NGT की बड़ी कार्रवाई : निजी बिल्डरों पर ठोका 153.66 करोड़ का पर्यावरण मुआवजा

  • कुंडली के क्षेत्र में पर्यावरण के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए गंदे पानी की निकासी, सीवरेज की निकासी व सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की कमी के चलते लगाया है जुर्माना
  • टीडीआई इंफ्रास्ट्रक्चर, पार्कर, सीएमडी बिल्डटैक आदि के कई प्रोजेक्ट पर लगाया जुर्माना, 3 माह में करवाना होगा जमा, 6 माह में पर्यावरण को सुदृढ़ करने के लिए किया जाएगा खर्च
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Update: 2022-07-16 12:31 GMT

दीपक वर्मा  : सोनीपत

अपने मुनाफे के लिए पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाने में लगे निजी बिल्डर कंपनियों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी ) ने तगड़ा झटका दिया है। एक दिन पहले जारी अपने आदेशों में एनजीटी ने सोनीपत में 6 प्रोजेक्ट्स ( रिहायशी क्षेत्रों ) के लिए 4 कंपनियों पर 153.66 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका है। इन कंपनियों में टीडीआई इंफ्रास्ट्रक्चर, पार्कर, सीएमडी बिल्डटैक, नारंग कंस्ट्रक्शन शामिल हैं। इन चारों कंपनियों में सबसे अधिक टीडीआई इंफ्रास्ट्रक्चर पर 94 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। इन जुर्माने को एनजीटी ने पर्यावरण मुआवजे का नाम दिया है। इतना ही नहीं एनजीटी ने इस मुआवजे को पर्यावरण सुदृढ़ करने के लिए खर्च करने के निर्देश दिए हैं, जिसके लिए बकायदा एक कमेटी का गठन भी किया गया है। कंपनियों को जहां 3 माह में जुर्माना राशि जमा करवाने के निर्देश दिए गए हैं, वहीं कमेटी को पर्यावरण सुदृढ़ता के प्लान को लागू करने के लिए 6 माह का समय दिया गया है।

बता दें कि इस मामले में नांगल कलां के ग्रामीण किसान उदय समिति के बैनर तले पिछले कई सालों से पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। समिति द्वारा 2018 में 764 नंबर शिकायत एनजीटी में भी लगाई थी। इसी शिकायत पर एनजीटी ने शुक्रवार को आदेश दिए हैं। शिकायत में ग्रामीणों ने बताया था कि सेक्टर 58 से लेकर सेक्टर 64 तक में निजी बिल्डरों ने रिहायशी प्रोजेक्टस बनाए हैं, जिनमें 14 से 15 हजार लोग रहते हैं। इन रिहायशी इलाकों से जो दूषित पानी या गंदगी निकलती है, उसके निपटान की ठोस व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार दूषित पानी को टैंक्स में इकट्ठा कर नांगल कलां गांव के क्षेत्र में जमीन पर डाल दिया जाता है। शिकायत में बताया गया था कि तकरीबन 5 लाख लीटर दूषित पानी हर रोज गांव की जमीन पर डाला जा रहा है। जिसकी वजह से क्षेत्र में बदबू फैल रही है और बीमारियां फैलने का खतरा भी बना हुआ है। ग्रामीणों का आरोप था कि पानी को बिना ट्रीट किए डाला जा रहा, इसके अलावा खेतों के लिए बनाई गई नहरों में भी गंदगी डाली जा रही है।

अप्रैल 2018 में भेजी थी मुख्यमंत्री को शिकायत

किसान उदय समिति द्वारा 24 अप्रैल 2018 को पहले मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी गई थी, जिसमें फोटोग्राफ भी लगाए गए थे। इसके बाद 24 जुलाई 2018 को हरियाणा स्टेट पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया और मौके पर ही गंदा पानी डालते हुए टैंकर भी पकड़े थे। इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। 2019 में अतिरिक्त मुख्य सचिव के निर्देशों पर गठित कमेटी ने भी निरीक्षण कर सॉलिड वेस्ट के लिए उपयुक्त सिस्टम ना होने की जानकारी दी थी। 16 जुलाई 2019 को भी एक कमेटी ने निरीक्षण कर रिपोर्ट दी थी, जिसमें पर्यावरण प्रदूषण की बात स्वीकारी थी।

