कोरोना वैक्सीन ना लगवाने वाले लोगों पर कार्रवाई के आदेश को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती

याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से एक जानकारी का हवाला देकर कहा गया कि ये टीके स्वैच्छिक हैं और इसके लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता।;

Update: 2022-01-21 13:02 GMT

कोविड वैक्सीन ( corona vaccine )  का टीका नहीं लगाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ प्रशासन के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट के वकील नितिन मिट्टू ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर बताया पंजाब सरकार ने मॉल, बाजार, सार्वजनिक परिवहन आदि जैसे सार्वजनिक स्थानों पर केवल टीकाकरण ( दूसरी खुराक लेने ) वाले वयस्क व्यक्तियों को इजाजत दी है। इसके अलावा चंडीगढ़ में स्थित सभी सरकारी/बोर्ड/निगम कार्यालय केवल पूरी तरह से टीकाकरण (दूसरी खुराक) लेने वाले वयस्क व्यक्तियों ( कर्मचारियों सहित ) को जाने की इजाजत दी गई है।

इसके अलावा निजी और सरकारी क्षेत्र के बैंक केवल पूरी तरह से टीकाकरण वयस्क व्यक्तियों ( उनके कर्मचारियों सहित ) को बैंक में आने की इजाजत दे रहे हैं। हरियाणा ने महामारी अलर्ट- सुरक्षित हरियाणा दिशा-निर्देश जारी किया है कि सभी सार्वजनिक स्थानों पर केवल टीकाकरण वाले लोगों को ही अनुमति दी जाए। कोविड-19 टीकाकरण न होने पर नियमों की उल्लंघन करने पर जुर्माना व लागू होने वाले अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ( Union Ministry of Health and Family Welfare ) की तरफ से एक जानकारी का हवाला देकर कहा गया कि ये टीके स्वैच्छिक हैं और इसके लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता। याचिका मेें कहा गया कि डब्ल्यूएचओ का मानना है कि टीका एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बीमारी के प्रसार को नहीं रोकता और इसलिए महामारी को रोकने या सार्वजनिक स्वास्थ्य के संरक्षण की बहुत कम संभावना है व नागरिकों को यह अधिकार है कि उनके शरीर में इंजेक्शन लगाना है या नहीं।

ऐसे में कोविड-19 का टीका नहीं लगाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करना कानूनी तौर पर अनुचित है। याचिका में पंजाब के गृह विभाग के प्रधान सचिव,हरियाणा के मुख्य सचिव व चंडीगढ़ के प्रशास के के सलाहकार को प्रतिवादी बनाया गया है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा पर आधारित बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इसी विषय का एक मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने विचाराधीन है, उस पर अभी कोई फैसला नहीं आया है। इस पर याची पक्ष ने हाई कोर्ट से इस मामले की सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया। इस पर बेंच ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

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