नगर निकायों के स्पेशल ऑडिट के लिए विधानसभा में लाया जाएगा बिल

नगर निगमों और सभी नगर निकायों के कामकाज में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश के शहरी निकाय मंत्री अनिल विज ने इन सभी का स्पेशल आडिट कराने का प्रस्ताव पांच अगस्त को मंत्रिमंडल की बैठक में रखा था, जिस पर सभी ने अपनी मुहर लगा दी है।;

Update: 2021-08-08 06:30 GMT

योगेंद्र शर्मा: चंडीगढ़

विधानसभा का मानसून सत्र बीस अगस्त से शुरू होगा। सत्र में कई अहम विधेयक पेश किए जाएंगे। विधानसभा में स्थानीय निकायों के ऑडिट के लिए भी विधेयक पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि नगर निगमों और सभी नगर निकायों के कामकाज में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश के शहरी निकाय मंत्री अनिल विज ने इन सभी का स्पेशल आडिट कराने का प्रस्ताव पांच अगस्त को मंत्रिमंडल की बैठक में रखा था, जिस पर सभी ने अपनी मुहर लगा दी है।

लेकिन शहरी निकायों में स्पेशल आडिट कराने का काम नियमों में संशोधन के बाद ही हो सकेगा, क्योंकि वहां पर पहले से ही लोकल आडिट की व्यवस्था है। लेकिन मंत्री और आला अफसर इनके लीपापोती और मिलीभगत वाले कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं।

यहां बता दें कि सबसे पहले शहरी निकाय मंत्री अनिल विज ने जहां गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे दो बड़े नगर निगमों में स्पेशल आडिट कराने के आदेश दिए थे। वहीं उसके बाद में बाकी निगमों में भी इस तरह से स्पेशल आडिट में पड़ताल करने को कहा था। अब एक दिन पहले उन्होंने कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव रखते हुए सभी निकायों में स्पेशल आडिट कराने को कहा था। हालांकि इस तरह के आडिट को लेकर कुछ अफसरों ने आपत्ति भी की साथ ही पहले से वहां लोकल आडिट करने वाले की व्यवस्था होने का हवाला दिया लेकिन विज ने साफ कर दिया है कि वहां पहले से बैठे लोगों का कोई फायदा नहीं है।

कुल मिलाकर राज्य के सभी निकायों में स्पेशल आडिट कराए जाने का प्रस्ताव एक दिन पहले शुक्रवार को रखकर इसे विज ने पास भी करा लिया है। लेकिन आला अफसरों ने इसके लिए नियमों में संशोधन का सुझाव भी सामने रख दिया है। जिसके लिए विधिवत अब आने वाले विधानसभा के सत्र में नियमों में संशोधन लेकर आना होगा।

यहां पर गौरतलब रहे कि हरियाणा के निकायों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और पारदर्शिता लाने के लिए एक दिन पहले ही सरकार ने महालेखाकार विभाग एजी से आडिट कराने का फैसला किया था। आडिट का प्रस्ताव भी बृहस्पतिवार की बैठक में शहरी निकाय मंत्री अनिल विज ने रखा था, जिस पर सभी मंत्रियों ने सहमति जताई। लेकिन कुछ अफसर इसके पक्ष में नहींदिखाई दिए। अब ,से पहले विज आदेशों गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगम में स्पेशल आडिट करवा रहे हैं। यहां पर यह भी याद रहे कि राज्यभर के शहरी निकायों में फैले भ्रष्टाचार की शिकायतें राज्य मुख्यालय पर लगातार पहुंच रही हैं। जिससे निकाय मंत्री नाराज है।

दस साल के रिकॉर्ड की जांच होगी

मंत्री विज ने बताया कि हमने पिछले एक दशक में दिए गए पैसे और उसके इस्तेमाल को लेकर स्पेशल आडिट कराने का फैसला लिया है। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी साथ ही करप्शन पर रोक भी लगेगी। 10 वर्षों के फंड और विकास कार्योँ की जांच में बहुत कुछ सामने आएगा। सभी निकायों में आडिट का कामकाज शुरूआत कराने का काम संशोधित बिल लेकर आने के बाद में ही होगा। विज ने कहा कि हम इस दिशा में कदम उठा रहे हैं, उसकी जरूरत हुई, तो यह भी होगा। लेकिन महालेखाकार परीक्षक की टीम से ही आडिट कराया जाएगा। आडिट का काम सबसे पहले नगर निगमों व परिषदों में होगा उसके बाद नगर पालिकाओं का आडिट होगा।

शिकायतों पर सरकार सख्त

यहां पर बता दें कि गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगमों में पहले से ही आडिट का कामकाज शुरू हो चुका है। सरकार के पास इन दोनों निगमों की सबसे ज्यादा शिकायतें हैं। खासतौर से फरीदाबाद नगर निगम में मोटे गोलमाल की आशंका जताई गई है। फरीदाबाद नगर निगम के बारे में भाजपा के विधायकों ने भी मंत्री विज से कई बार शिकायत की थी। वहीं पानीपत, करनाल, अंबाला, रोहतक, हिसार व पंचकूला जैसे निगमों की शिकायतें भी लगातार मंत्री के पास आ रही हैं। शिकायतों के बाद भी निकाय मंत्री ने गुरुग्राम और फरीदाबाद में जांच की थी। 

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