Haryana Politics : रानियां में चौधरी देवीलाल के कुनबे के बीच सियासी जंग के आसार
- रणजीत सिंह के मुकाबले अभय परिवार के सदस्य को उतार सकते हैं चुनावी मैदान में
- भाजपा की टिकट न मिलने पर रणजीत सिंह व गोबिंद कांडा भी ठोक सकते हैं निर्दलीय के तौर पर ताल
- पूर्व मंत्री जगदीश नेहरा के पुत्र संदीप नेहरा कांग्रेस से हो सकते हैं उम्मीदवार
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महाबीर गोदारा. सिरसा। विधानसभा के अगले साल होने वाले चुनावों को लेकर रानियां विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं ने सक्रियता बढ़ा दी है। टिकट के दावेदार नेता अपनी-अपनी दावेदारी ठोकते हुए मतदाताओं में निरंतर पहुंच रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) की बजाए इस बार हलके की सियासी फिजां पूरी तरह से बदली-बदली नजर आ रही है। यहां से रणजीत सिंह चौटाला (Ranjit Singh Chautala) निर्दलीय विधायक हैं और वर्तमान सरकार में बिजली एवं जेल मंत्री हैं। रणजीत सिंह एक बार फिर यहां से चुनावी ताल ठोकेंगे। वहीं इनेलो विधायक अभय चौटाला (Abhay Chautala) के परिवार से ही किसी सदस्य के चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोरों पर हैं। पखवाड़े भर से रणजीत सिंह व अभय चौटाला के बीच सियासी नहीं बल्कि व्यक्तिगत जुबानी हमले भी एक-दूसरे पर किए जा रहे हैं।एक-दूसरे के बीच व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोपों के चलते राजनीतिक गलियारों में चौ. देवीलाल परिवार के एक बार फिर आमने-सामने होने की अटकलों को बल मिल रहा है।
रानियां हलका हमेशा इनेलो का गढ़ रहा है और चौटाला परिवार ने यहां से अनजान चेहरे उतार कर चौ. देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह को सियासी तौर पर पटकनी दी। एक बार कृष्ण कंबोज व अगली बार रामचंद्र कंबोज ने कांग्रेस की टिकट पर लड़ने वाले कद्दावर नेता माने जाने वाले रणजीत सिंह को हरा दिया। पिछली बार चौटाला परिवार में बिखराव हुआ तो यहां से इनेलो व जजपा दोनों बुरी तरह से धरातल पर पहुंच गई जिसका सीधा फायदा रणजीत सिंह को मिला। दो बार हारने के बाद तीसरी बार रणजीत सिंह का कांग्रेस ने 2019 के चुनाव में टिकट काट दिया तो वे आजाद प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे। यहां से जहां भाजपा, कांग्रेस, जजपा व इनेलो की जमानत जब्त हो गई, वहीं हलोपा की टिकट पर लड़ने वाले गोबिंद कांडा भी रणजीत सिंह से करीबन 20 हजार मतों से हार गए। इससे पूर्व के चुनाव में गोबिंद कांडा दूसरे नंबर पर रहे थे और रणजीत सिंह कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर तीसरे नंबर पर चले गए। इनेलो के रामचंद्र कंबोज विधायक बने। रामचंद्र कंबोज अब भाजपा में हैं और पुन: टिकट के लिए प्रबल दावेदार हैं। पिछले दिनों जनसंवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री संतनगर गांव में यह कहते हुए रामचंद्र कंबोज को बिजली मंत्री से आशीर्वाद दिलाने में भी कामयाब हो गए थे कि पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों आमने-सामने लड़े थे अब एक हैं। राजनीतिक प्रवेक्षक इसे मुख्यमंत्री का रामचंद्र कंबोज को आशीर्वाद के तौर पर ले रहे हैं। हालांकि रणजीत सिंह निरंतर भाजपा से संबंध प्रगाढ़ करते जा रहे हैं और उनकी न केवल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बल्कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री से भी अच्छे संबंध हैं। सूत्रों के मुताबिक रणजीत सिंह भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में इस बार उतर सकते हैं और ऐसा न होने पर वे एक बार फिर निर्दलीय तौर पर चुनावी मैदान में ताल ठोकते नजर आएंगे। सूत्रों के मुताबिक वर्करों से इस संबंध में भाजपा व निर्दलीय लड़ने के सवाल पर फीडबैक भी रणजीत सिंह ले रहे हैं।
विधायक बनने के बाद बिजली मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में रानियां नगरपालिका के चेयरमैन का चुनाव हुआ, जिसमें इनेलो समर्थित उम्मीदवार ने जीत दर्ज करते हुए रणजीत सिंह के समर्थक दीपक गाबा को पटकनी दी। वहीं जिला परिषद के चुनाव में भी बिजली मंत्री के समर्थक उम्मीदवार भी बुरी तरह से पराजित हो गए। जिला परिषद के जोन नंबर 6 में अभय चौटाला के पुत्र कर्ण चौटाला विजयी हुए थे। बिजली मंत्री के बेटे गगनदीप ने भी यहां से नामांकन दाखिल किया, लेकिन तकनीकी तौर पर उनका नामांकन रद्द हो गया। इनेलो इस जीत से उत्साहित होकर निरंतर रानियां को अपना फेवरिड हलका मान रही है। अभय चौटाला भी नगर परिषद चेयरमैन व बेटे के पार्षद जीतने के बाद लगातार रिश्ते में चाचा बिजली मंत्री रणजीत सिंह पर पूरी तरह से हमलावर हो गए हैं। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि अभय चौटाला अपने छोटे पुत्र अर्जुन को चाचा रणजीत सिंह के सामने चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। पिछली बार हलोपा की टिकट पर चुनाव हारने वाले गोबिंद कांडा इस समय भाजपा में हैं और उनके बड़े भाई सिरसा से विधायक गोपाल कांडा मनोहर लाल सरकार को बिना शर्त समर्थन दे रहे हैं। भाजपा में शामिल हुए गोबिंद कांडा भी सियासी परिस्थितियों को नजदीकी से समझ रहे हैं। गोबिंद कांडा रानियां से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। अगर उन्हें टिकट नहीं मिलती तो वे निर्दलीय भी मैदान में उतर सकते हैं। एक बार फिर रणजीत सिंह व गोबिंद कांडा आमने-सामने आ सकते हैं।
कांग्रेस में अभी तक इस हलके से कोई बड़ा राजनीतिक चेहरा नहीं है, लेकिन पूर्व मंत्री स्व. जगदीश नेहरा के पुत्र संदीप नेहरा सहायक आबकारी एवं कराधान अधिकारी से स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर 5 जुलाई को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव कुमारी शैलजा के नेतृत्व में पार्टी में शामिल होंगे। संदीप नेहरा के कांगे्रस में शामिल होने के बाद रानियां हलके में कांग्रेस को एक जाना-पहचाना बड़ा राजनीतिक चेहरा मिलने की उम्मीद है। संदीप के पिता जगदीश नेहरा दो बार मंत्री रहे हैं और सिरसा जिला में उन्होंने हमेशा चौ. देवीलाल व चौटाला के खिलाफ राजनीति की। रानियां के बदले सियासी हालात इस बात का संकेत दे रहे हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में रानियां में एक बार फिर चौ. देवीलाल के कुनबा आमने-सामने होगा, वहीं निर्दलीय तौर पर भी बड़े चेहरे चुनावी ताल ठोकते दिखेंगे।