूड़े से भरने के बाद दूसरी में कूड़ा डालना है। जब यह भी भर जाए तो तीसरी बाल्टी में डालें। 20 और 50 लीटर वाली बाल्टियों में सुराख करने होते हैं। यह प्रोसेस तब तक करना है जब तक 50 लीटर वाली बाल्टी भर नहीं जाती। खाद तैयार होने में तीन महीने का समय लगता है। इससे करीब 50 किलो खाद तैयार होती है। इसकी कीमत करीब 500 रुपये हैं। इसके बाद इसमें गोबर मिलाकर प्रयोग किया जाता है।
छत पर ही गार्डनिंग
शिक्षा विभाग में अंग्रेजी प्रवक्ता के पद पर तैनात दामिनी शर्मा जून 2020 से गीले कूड़े से खाद बना रही हैं। इसमें उनका पूरा परिवार सहयोग करता है। दामिनी ने बताया कि हमने घर की छत पर ही गार्डनिंग की शुरुआत की। अक्टूबर 2020 में घर और किचन के गीले कचरे से खाद बनाना शुरू किया। नगर निगम ने भी उन्हें स्वच्छता वॉरियर के खिताब से सम्मानित किया है।
लोगों को कर रहे जागरूक
रोहतक में ऐसी खाद तैयार करने की शुरूआत करने वाले झंग कॉलोनी निवासी और निगम के स्वच्छता सलाहकार अरविन भाटिया ने बताया कि उन्होंने करीब 15 साल पहले यह शुरूआत की थी। निगम ने लोगों को जागरूक करने के लिए 60 सक्षम युवाओं की मैदान में उतारी है।
परिवार का सहयोग जरूरी
सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ. दिनेश शर्मा ने कहा परिवार के सहयोग के बिना ऐसा संभव नहीं है। इस खाद से उगने वाली सब्जियां बेहद पौष्टिक होती हैं। चूंकि ये पूरी तरह से जैविक खाद से तैयार होती हैं। इनमें किसी तरह का कोई केमिकल प्रयोग नहीं किया जाता।
पत्नी-बेटी कर रही देखभाल
समाज सेवी टिनू लांबा ने बताया कि दो साल से गाय के गोबर और घर के गीले कूड़े से हम खाद बनाकर घर में ही सीजनल सब्जियां उगा रहे हैं। पत्नी पलक और बेटी अपरा भी इस काम में सहयोग करती हैं।
जिले को जीरो वेस्ट बनाएंगे
जिले को जीरो वेस्ट बनाने के लक्ष्य से यह अभियान चलाया जा रहा है। करीब एक हजार से ज्यादा घर इस समय गीले कूड़े से खाद बना रहे हैं। भविष्य में इस अभियान को और तेज किया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द शहर जीरो वेस्ट हो। -डॉ. नरहरि बांगड़, आयुक्त, नगर निगम रोहतक