हरियाणा में बड़ा फर्जीवाड़ा : कागजों में ही खड़ी कर दी 30 करोड़ से ज्यादा की फैक्टरी, HSIIDC के अधिकारियों पर केस
बिना बिजली, बिना पानी, बिना कच्चा माल व बिना तैयार माल के फैक्टरी संचालित दिखा दी गई। हैरत की बात यह है कि डीटीपी ने व्यवसायिक प्रमाण पत्र और बिजली निगम की ओर से बिजली कनेक्शन तक दर्शाया गया है।;
हरियाणा के सोनीपत जिले में कुंडली थाना क्षेत्र स्थित एचएसआइआइडीसी ( HSIIDC ) में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां के अधिकारियों ने माफिया के साथ मिलकर खाली प्लॉट में ही 30 करोड़ से ज्यादा की परियोजना को चालू दिखा दिया। बिना बिजली, बिना पानी, बिना कच्चा माल व बिना तैयार माल के फैक्टरी संचालित दिखा दी गई। हैरत की बात यह है कि डीटीपी ने व्यवसायिक प्रमाण पत्र और बिजली निगम की ओर से बिजली कनेक्शन तक दर्शाया गया है। वहीं, शिकायतकर्ता के मौजूद न होने की बात कहकर भी जांच को बंद कराने का प्रयास किया गया। इससे भी आगे मिाफया ने अधिकारियों की मिलीभगत से प्लॉट को सामान्य श्रेणी को तब्दील करवा लिया। गुप्तचर विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के अनुमोदन पर इस मामले में आरोपित माफियाओं के साथ ही अधिकारियों को नामजद किया गया है। मामले की जांच मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने की थी।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री उड़नदस्ता के अनुसार सेक्टर-9 के लक्ष्मण सिंह ने एक शिकायत दी थी। शिकायत में बताया था कि कुंडली एचएसआइआइडीसी औद्योगिक एस्टेट के फेज-5 में प्लाट-107 के आवंटन में साज करके धोखाधड़ी की गई है। यह प्लाट 4050 वर्गमीटर का है। एल्डिमा एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक फर्म के शेयरधारकों ने यह प्लाट प्रतिष्ठित श्रेणी के तहत खरीदा था। प्रतिष्ठित श्रेणी के तहत खरीदे गए प्लाट सीधे तौर पर अलाट होते हैं। इसमें शर्त यह होती है कि निर्धारित समय में 30 करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजना शुरू करनी होती है। इस प्लाट का मुख्यमंत्री उड़नदस्ता की टीम ने निरीक्षण किया तो हर बार गेट पर ताला लगा मिला। उड़नदस्ता टीम ने गहराई से जांच शुरू और एचएसआइआइडीसी कुंडली के अधिकारियों से इस फैक्ट्री का रिकॉर्ड मांगा, लेकिन अधिकारियों ने तीन साल तक रिकार्ड देने की प्रक्रिया को लटकाए रखा।
कागजों में ही दिखा दी साढ़े करोड़ की मशीनरी
उड़नदस्ता टीम के एसआइ सुरेंद्र व कृष्ण द्वारा की गई जांच में सामने आया कि उक्त प्लाट में साढ़े नौ करोड़ की मशीनरी लगी हुई दिखाई गई। इसकी खरीद के बिल भी दाखिल कर दिए गए।जबकि वहां पर कोई मशीन आई ही नहीं थी। 2012 में सात हजार रुपए प्रति स्केयर मीटर के हिसाब से नैंसी क्राफ्टस को अलाट हुआ था, लेकिन वर्ष 2017 में फर्म का नाम बदलकर एल्डिमा एक्सपोर्ट्स रख लिया गया। इसमें नैंसी क्राफ्टस 55 प्रतिशत, नरेंद्रपाल सिंह 25 व बलविंद्र पाल कौर 20 प्रतिशत के शेयर होल्डर थे। प्लाट को डीटीपी व एचएसआइआइडीसी कुंडली ने व्वसायिक प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जबकि एलए रोबिन भाटला व मैनेजर जोगेंद्र सिंह ने मौका निरीक्षण करते हुए इस प्लाट में साढ़े छह करोड़ से ज्यादा का प्लांट व मशीनरी लगी दिखाई। इसके अलावा प्लाट, भवन आदि कीमत आंकते हुए 39 प्रतिशत से ज्यादा काम शुरू होना दशार्या गया। यही नहीं, वर्ष 2019 में प्लाट को सामान्य श्रेणी में बदल दिया गया।
जीएसटी नंबर से लेकर कच्चे माल के बिल मिले फर्जी
कंपनी को कागजों में चालू दिखाया गया तो उससे संबंधित कच्चे माल के बिल से लेकर जीएसटी नंबर तक फर्जी दर्शाए गए। जांच में कुल 11 बिलों की कापियां मिली हैं, जो पूरी तरह से फर्जी पाए गए। इसके अलावा जीएसटी नंबर की जांच की तो पाया कि वह फर्म उपलब्ध नहीं पाई गईं। यही नहीं, बिजली कनेक्शन भी फर्जी दर्शाया गया, क्योंकि जो कंपनी वर्ष 2019 में रिसेल हो गई, उसके नाम वर्ष 2020 में बिजली कनेक्शन जारी हुआ दिखाया गया। ऐसे में बिजली निगम के अधिकारी भी संदेह के दायरे में हैं।
कई अधिकिारियों की भूमिका संदिग्ध
औद्योगिक क्षेत्र में स्थित प्लॉट के मामले में अधिकारियों से मिलीभगत करके फर्जी रूप से फैक्ट्री संचालित करने की शिकायत मिली थी, जिसकी जांच करवाई गई। आरोपित अलाटियों के अलावा कई अधिकिारियों की भूमिका संदिग्ध मिली है। पुलिस ने इस संबंध में विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। - अजीत कुमार, डीएसपी, सीएम फ्लाइंग।