खनन क्षेत्र में लगातार टूट रहे नियम यमुना नदी की पहचान बन रहे

खनन करने वाली एजेंसियाें को भी साफ हिदायत है कि खनन करने के लिए वह प्राकृतिक धारा को अवरूद्ध न करें। लेकिन खनन घाट बी-15 पर इन नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। नियमों को ताक पर रखकर खनन एजेंसी द्वारा यमुना नदी की प्राकृतिक धारा को अवरूद्ध किया गया है और बांध बनाकर लगातार नदी में खनन प्रक्रिया जारी है;

Update: 2021-02-08 07:09 GMT

हरिभूमि न्यूज : यमुनानगर (रादौर)

आमतौर पर पावन पवित्र यमुनानदी अपने धार्मिक व जीवनदायी महत्व को लेकर जानी जाती है। लेकिन जठलाना व गुमथला क्षेत्र में यह यमुनानदी अब यहां खनन जोन में टूट रहे नियमों के कारण अधिक प्रसिद्धि प्राप्त करती जा रही है। ऐसा तब हो रहा है जब खनन को लेकर सख्त नियम हैं और नियम न टूटे इसके लिए अलग-अलग घाट पर अलग अलग अधिकारियों की जिम्मेवारी लगाई गई है। लेकिन फिर भी नियम तोड़ रही खनन एजेंसियों के हौसले इतने बुलंद है कि सभी नियम ताक पर रखकर खनन किया जा रहा है और अधिकारी केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं।

हालत अब यह है कि यमुनानदी में न केवल प्राकृतिक धारा से छेड़छाड़ हो रही है वहीं करोड़ों रुपये की लागत से उत्तर प्रदेश व हरियाणा को जोड़ने के लिए नगली घाट पर तैयार हो रहे ओवरब्रिज के पास भी खनन प्रक्रिया जारी है। जबकि नियमानुसार ओवरब्रिज के पास एक निश्चित दूरी तक खनन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। फिर भी यहां ऐसा धडल्ले से किया जा रहा है। जिसको लेकर प्रशासनिक कार्रवाई पर हर बार की तरह इस बार एक प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।

सिंचाई विभाग के नियमों के अनुसार यमुनानदी की प्राकृतिक धारा के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। खनन करने वाली एजेंसियाें को भी साफ हिदायत है कि खनन करने के लिए वह प्राकृतिक धारा को अवरूद्ध न करें। लेकिन खनन घाट बी-15 पर इन नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। नियमों को ताक पर रखकर खनन एजेंसी द्वारा यमुना नदी की प्राकृतिक धारा को अवरूद्ध किया गया है और बांध बनाकर लगातार नदी में खनन प्रक्रिया जारी है। ऐसा रात के अंधेरे में नहीं बल्कि दिन के उजाले में धड़ल्ले से हो रहा है। लेकिन किसी भी अधिकारी को यह दिखाई नहीं दे रहा है।

ओवरब्रिज के लिए भी घातक हैं टूट रहे नियम

नगली घाट पर सरकार की ओर से करीब 104 करोड़ रुपये की लागत से ओवरब्रिज का कार्य करवाया जा रहा है। यह ब्रिज हरियाणा को उत्तरप्रदेश की सीमा से जोड़ेगा। ओवरब्रिज का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि सैकड़ों किसानो की भूमि यमुनानदी पार है। वहां पहुंचने में उन किसानों को अपनी जान का जोखिम उठाना पड़ता है लेकिन ओवरब्रिज बनने से उन्हें राहत मिलेगी। लेकिन इस ओवरब्रिज के तैयार होने से पहले ही इसे नुकसान पहुंचाए जाने की नींव तैयार हो रही है। जिसके पीछे भी खनन एजेंसियों का मनमाना रवैया व अधिकारियों की अनदेखी शामिल है। नियम के अनुसार ओवरब्रिज के दोनों और करीब करीब 1 किलोमीटर तक खनन नहीं किया जा सकता। लेकिन केवल मात्र 100 मीटर की दूरी पर खनन एजेंसी लगातार खनन कर रही है। लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारियों तथा खनन व ओवरब्रिज का निर्माण करवा रहे पीडब्लयूडी विभाग के अधिकारियों की भी इस पर कोई नजर नहीं पड़ रही है।

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