हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ चार्जशीट दायर
यह मामला 30 करोड़ रुपये की कीमत के 14 औद्योगिक प्लॉटों के आवंटन का है। आरोप है कि 2013 में हुड्डा के करीबियों को इन प्लॉट्स का आवंटन किया गया था।;
पंचकूला जमीन घोटाले के केस में ED ने हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। हुड्डा के अलावा ईडी ने 21 अन्य लोगों के नाम भी इस चार्जशीट में शामिल किए हैं। यही नहीं चार्जशीट में शामिल लोगों में 4 पूर्व आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं। अब यह मामला सीबीआई स्पेशल अदालत में चलेगा। जिसमें 18 फरवरी की तारीख भी सुनवाई के लिए तय है।
चार्जशीट में शामिल लोगों में 4 पूर्व अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। उक्त सभी अधिकारी कांग्रेस शासनकाल में मुख्यधारा के अफसरों में गिने जाते थे। पूरा मामला बेहद ही चर्चित औऱ ईडी द्वारा जांच की शुरुआत के कारण भी चर्चाओं में रहा था। पूरे मामले में 30 करोड़ रुपये की कीमत के 14 औद्योगिक प्लॉटों की बंदरबांट अपने चहेतों को कर दी गई थी। आरोप है कि 2013 में हुड्डा के करीबियों को इन प्लॉट्स का आवंटन नियमों के विरुद्ध किया गया था।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा चार्जशीट दायर करने के साथ ही अब उक्त मामला पंचकूला की सीबीआई अदालत में चलेगा। जहां पहले से ही कुछ मामले चले आ रहे हैं। जिन पूर्व अफसरों के नाम इसमें शामिल हैं, धर्मपाल सिंह नागल (पूर्व मुख्य प्रशासक, एचएसवीसी और सुरजीत सिंह (पूर्व प्रशासक,. सुभाष चंद्र कंसल (एचएसवीपी के पूर्व मुख्य वित्त नियंत्रक) और नरेंद्र सिंह सोलंकी फरीदाबाद के पूर्व जोनल प्रशासक के नाम भी शामिल हैं। इनके अलावा भी कईं बड़े नाम हैं। यह मामला 30 करोड़ की कीमत के 14 औद्योगिक प्लॉटों के आवंटन और 2013 करीबियों को इन प्लॉट्स दे दिए जाने के कारण तूल पकड़ गया था।
आरोपितों के खिलाफ पंचकूला इंडस्ट्रियल प्लॉट अलॉटमेंट स्कैम में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) के तहत मुकदमा दायर किया है। ईडी ने राज्य सतर्कता ब्यूरो, हरियाणा के एफआईआर नंबर 09 दिनांक 19.12.2015 के आधार पर जांच शुरू की थी। एफआईआर बाद में सीबीआई को ट्रांसफर कर दी गई थी। सीबीआई ने 120-B, 201, 204, 409, 420, 467, 468, 471, 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था.। ईडी की जांच में पता चला है कि प्लॉट के आवंटन के लिए तय किए मूल्य को सर्कल दर से 4-5 गुना और बाजार दर से 7-8 गुना कम रखा था, इसी के साथ ये भी पता चला है कि आवेदन की आखिरी तारीख के 18 दिन बाद आबंटन का क्राइटेरिया बदल दिया गया था।