हरियाणा स्टेट पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने भी 22 अक्टूबर 2019 में एक रिपोर्ट में उपरोक्त बिल्डरों से पर्यावरण प्रदूषण करने की एवज में 1 करोड़ 32 लाख रुपये का जुर्माना लगाने की बात कही थी। 4 सितंबर 2019 को नगर योजनाकार विभाग के प्रधान सचिव ने मीटिंग लेकर सोनीपत नगर योजनाकार अधिकारी को सॉलिड वेस्ट के मैनेजमेंट के संदर्भ में निर्देश दिए थे कि वेस्ट की सही मैनेजमेंट सुनिश्चित करें। ग्रामीणों के अनुसार इन सब निर्देशों और आदेशों के बावजूद निजी बिल्डर मनमानी करते रहे।

10 में से 6 बिल्डर के खिलाफ, प्रोजेक्ट कोस्ट का 4 प्रतिशत जुर्माना

कुंडली के सेक्टर कुंडली में सेक्टर 58 से सेक्टर 64 तक टीडीआई इंफ्रास्ट्रक्चर, अंसल ऐपीआई, पार्कर रेजिडेंसी आदि के टीडीआई किंग्सबरी अपार्टमेंट्स, टीडीआई टक्सन सिटी, लेक ड्राइव अपार्टमेंट, लेक गु्रव, अंसन सनशाइन सिटी, अंसल सुशांत सिटी, अंसल रोमन कोर्ट, मैक्स हाईट्स, पार्कर रेजीडेंसी, अंसल हाइवे प्लाजा, पार्कर मॉल, रोडियो ड्राइव, एम्परर स्कवायर, टीडीआई क्लब, टीडीआई मॉल, ग्रांड स्कवायर आदि रिहायशी प्रोजेक्टस हैं। इन सभी बिल्डर्स की जांच करवाई गई थी, जिसमें 10 में से 6 बिल्डर्स द्वारा घोर अनियमितताएं बरती पाई गई थी। इसी वजह से एनजीटी ने इन्हीं छह बिल्डर्स पर पर्यावरण मुआवजा लगाया है। यह मुआवजा प्रोजेक्ट कोस्ट का 4 प्रतिशत लगाया गया है।

अनुमान आया काम, बिल्डर ने छुपाई प्रोजेक्ट कोस्ट

जिन बिल्डर्स पर जुर्माना लगाया गया है, उनमें से अधिकतर ने प्रोजेक्ट कोस्ट छिपाने की कोशिश की थी। एनजीटी के आदेशों में टीडीआई किंग्सबरी अपार्टमेंट का उदाहरण देकर स्पष्ट किया गया है। इसमें बताया गया है कि टीडीआई इंफ्रास्ट्रक्चर ने 2019 में किंग्सबरी में 2999 फ्लैट्स बने होना कबूला था, जिसके 22 रिहायशी ब्लॉक्स बनाए गए थे। 12 अप्रैल 2022 की रिपोर्ट में कंपनी ने प्रोजेक्ट कोस्ट 144.0288 करोड़ रुपये बताई। एनजीटी के अनुसार वेबसाइट से पता चला है कि कंपनी 48 लाख से 65 लाख के बीच में 2 बीएचके से 3 बीएचके फ्लैट बेच रही है। अगर 48 लाख की सबसे कम कीमत भी रखें तो 2999 फ्लैट्स के लिए 1439.52 करोड़ रुपये बनते हैं। इसके अलावा भी क्लब हाउस, स्वीमिंग पूल, जिम आदि को मिलाकर प्रोजेक्ट कोस्ट अधिक होती है। 25 प्रतिशत कोस्ट भी इसकी जोड़ें तो 1800 करोड़ रुपये कुल बनते हैं प्रोजेक्ट कोस्ट के और इस पर 5 प्रतिशत पर्यावरण मुआवजा जोड़ने पर 90 करोड़ रुपये बनते हैं। 2012 में प्रोजेक्ट पूरी तरह से कंप्लीट नहीं था और 2017 में पुराने प्रोजेक्ट ने अच्छा मार्जिन दिया है, इसी वजह से मुआवजे को 4 प्रतिशत किया गया है, जोकि कुल 72 करोड़ रुपये बनता है। इसी तरह अन्य कंपनियों के पर्यावरण मुआवजे को भी आंका गया है।

