Weather Update : फाल्गुन में चैत्र जैसी गर्मी, दक्षिण-पश्चिम से आ रही गर्म हवाओं का असर
इस प्रकार के अप्रत्याशित मौसमी उतार-चढ़ाव के पीछे जलवायु परिवर्तन ही प्रमुख कारण है। अब गर्मी के सीजन की शुरुआत तकरीबन-तकरीबन हो चुका है। इस बार कड़ाके की ठंड की तरह कड़ाके की गर्मी का भी रिकार्ड टूटेगा।;
हरिभूमि न्यूज : नारनौल
समय से पहले गर्मी ने दी दस्तक अब हरियाणा एनसीआर दिल्ली और विशेषकर जिला महेंद्रगढ़ में कड़ाके की गर्मी का अहसास आमजन को महसूस होने लगा है। आने वाले दिनों में गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा और जिला महेंद्रगढ़ में तापमान 42.0 डिग्री सेल्सियस के ऊपर पहुंचने के साथ-साथ संपूर्ण जिले में तेज गर्म हवाएं (हीट वेब) चलने की प्रबल संभावनाएं बन रही हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पूरी दुनिया के मौसम चक्र पर असर पड़ रहा है। हरियाणा एनसीआर दिल्ली में पिछले साल मानसून के सीजन में रिकार्ड तोड़ बारिश हुई तो इस साल जनवरी महीने में पड़ी ठंड ने कई सालों का रिकार्ड तोड़ दिया। इस प्रकार के अप्रत्याशित मौसमी उतार-चढ़ाव के पीछे जलवायु परिवर्तन ही प्रमुख कारण है। अब गर्मी के सीजन की शुरुआत तकरीबन-तकरीबन हो चुका है। इस बार कड़ाके की ठंड की तरह कड़ाके की गर्मी का भी रिकार्ड टूटेगा।
आने वाले दिनों में अब किसी भी प्रकार की कमजोर या सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय प्रणाली उत्तर भारत को प्रभावित नहीं करेगी। इसके साथ ही आमतौर पर संपूर्ण इलाका शुष्क बना रहने की संभावनाएं बन रही है। संपूर्ण मैदानी इलाकों यानी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश में अगले 8-10 दिन तक मौसम बिल्कुल साफ और गर्म रहेगा और अधिकतर स्थानों पर अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी दर्ज होगी। क्योंकि इस हफ्ते के शुरुआत से अधिकतम तापमान व न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी होनी शुरू हो जाएगी। यानी आज 15 मार्च के बाद से अधिकतम तापमान में लगातार बढ़ोतरी बड़े पैमाने पर दर्ज की जाएगी और उसके अगले छह-सात दिनों तक बेमौसमी तेज गर्मी का सामना करना पड़ेगा। इस दौरान उत्तर भारत में अधिकतम तापमान 45.0 डिग्री सेल्सियस तक या इससे ऊपर भी जा सकता है।
राजकीय महाविद्यालय के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डॉ. चंद्रमोहन ने बताया कि खासकर राजस्थान और हरियाणा एनसीआर दिल्ली में 35.0 डिग्री सेल्सियस से 45.0 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावनाएं बन रही है। उत्तर भारत में 18 मार्च के आसपास एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ आ सकता है। मगर उसका असर सिर्फ पहाड़ी इलाकों तक ही सीमित रहने की उम्मीद है। मैदानी इलाकों में किसी भी प्रकार की बारिश की गतिविधियों की उम्मीद दूर-दूर तक नहीं है।