Bhupender Singh Hooda बोले : कंपनियों को मालामाल कर रही पीएम फसल बीमा योजना
- बीमा कंपनियां कूट रही करोड़ों का मुनाफा, मुआवजे के लिए तरस रहा किसान
- प्रीमियम के रूप में मिली राशि का 8 प्रतिशत ही किसानों को दे रही बीमा कंपनिया
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Haryana : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की बजाय बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाने का जरिया है। इसके चलते किसान कंगाल और कंपनियां मालामाल हो रही हैं। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupender Singh Hooda) का। उन्होंने योजना को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा केंद्र को भेजे गए नोटिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस योजना के खिलाफ कोर्ट गए याचिका कर्ताओ ने अदालत के सामने जिन तथ्यों को उजागर किया, वह हैरान करने वाले हैं।
उन्हाेंने कहा कि हरियाणा में बीमा कंपनियों ने प्रीमियम के तौर पर 253 करोड़ रुपए की वसूली की। जबकि मुआवजे के रूप में किसानों को सिर्फ 20 करोड़ रुपए ही दिए। कंपनियों को दी गई राशि में 123.55 करोड़ किसानों के खाते से काटे गए। जबकि 83.54 करोड़ राज्य सरकार और 45.26 करोड़ का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया गया। दिए गए आंकड़ों पर गौर किया जाए तो बीमा कंपनियों ने प्रीमियम के रूप में मिली राशि के मुकाबले सिर्फ 8 प्रतिशत राशि ही किसानों को मुआवजे के रूप में दी। इससे पहले भी आरटीआई के जरिए इस बात का खुलासा हो चुका है कि यह योजना सिर्फ और सिर्फ कंपनियों को लाभ पहुंचा रही है। इस योजना के जरिए शुरुआती 5 साल में ही पूरे देश में बीमा कंपनियों को 40 हजार करोड़ रुपए का लाभ हुआ था, जबकि देशभर के किसान मुआवजे के लिए तरसते रहे। यही वजह है कि कई राज्यों, यहां तक कि बीजेपी शासित राज्य में भी इस योजना को बंद कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस के उदयपुर और रायपुर में हुए राष्ट्रीय महाधिवेशन में भी बीमा योजना के बारे में विस्तार से चर्चा हुई थी। इसके लिए बनी कृषि कमेटी के प्रमुख के तौर पर उन्होंने अपने मसौदे में बीमा योजना का विस्तार से विवरण पेश किया था। मसौदे में बीमा योजना को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव की सिफारिश की गई थी। मसलन, बीमा का यह काम निजी कंपनियों की बजाय सहकारी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा होना चाहिए जो नो प्रॉफिट, नो लॉस के सिद्धांत पर काम करें। बीमा के प्रीमियम का पूरा भुगतान सरकार द्वारा किया जाना चाहिए। बीमा करवाने वाले प्रत्येक किसान को उसकी फसल में खराबा होने पर मुआवजा मिलना चाहिए। किसानों के साथ खेतीहर किसान व मजदूरों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए। मुआवजा देने के नियम बिल्कुल सरल और स्पष्ट होने चाहिए। इसमें प्रत्येक किसान और प्रत्येक एकड़ को इकाई माना जाना चाहिए। जबकि मौजूदा बीमा योजना में पूरे गांव या पूरे क्षेत्र को इकाई माना गया है।
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