हरियाणा में हिंदू-मुस्लिम एकता की जीती जागती मिसाल है बाबा शाह कमाल लाल की दरगाह, 28 से लगेगा सालाना उर्स मेला

कैथल शहर के जवाहर पार्क में बाबा शाह कमाल लाल दयाल की दरगाह हिन्दू-मुस्लिम एकता की एक जीती जगती मिसाल है। हर सप्ताह वीरवार को यहां भक्तों का हजूम उमड़ पड़ता है और लोग बड़ी श्रद्धा आस्था से इस दरगाह पर माथा टेकते हैं।;

Update: 2022-03-27 17:11 GMT

सूरज सहारण : कैथल

अनेकता में एकता के सूत्र को पिरोए भारत विश्व का एक मात्र ऐसा देश है जिसमें अनेक धर्मों, वर्गों तथा समुदायों के लोग अति प्राचीन काल से साथ रहते रहे हैं। समय की करवट के साथ ही अनेक पैंगम्बर, सूफी संतों और फकीरों ने इस पवन भूमि में अवतरित हुए हैं, जिन्होंने कोमी एकता एयर सौहार्द को बनाए रखने के लिए अनेकों कलामों , कविताओं और वाणियों के माध्यम से जनमानस की एक सूत्र में बांधने में मिसाल कायम की है। इसी कड़ी में कैथल के बाबा शाह कमाल शाह का नाम भी सभी धर्मों के लोगों में बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से लिया जाता है।

कैथल शहर के जवाहर पार्क में बाबा शाह कमाल लाल दयाल की दरगाह हिन्दू-मुस्लिम एकता की एक जीती जगती मिसाल है। हर सप्ताह वीरवार को यहां भक्तों का हजूम उमड़ पड़ता है और लोग बड़ी श्रद्धा आस्था से इस दरगाह पर माथा टेकते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि सच्चे मन से मांगे जानी हर मुराद यहां पूरी होती है। गौरतलब है की इस दरगाह का रखरखाव लम्बे समेत से हिन ही करते आए हैं। गौरतलब है कि लगभग पिछले 25 वर्षों तक दरगाह की देखभाल हिन्दू भक्त स्वर्गिय रोशन लाल गुप्ता करते रहे उनके पश्चात दरगाहो का रखरखाव स्वर्गीय बाबा कुलवंत शाह करते रहे और अब इस दरगाह के देखभाल बाबा रजनीश कर रहे हैं।

बाबा शाह का जन्म बगदाद में हुआ था और बाबा शाह कमल कादरी लगभग 440 वर्ष पूर्व बगदाद से यहां आये थे। ऐसा मानना है कि बाबा ने जन्म से ही बड़े करिश्मे दिखने शुरू कर दिए थे। कालांतर में बाबा शाह ईरान से चलकर लुधियाना में पांच वर्ष तक रहे। उनकी मुलाकात बाबा लाल दयाल से हुई। बाबा लाल दयाल से गढ़ी दोस्ती के कारण बाबा शाह कमल ने अपने नाम के आगे लाल दयाल जोड़ लिया। इस बाद बाबा कैथल आकर बस गए यहां बाबा की दोस्ती हिन्दुओं के जाने माने संत बाबा शीतल पूरी से हो गई। उस समय कैथल में हिन्दुओं के जाने माने संत बाबा शीतल पूरी की तूती बोलती थी।

बाबा जी उस समय अनेक सामाजिक बुराइयों से लड़ रहे थे और हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन को रोकने में लगे हुए थे। दोनों बाबाओं ने एक दूसरे की ताकत को देखते हुए दोनों आपस में पगड़ी बदल भाई बन गए। बाबा शीतल पूरी और बाबा शाह कमाल की दोस्ती की आज भी लोग मिसाल देते है , इतना ही नहीं बल्कि आज भी बाबा शीतल पूरी के डेरे पर होने वाले मेले के अवसर पर बाबा शाह कमल की दरगाह से श्रद्धा स्वरूप केसरी पगड़ी भेट की जाती है और बाबा शाह कमल के सालाना उर्स मेले के अवसर पर सब से पहले बाबा शीतल पूरी के डेरे से आई हुई नीली चादर चढाई जाती है।

बाबा शाह कमाल की दरगाह पर लगता है सालान उर्स मेला

हर वर्ष 28 मार्च से 30 मार्च को बाबा शाह कमाल की दरगाह पर प्रतिवर्ष उर्स मेला लगता है जिसमें देश विदेश से लाखो श्रद्धालु दरगाह पर पूजा अर्चना करने आते हैं। बाबा शाह कमाल की 13वीं पुस्त के गिलानी सरकार साहब जो इस समय पाकिस्तान में डेरा गाजीखान की दरगाह के गद्दी नशीन है और 14 पुस्त के सलमान मोहसीन पकिस्तान में डेरा कबूला शरीफ , पाकपटन और भावलपुर की बड़ी दरगाहो के गद्दी नशीन है और उनकी गिनती पकिस्तान के अमीर लोगो में होती है। सलमान मोहसीन राजनीती में भी काफी सक्रिय है और पाकपटन संसदीय सीट से सब से छोटी उम्र के सांसद भी चुने गए थे।

गिलानी सरकार साहब और सलमान मोहसीन दोनों अपने परिवार के सदस्यों के साथ कई बार सालन उर्स में शामिल होने भी आते रहे हैं। यह जब भी कैथल आते हैं तो कैथल के सभी मंदिरों, गुरुद्वारों और दरगाहों पर जाते हैं। इनके कैथल के कई परिवारों से आज भी गहरे रिश्ते है जोकि दु:ख सुख , विवाह शादी के एक दूसरे के यहां आते जाते हैं। बाबा शाह के उर्स मेले पर तीन दिन रात को देश के जाने माने कव्वालों द्वारा कवलिया पेश की जाती हैं। इस बार उर्स मेले में विश्व के जाने मने कव्वाल जनाब असलम साबरी आ रहे रहे जिन्हें सुनने के लिए लोग काफी बेताब है। उर्स मेले के अवसर पर तीनों दिन लगातार भंडारा किया जाता है। 28 मार्च से तीस मार्च को बाबा शाह कमाल की दरगाह पर सालन उर्स मेला के अवसर पर दरगाह को भव्य ढंग सजाया जाता है।

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