Yamuna नदी के तट पर छोटे से गांव संधाली में जन्में कटारिया ने जमीन से उठकर छूआ आसमान
- रुबरु होकर जिंदगी व जहां से रुखसत हुए कटारिया
- गमजदा छोड़ सभी को अनंत सफर के लिए रवाना हुए पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया
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भगवान सिंह राणा, yamunanagar : रुबरु होकर जिंदगी से पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया सभी को गमजदा कर वीरवार सुबह इस जहां से रुखसत हो गए। उनके अचानक निधन से सभी गमजदा हैं। कोई उनके बचपन की यादों को लेकर तो कोई उनके यौवनकाल में किए गए संघर्षों को याद कर रुहांशा हो रहा है। परिवार के लोगों को इस दुख की घड़ी से उबरने के लिए लोग सांत्वना दे रहे हैं। कटारिया अपने पीछे पत्नी बंतो कटारिया, एक बेटा और दो बेटियों सहित भरे पूरे परिवर को रोता बिलखता छोड़ गए हैं।
नैनिहाल में बिताया बचपन
यमुना नदी (Yamuna River) के तट पर बसे छोटे से गांव संधाली में पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया ने 19 दिसंबर 1951 को अपने नैनिहाल में माता परिवारी देवी व पिता ज्योती राम के यहां जन्म लिया। रतनलाल कटारिया का बचपन अपने नैनिहाल के गांव संधाली में ही बीता। इसके बाद उन्होंने अपने लाड़वा कस्बा स्थित अपने पैतृक घर में रहकर अंबाला कैंट के एसडी कॉलेज से बीए ऑनर्स की। वहीं, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र से एमए व एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। कुछ दिन उन्होंने कुरुक्षेत्र जिला अदालत में वकालत की प्रेक्टिस भी की। मगर वह उन्हें रास नहीं आई और उन्होंने राजनीति में प्रवेश कर लिया।
1987 में कटारिया का चमका सितारा
1987 में हरियाणा के विधानसभा चुनाव में रतनलाल कटारिया रादौर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। इस दौरान उन्हें सरकार में संसदीय सचिव व हरिजन कल्याण निगम का चेयरमैन बनाया गया। वह इन पदों पर 1990 तक रहे। वहीं, जून 1997 से जून 1999 तक हरियाणा वेयर हाउसिंग के चेयरमैन रहे। 2001 में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने इस पद पर सितंबर 2003 तक अपनी जिम्मेदारी निभाई।
तीन बार बने सांसद
पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया पहली बार 6 अक्तूबर 1999 में लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर सांसद बने। मगर वर्ष 2004 व वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वह दो बार चुनाव हार गए। इसके बाद एक बार फिर उनका सितारा चमका और 2014 के लोकसभा चुनाव को जीतकर सांसद बन गए। मगर इस दौरान उनकी मंत्री बनने की चाहत पूरी नहीं हो सकी। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष करते रहे। इसी संघर्ष के चलते 2019 के लोकसभा चुनाव में रतनलाल कटारिया करीब पांच लाख रिकार्ड मतों से जीतकर सांसद बने और केंद्रीय मंत्री मंडल में उन्हें दो विभागों का राज्यमंत्री बनने का मौका मिला।
राष्ट्रीय गीत गाने और लोगों को हंसाने का रहा शौक
दिवंगत रतनलाल कटारिया को बचपन से ही राष्ट्रीय गीत गाने, कविताएं लिखने, शायरी करने और सुनाने समेत अच्छी पुस्तकें पढ़ने का काफी शौक रहा है। वह अपनी गीतों की गायकी से इतने प्रसिद्ध हुए कि जहां भी लोग मिलते, वह उनसे गीत सुनाने के लिए आग्रह करने लगते। खास बात यह है कि रतनलाल कटारिया हंसमुख रहने और दूसरों को खुश करने का प्रयास करते थे।
अहम से नहीं रहा कभी कोई नाता
पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया की अपने जीवन में सबसे बड़ी खासियत यह रही कि वह चाहे किसी भी बड़े पद पर रहे हैं, उन्होंने कभी अहम नहीं किया। वह बड़े पदों पर रहते हुए भी अपने परिचितों, वर्करों, समर्थकों, भाई बंधुओं व आम जनता से उन्हीं का बनकर आत्मीयता का अहसास करवाते थे। इससे भी खास बात यह है कि उनकी छवि जीवन भर बेदाग रही।
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