किस पर कितना पर्यावरण मुआवजा

- टीडीआई किंग्सबरी अपॉर्टमेंट के लिए टीडीआई इंफ्रास्ट्रक्चर पर 72 करोड़ रुपये

- माई फ्लोर 2 सेक्टर 60 के लिए टीडीआई इंफ्रास्ट्रक्चर पर 10.8 करोड़ रुपये

- टक्सन सिटी के लिए टीडीआई इंफ्रास्ट्रक्चर पर 12.28 करोड़ रुपये

- पार्कर एस्टेट डेवलेपमेंट प्रावइेट लिमिटेड पर 17.1 करोड़ रुपये

- सीएमडी बिल्डटैक (प्रदेशी डेवलेपर्स) पर 40.48 करोड़ रुपये

- नारंग कंस्ट्रक्शन पर 1 करोड़ रुपये

3 माह में देना होगा जुर्माना, 6 माह में पर्यावरण के लिए प्लान करें लागू

एनजीटी ने इन कंपनियों को जुर्माना 3 माह में देने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा अपने आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि यह जुर्माना राशि पर्यावरण को जो नुक्सान हुआ, उसकी भरपाई के लिए खर्च की जाएगी। एनजीटी ने अतिरिक्त मुख्य सचिव अर्बन डेवलेपमेंट, हरियाणा स्टेट पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, जिला न्यायधीश सोनीपत की कमेटी बनाकर उसकी देखरेख में खर्च करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए तीन महीने में प्लान बनाने और 6 महीने में प्लान को लागू करने के भी निर्देश दिए गए हैं। वहीं पर्यावरण मुआवजे के लिऐ सोनीपत जिला न्यायधीश और सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को नोडल अथ्योरिटी बनाया गया है। इसके अलावा यह भी निर्देश दिए गए हैं कि उपरोक्त कंपनियों को पर्यावरण नियमों के अंतर्गत अथ्योरिटी जब तक क्लीरियंस या एनओसी ना दे दे, तब तक वे प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर सकते। वहीं जिला न्यायधीश व पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को देखना है कि किसी भी क्षेत्र में गंदा पानी या गंदगी ना डाली जाए और इन क्षेत्रों में डीजल जनरेटर भी ना चला जाएं। एनजीटी के लिए चेयरपर्सन आर्दश कुमार गोयल, ज्यूडिशियन मेम्बर सुधीर अग्रवाल, पुष्पा सत्यनारायण, एक्सपर्ट मेम्बर ए सेंथिल वेल की टीम ने ये आर्डर दिए हैं।

निर्देशों की अवहेलना नहीं होगी

एनजीटी के आदेश प्राप्त हुए हैं। इन आदेशों को कानूनी विशेषज्ञों से एग्जामिन करवाकर आगामी कार्रवाई की जाएगी। एनजीटी के आदेश के तहत कार्रवाई की जाएगी, किसी भी सूरत में एनजीटी के निर्देशों की अवहेलना नहीं होगी। - ललित सिवाच, उपायुक्त, सोनीपत

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