प्रदेशभर में कहीं भी नहीं चल रही किलोमीटर स्कीम वाली बसें, चालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट

इस समय रोडवेज व प्राइवेट बस चल रही हैं लेकिन किलोमीटर स्कीम वाली बसें अभी भी बस स्टैंड पसिर में खड़ी धूल फांक रही हैं। इसका मुख्य कारण रोडवेज विभाग द्वारा किलोमीटर स्कीम के बस मालिकों को भुगतान करना है।;

Update: 2021-06-12 08:26 GMT

हरिभूमि न्यूज : जींद

लॉकडाउन के बीच रोडवेज बसों के साथ-साथ प्राइवेट बसों का परिचलन हो रहा है। इस समय 90 रोडवेज व प्राइवेट बस चल रही हैं लेकिन किलोमीटर स्कीम वाली बसें अभी भी बस स्टैंड पसिर में खड़ी धूल फांक रही हैं। इसका मुख्य कारण रोडवेज विभाग द्वारा किलोमीटर स्कीम के बस मालिकों को भुगतान करना है।

दरअसल किलोमीटर स्कीम वाली बस पर चालक परिवहन समिति का होता है और परिचालक रोडवेज कर्मचारी होता है। रोडवेज को प्रति किलोमीटर 26.92 रुपये किलोमीटर स्कीम के मालिकों को भुगतान करने का नियम है। वहीं बस की मरम्मत व डीजल का खर्च भी बस मालिक का होता है। किलोमीटर स्कीम वाली एक बस के महीने में नौ हजार किलोमीटर तय किए गए हैं लेकिन लॉकडाउन के बाद से किलोमीटर स्कीम वाली बसों पर ब्रेक लग गया है। ऐसे में प्राइवेट बस यूनियन के सदस्य किलोमीटर स्कीम वाली बस चलाने की मांग कर रहे हैं।

किलोमीटर स्कीम वाली डिपो में 22 बस हैं। इन बसों पर 26 चालकों की ड्यूटी लगाई गई है। वैसे तो एक चालक को 18 हजार रुपये महीना वेतन निर्धारित किया गया है लेकिन किलोमीटर स्कीम वाली बस नहीं चलने से चालकों को पूरा वेतन नहीं दे पा रहे हैं। चालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट आकर खड़ा हो गया है। उन्हें केवल चार से पांच हजार रुपये ही दिए जा रहे हैं। किलोमीटर स्कीम वाली बसों पर लगे चालकों के हित के लिए चाहिए कि इन बसों को जल्द से जल्द चलाया जाए। जब भी लॉकडाउन लगता है तो डिपो महाप्रबंधक यात्रियों की सुविधा के लिए रोडवेज बसों को चलाते हैं और किलोमीटर स्कीम वाली बसों का परिचालन रोक देते हैं।

जींद डिपो के टीएम वीरेंद्र धनखड़ ने बताया कि मुख्यालय के आदेशों के अनुसार ही पालन किया जा रहा है। जैसे ही मुख्यालय से किलोमीटर स्कीम वाली बस चलाने को लेकर कोई आदेश आते हैं तो किलोमीटर स्कीम वाली बस भी जरूर चलवाई जाएंगी। किलोमीटर स्कीम वाली बस नहीं चलने की हिदायत मुख्यालय से जारी हैं, जो प्रदेश भर में लागू है।

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