HSVP में गोलमाल : डाटा एंट्री ऑपरेटर ने किया 1.67 करोड़ का गबन, अकाउंटेंट सस्पेंड
इस मामले में अब एचएसवीपी के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर अजीत बालाजी जोशी ने अकाउंटेंट सूरजभान को सस्पेंड कर दिया। अब जांच का दायरा बढ़ने से कुछ और अधिकारियों के भी लपेटे में आने की संभावनाएं नजर आ रही हैं। इस मामले में पुलिस आरोपित से अब तक 89 लाख रुपये की रिकवरी कर चुकी है।;
हरिभूमि न्यूज. रेवाड़ी : हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में एक डाटा एंट्री ऑपरेटर ने 1.67 करोड़ रुपये के गबन किया था। इस मामले में अब एचएसवीपी के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर अजीत बालाजी जोशी ने अकाउंटेंट सूरजभान को सस्पेंड कर दिया। अब जांच का दायरा बढ़ने से कुछ और अधिकारियों के भी लपेटे में आने की संभावनाएं नजर आ रही हैं। इस मामले में पुलिस आरोपित से अब तक 89 लाख रुपये की रिकवरी कर चुकी है। अकाउंटेंट को सस्पेंड हाेने के बाद प्राधिकरण कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस ने इसके बाद उसकी एक कार भी जब्त की थी।
ऑपरेटर ने पत्नी और बच्चों के खातों में डाले रुपये
डाटा एंट्री ऑपरेटर विजय यादव ने प्राधिकरण की मनी माजरा बैंक शाखा से अपनी पत्नी और बच्चों के साथ-साथ मकान पर काम कर चुके श्रमिक के खाते में भी लाखों रुपये की राशि मेल से रिक्वेस्ट भेजकर RTGS के जरिए ट्रांसफर कराई थी। मामले का खुलासा उस समय हुआ था, जब बैंक प्रबंधन की ओर से रिक्वेस्ट कंफर्म करने के लिए अकाउंटेंड के पास फोन किया गया। अकाउंटेंट ने बताया कि इस तरह की कोई राशि ट्रांसफर करने के लिए रिक्वेट नहीं डाली गई है, तो मामले का भंडाफोड़ हुआ। आनन-फानन में अकाउंटेंट सूरजभान ने थाना मॉडल टाउन पुलिस में केस दर्ज कराया। इसके बाद विजय यादव को गिरफ्तार किया गया।
बढ़ती गई गबन की राशि
विजय के खिलाफ शुरू में 28 लाख के गबन का केस दर्ज हुआ था, लेकिन 5 दिन के रिमांड के दौरान यह राशि बढ़कर 1.67 करोड़ रुपये हो गई थी। पुलिस रिमांड के दौरान 89 लाख की रिकवरी कर पाई थी, जबकि 8 लाख की एक कार जब्त की थी। बाद में विजय को कोर्ट ने जेल भेज दिया था।
अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में
इस केस में कई और अफसरों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। डाटा एंट्री ऑपरेटर को एक बार हटा दिया गया था, परंतु कुछ समय बाद ही वह वापसी करने में कामयाब हो गया था।
साइन स्कैन करने का दावा
एचएसवीपी की ओर से पीएनबी की मनी माजरा शाखा के माध्यम से उपभोक्ताओं की राशि का भुगतान किया जाता है। कई मदों के तहत भुगदान होते हैं। राशि ट्रांसफर कराने के लिए बैंक रिक्वेस्ट पर ईओ के साइन जरूरी हैं। मामले का खुलासा होने के बाद ईओ ने दावा किया कि उनके साइन स्कैन करने के बाद ऑपरेटर ने राशि ट्रांसफर कराई थी।