Cyber Crime : किराए के बैंक खातों पर चल रहा ठगी का खेल, साइबर ठगों के सामने जागरूकता मुहिम भी फेल

आलम यह है कि रेवाड़ी जिले की औसत पांच से दस लोग साइबर ठगों के हाथों अपनी पूंजी लुटा रहे हैं। साइबर क्राइम के मास्टरमाइंड लोग किराए के बैंक खातों पर फर्जी आईडी की मोबाइल सिम के सहारे अपने काम को अंजाम दे रहे हैं।;

Update: 2023-01-11 08:51 GMT

नरेन्द्र वत्स/ रेवाड़ी। साइबर ठगों से सावधान रहने के लिए पुलिस आमजन को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाती रहती है। गत वर्ष के अंत में आयोजित साइबर माह के दौरान शिक्षण संस्थाओं से लेकर सार्वजनिक स्थानों तक पर पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों को साइबर क्राइम से बचने का पाठ पढ़ाया, परंतु इसका आम लोगों पर कोई खास असर नजर नहीं आया। आलम यह है कि जिले की औसत पांच से दस लोग साइबर ठगों के हाथों अपनी पूंजी लुटा रहे हैं। साइबर क्राइम के मास्टरमाइंड लोग किराए के बैंक खातों पर फर्जी आईडी की मोबाइल सिम के सहारे अपने काम को अंजाम दे रहे हैं।

साउथ रेंज साइबर थाना पुलिस के पास इस समय औसत 5 से 10 शिकायतें ऐसी आ रही हैं, जिनमें लोग खुद ही साइबर क्रिमिनल के हाथों ठगी का शिकार हो रहे हैं। इन शिकायतों की मोटी फाइलों का सुलझाना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। साइबर क्राइम करने वाले लोग आए दिन लोगों को नए-नए तरीके अपनाते हुए उनके हाथों से ही दूसरे बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर कराने में कामयाब हो रहे हैं। जब तक साइबर ठगों के हाथों ठगी का शिकार होने का पता चलता है, तब तक लोग अपना पैसा गंवा चुके होते हैं। अपनी गलती से पैसा गंवाने के बाद लोग पुलिस की एक्सरसाइज बढ़ाने के लिए थानों में शिकायत लेकर पहुंच जाते हैं।

पुलिस सूत्रों के अनुसार गत वर्ष जून माह के बाद बिजली बिलों के नाम पर लोगों को साइबर ठगी का जमकर शिकार बनाया गया। इसके लिए डीजीपी कार्यालय की ओर से प्रदेश स्तर पर एडवाइजरी जारी की गई। जिला स्तर पर पुलिस लोगों को इस तरह की ठगी के प्रति जागरूक करती रही। इसके बावजूद जिला स्तर पर 20 से अधिक लोग इस तरह की ठगी का शिकार हो गए। ऐनी डेस्क एप डाउनलोड कराकर दर्जनों लोगों की मेहनत की कमाई पर साइबर ठगों की कैंची चलती रही। आलम यह है कि जब तक पुलिस ठगों के एक तरीके से लोगों को जागरूक करती है, तब तक वह दूसरा तरीका अपनाकर लोगों को शिकार बना लेते हैं।

तीन हजार रेंट तक हायर कर रहे खाते

साइबर क्राइम एक्सपर्ट अमित कुमार ने बताया कि लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाले ज्यादातर लोग उड़ीसी और पश्चिम बंगाल में फर्जी आईडी के आधार पर सिमकार्ड लेकर अपने खेल को अंजाम देते हैं। यह लोग बैंक खाताधारकों को उनके खाते में राशि ट्रांसफर करने के बदले 2 से 3 हजार रुपए प्रति ट्रांजेक्शन के हिसाब से पैसा देते हैं। सिमकार्ड को उनके खातों से जोड़कर राशि ट्रांसफर कराई जाती है। फर्जी आईडी पर सिम चालू रहने के बावजूद अपराधियों की पहचान करना मुश्किल बना रहता है।

ट्रांजेक्शन के तुरंत बाद खाता खाली

एएसआई अमित कुमार के अनुसार साइबर ठगी का पता लगने के तुरंत बाद साइबर थाना पुलिस की ओर से संबंधित बैंक को वह खाता सीज करने को कहा जाता है, जिसमें ठगी के पैसे ट्रांसफर कराए जाते हैं। इससे पहले ही साइबर ठग संबंधित खाते से ठगी का पैसा साफ करने में कायमाब हो जाते हैं। खाताधारक तक पहुंचने के बावजूद पुलिस के लिए मोबाइल नंबर यूज करने वाले व्यक्ति तक पहुंच पाना आसान नहीं होता। बैंकों से तत्काल पैसे निकालने में दूसरे राज्यों के कुछ बैंकों की भूमिका भी संदेहास्पद मानी जाती रही है।

इन तरीकों से चल रहा ठगी का खेल

  • क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वाने के बहाने करा रहे पैसा ट्रांसफर।
  • जानकार बनकर मोबाइल फोन पर पैसा ट्रांसफर करने के बहाने।
  • मोबाइल फोन पर गुमराह करते हुए एप डाउनलोड करने के बाद।
  • गूगल पर कोरियर या अन्य सर्विस नंबर फर्जी डालकर ठगी।
  • लोन एप के माध्यम से सस्ता लोन देने के बहाने कर रहे ठगी।
  • प्रोडक्ट खरीदने के नाम पर एडवांस में पैसा जमा कराने पर ठगी।
  • बैंक अधिकारी बनकर केवाईसी के बहाने लोगों के साथ ठगी।
  • बिजली बिल भुगतान नहीं करने पर कनेक्शन काटने की धमकी से ठगी।
  • रातों-रात घर बैठे करोड़पति बनाने के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग से ठगी।
  • वीडियोकॉल के जरिए अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग से ठगी।
  • फेसबुक पर विज्ञापन डालकर सस्ता सामान बेचने के नाम पर ठगी।
  • फेसबुक अकाउंट हैक करने के बाद जानकारों से पैसे मांगने की ठगी।
Tags:    

Similar News