दशमलव ने खड़ा किया बड़ा बखेड़ा, अरबों में पहुंचा करोड़ों का बजट, जानिए क्या है पूरा मामला

सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई बजट राशि की आरटीआई में दशमलव न लगाए जाने पर बखेड़ा खड़ा हो गया। आरटीआई में दी गई जानकारी बजट राशि में बिंदू न लगाए जाने पर छह करोड़ का बजट 677 करोड़ का हो गया।;

Update: 2022-07-29 12:34 GMT

हरिभूमि न्यूज  : जींद

सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई बजट राशि की आरटीआई में दशमलव न लगाए जाने पर बखेड़ा खड़ा हो गया। आरटीआई में दी गई जानकारी बजट राशि में बिंदू न लगाए जाने पर छह करोड़ का बजट 677 करोड़ का हो गया। आरटीआई लगाने वाले व्यक्ति का कहना है कि अगर नगर परिषद को 677 करोड़ 26 हजार 829 रुपये की राशि मिली है तो वह कहां पर खर्च की गई। उस राशि का रिकार्ड भी नगर परिषद के पास नहीं है। अगर नगर परिषद के पास आरटीआई में दी गई जानकारी की राशि नहीं आई तो फिर झूठी जानकारी क्यों दी गई। इस मामले में उसने राज्य सूचना आयुक्त को शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।

यह है मामला

अमृत योजना के तहत जींद शहर में नगर परिषद द्वारा सीवर लाइन डलवाई जा रही है। अशोक मित्तल ने साल 2020 में नगर परिषद ने आरटीआई के तहत सूचना मांगी थी। जिसमें नगर परिषद ने जानकारी दी थी कि अमृत योजना के तहत सीवर लाइन डालने के लिए एग्रीमेंट राशि छह अरब 77 करोड़ 26 हजार 829 रुपये है। अलग-अलग तिथि में ठेकेदार को छह करोड़ 60 लाख 84 हजार 727 रुपये का भुगतान किया जा चुका है। उसके बाद दोबारा सूचना मांगने पर इस साल 30 मई को नगर परिषद ने जानकारी दी कि अमृत योजना के तहत नगर परिषद जींद में सीवरेज सिस्टम के लिए 677 करोड़ 26 हजार 829 रुपये की राशि सरकार से कभी भी प्राप्त नहीं हुई थी। आरटीआई कार्यकर्ता अशोक मित्तल का कहना है कि नगर परिषद अधिकारी पहले दी जानकारी में 677 करोड़ 26 हजार 829 रुपये का बजट आने की बात स्वीकार कर रहे हैं और ठेकेदार ने 36 लाख 31 हजार रुपये सिक्योरिटी राशि भी जमा कराई हुई है। ऐसे में इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है।

इस मामले में उसने मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और शहरी स्थानीय निकाय विभाग निदेशक को भी शिकायत भेजी है। जिसमें कहा है कि एक ही मामले में दो अलग-अलग सूचनाएं एक ही कार्यालय द्वारा दी गई हैं। जिसमें से कौन सी झूठी है और कौन सी सही है, पता नहीं लगाया जा सकता। इसमें कहीं ना कहीं सरकारी राशि का दुरुपयोग दिखाई दे रहा है जोकि एक गंभीर मामला है। उन्होंने आरोप भी लगाया कि इस समय शहर में अमृत योजना के तहत रबड़ के काले रंग के पाइप डाले जा रहे हैं। जो बिल्कुल कामयाब नहीं हैं। जगह-जगह लीकेज हो रही है। कार्य भी लापरवाही से किया जा रहा है। इसलिए दोनों सूचनाओं को ध्यान में रखते हुए किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से इसकी जांच कराई जानी चाहिए। अशोक मित्तल ने बताया कि इस मामले में उनकी शिकायत पर राज्य सूचना आयुक्त की तरफ से नगर परिषद को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा हुआ है। सरकार द्वारा निष्पक्ष रूप से जांच नहीं कराई जाती है तो वे हाईकोर्ट में याचिका लगाएंगे।

लिपिकीय गलती के कारण हुआ ऐसा : सुशील कुमार

नगर परिषद कार्यकारी अधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि आरटीआई के तहत जो जानकारी दी गई है उसमें लिपिकीय गलती के कारण ज्यादा राशि दर्शाई गई है। दशमलव न लगाए जाने के कारण यह संशय पैदा हुआ है। सीवरेज के लिए अमृत योजना के तहत सरकार से 677 करोड़ रुपये प्राप्त नहीं हुए हैं। यह राशि छह करोड़ 77 लाख 268 रुपये है। इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है। जिससे भी ये गलती हुई हैए उसे दुरुस्त करवाया जाएगा।

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