गेहूं की पत्तियों के पीला होने के रोग से किसान चिंतित, कृषि विभाग ने दे दिए निवारण के उपाय
गेहूं की फसल के लिए उपयुक्त तापमान 6 डिग्री से 15 डिग्री तक का होता है। तापमान से इससे अधिक व कम होने के कारण गेहूं की फसल की नीचे की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। उन्होंने बताया कि अधिक सर्दी की वजह से गेहूं की फसल की नीचे की पत्तियां पीली पड़ गई है ऐसे में किसानों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं हैं।;
चरखी दादरी/ लोहारू। कुदरत की मार हमेशा किसान को ही झेलनी पड़ती है कभी अधिक बरसात तो कभी पाले की मार से किसान को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। किसान राजेंद्र सिंह, दरिया सिंह, प्रभु दयाल, राजबीर सांगवान, रणधीर सांगवान, जोगेंद्र, बलवान सिंह, सुरेश शेखावत, सुमेर भूरिया, राजकुमार कस्वां, राजेश सिंघानी, रामानंद, विजेंद्र श्योराण, मनोज कुमार आदि ने बताया कि इस रबी के सीजन में गेहूं की फसल की नीचे की पत्तियां पीली हो रही हैं जिससे क्षेत्र का किसान चिंतित है। वहीं कृषि विभाग ने किसानों की इस चिंता को दूर करने के उपाय भी सुझाए हैं किसान कृषि विभाग द्वारा दिए गए टिप्स से अपने गेहूं की फसल को बचा सकते हैं।
खंड कृषि अधिकारी विनोद सांगवान ने बताया इस रबी की सीजन में लोहारू खंड में 28 हजार एकड़ में गेहूं की फसल की बुआई हो रखी है। उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल को कम तापमान की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल के लिए उपयुक्त तापमान 6 डिग्री से 15 डिग्री तक का होता है। तापमान से इससे अधिक व कम होने के कारण गेहूं की फसल की नीचे की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। उन्होंने बताया कि अधिक सर्दी की वजह से गेहूं की फसल की नीचे की पत्तियां पीली पड़ गई है ऐसे में किसानों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं हैं। इसे देखकर क्षेत्र का किसान सान हर बार की भांति चिंतित है इसके मूल कारण की जानकारी के अभाव में कई तरह के उपचार के बावजूद भी सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते।
उन्होंने बताया कि सांगवान ने बताया की अधिक ठंड की वजह से जीवाण्वीय, माइक्रोबियल गतिविधि कम हो जाती है जिसके कारण से नाइट्रोजन का उठाव कम होता है ,पौधे नाइट्रोजन को उपलब्ध रूप में नाइट्रेट में बदल देता है। नाइट्रोजन अत्यधिक गतिशील होने के कारण निचली पत्तियों से ऊपरी पत्तियों की ओर चला जाता है, इसलिए निचली पत्तियां पीली हो जाती हैं। यह कोई बीमारी नहीं है ये पौधे समय के साथ ठीक हो जाते है इसके लिए ढाई किलो यूरिया आधा किलो जिंक 21 प्रतिशत मात्रा में 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर इससे निजात मिल जाएगा। इसके साथ ही अत्यधिक ठंड से गेहूं एवं अन्य फसलों को बचाने के लिए हल्की सिंचाई करनी चाहिए, यथासंभव खेतों के किनारे मेड़ आदि पर धुआं करें। इससे पाला का असर काफी कम पड़ेगा। इससे फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।