खाद के बिना उगाई जा रही ऑर्गेनिक सब्जियां : पारंपरिक खेती के बाद बागवानी बनी किसानों की पहली पसंद

गांव कंवाली निवासी जागरूक युवा किसान यशपाल खोला ने धारूहेड़ा एग्रो फार्म पर बागवानी खेती करके क्षेत्र के किसानों के लिए एक मिसाल कायम की है। किसान यशपाल खोला को कृषि विभाग की ओर से आर्गेनिक खेती का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया है। य;

Update: 2022-11-26 08:13 GMT

रेवाड़ी। पुराने समय से ही किसान अपनी पारंपरिक खेती के सहारे जीवन यापन करता आ रहा है, लेकिन अब किसान बदलते समय को देखते हुए बागवानी करके अच्छा मुनाफा कमाने लगे है। इसके लिए किसान डीएपी व यूरिया का इस्तेमाल न करके आर्गेनिक खेती को अपना रहे है।

गांव कंवाली निवासी जागरूक युवा किसान यशपाल खोला ने धारूहेड़ा एग्रो फार्म पर बागवानी खेती करके क्षेत्र के किसानों के लिए एक मिसाल कायम की है। किसान यशपाल खोला को कृषि विभाग की ओर से आर्गेनिक खेती का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया है। यशपाल धारूहेड़ा में एग्रो फार्म पर 40 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि पर आर्गेनिक खेती करके मौसमी सब्जियां लगाने के साथ-साथ फूलों की भी पैदावार कर रहा है, जिससे वह हर वर्ष पारंपरिक खेती से भी ज्यादा मुनाफा कमा रहा है।

किसान के कहा कि क्षेत्र के बाकी किसानों को भी अब पारंपरिक खेती का सहारा न लेते हुए बागवानी करके अपनी आय में बढ़ोतरी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान को मौसमी सब्जियां लगाकर अपनी आय को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। सर्दी के मौसम में उन्होंने अपने फार्म पर मूली, शलगम, चुकंदर, घीया, तोरी, टमाटर,गोभी, प्याज, आलू, पालक, मेथी, तरबूज, खरबूजा, गाजर, ब्रोकोली सहित अनेक देशी व विदेशी सब्जियां उगाई हुई है, जिन्हें वह जिले के अलावा गुरुग्राम व दिल्ली भी भेजते हैं। उन्होंने कहा कि वह पिछले कई वर्षों से बागवानी खेती कर रहे हैं साथ ही ऑर्गेनिक खेती करके उपजाऊ भूमि को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ वह लोगों के स्वास्थ्य का भी ध्यान रख रहे हैं। उन्होंने बाकी किसानों से भी ऑर्गेनिक खेती करने का आग्रह किया है।

स्वयं तैयार करते है कीटनाशक व प्राकृतिक खाद

यशपाल ने बताया कि उनके पास रेवाड़ी के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों से भी किसान प्रशिक्षण लेने आते हैं, जिन्हें वह ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्रशिक्षण देते है। साथ ही वह कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को भी ऑर्गेनिक खेती की जानकारी दे रहे हैं। किसान ने बताया कि मिश्रित खेती किसान को कम जमीन में अच्छी आमदनी दे सकती है। जैसे कि इस समय सरसों के साथ-साथ उसमें चने, मूली, चुकंदर, शलगम या फिर दूसरी सब्जियां लगाई जाए तो आमदनी कई गुना ज्यादा हो जाती है। उन्होंने बताया कि वह फसलों में कीट प्रबंधन के लिए स्वयं ही कीटनाशक व प्राकृतिक खाद तैयार करते हैं। वह खेती में निमाअस्त्रा, ब्रह्मास्त्रा, जीवामृत गोकृपा अमृत, वैस्ट डी कंपोजर आदि का खेती मे प्रयोग करते है व आने वाले खर्च को कम करते हुए अच्छी पैदावार कर लेते हैं।

कई अवार्ड ले चुक हैं यशपाल

युवा किसान यशपाल के इस जज्बे को देखते हुए राज्य सरकार ने उनको कृषि रत्न अवार्ड भी दिया है तथा वह प्रशासन की ओर से भी कई अवार्ड ले चुके है। उनको आर्गेनिक खेती करने में फार्म डायरेक्टर राव संजय से सहयोग मिलता रहता है। किसान यशपाल ने क्षेत्र के किसानों से अपील करते हुए कहा कि वह यूरिया और डीएपी के बगैर भी अच्छी पैदावार ले रहे हैं। उन्होंने किसानों से ऑर्गेनिक खेती को अपनाने का आग्रह किया है।

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