मेडिकल कालेजों में फीस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग

जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा के राज्य कोर कमेटी सदस्य डॉ आर.एस. दहिया ने कहा हरियाणा सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस (MBBS) के पाठ्यक्रम की फीस में बीस गुना बढ़ोतरी का विरोध करता है।;

Update: 2020-11-11 14:51 GMT

जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस (MBBS) के पाठ्यक्रम की फीस में बीस गुना बढ़ोतरी का विरोध करता है। जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा राज्य कोर कमेटी सदस्य डॉ आर.एस. दहिया ने कहा कि यह फीस वर्तमान में 53 हजार रुपये है। अब इस सत्र से एमबीबीएस में हरियाणा मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाने वाले प्रत्येक छात्र को हर साल 10 लाख रूपये बांड जमा करना होगा। इसमें उस वर्ष का शुल्क भी शामिल होगा। पहले साल की फीस अब 80000 रुपये, द्वितीय वर्ष 88000 रुपये, तीसरे वर्ष 96000 और अंतिम वर्ष की फीस 1,64680 रुपये होगी। यह इसी सत्र से लागू होगा। पूरे एमबीबीएस कोर्स की फीस अब 3,71,280 रुपये होगी।

इसके हिसाब से पूरे कोर्स के लिए हर साल बांड की राशि फीस के अलावा पहले साल में 9,20,000 रुपये, दूसरे साल में 9,12,000 रूपये, तीसरे साल में 9,03, 200 रुपये और चौथे साल में 8,93,520 रुपये होगी। इस प्रकार पूरे कोर्स के लिए बांड राशि 36, 28, 720 लाख रुपये होगी। यह फीस इसी सेशन से लागू होगी। पीजी कोर्स की फीस में भी बढ़ोतरी की गई है । पहले साल की फीस 1.25 लाख रुपये,दूसरे साल की फीस 1.50 लाख रुपये और तीसरे साल की फीस 1.75 लाख रुपये होगी।यह फीस अगले सेशन से लागू होगी।

बांड के रूप में सरकार हर साल 10 लाख रुपये की व्यवस्था करने में सहायता करेगी।चार साल में कुल 40,लाख रूपये का कर्ज लोन होगा (फीस का 3,71280) और बाकी 36,28,720 का कर्ज होगा।) लोन पर 6% ब्याज लगभग 15 लाख होगा। इसलिए उम्मीदवार को लगभग 55 लाख का भुगतान पास होने के एक साल बाद से वापस करना शुरू करना होगा। अगर वह हरियाणा सरकार में नौकरी करता है तो सरकार बांड की किस्तों का ब्याज समेत भुगतान करेगी ।

जो डॉक्टर पास होने के बाद हरियाणा सरकार की नौकरी नहीं करता तो उसे एक साल के बाद किश्तों का हर साल भुगतान करके 7 साल में पूरा भुगतान करना होगा।लेकिन सरकार हर एमबीबीएस किये डॉक्टर को नौकरी देने के लिए बाध्य नहीं है। वैसे भी इतनी सरकारी जॉब सरकार के पास हैं ही नहीं कि वह सभी पास आउट्स को नौकरी दे सके। ज्यादा से ज्यादा 10 प्रतिशत को ही नौकरी मिल पाएगी।

इसमें सबसे सोचनीय बात यह है की 8 साल के बाद बांड पूरा करने के बाद वह डॉक्टर पी जी करने के लिए काबिल हो पायेगा। कितना कष्टदायक होगा उसके लिए यह हम नहीं सोच सकते। यह एक तरह की हायर एजुकेशन प्राप्त करने पर बंदिश है उसके लिए। इस तरह का बांड सिस्टम हिंदुस्तान के किसी भी और राज्य में नहीं है। इस का मतलब यह भी है कि इससे प्राइवेट मेडिकल कालेजों को बढ़ावा मिलेगा। 

जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा की मांग है कि एमबीबीएस कोर्स और पीजी पाठ्यक्रमों की फीस बढ़ाने के इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। हम अलग-अलग संगठनों से और जनता से आग्रह करते हैं कि वे सरकार की फीस में इस वृद्धि का विरोध करने के लिए आगे आएं। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य मंत्री से भी अपील है कि इस फीस की बढ़त के आर्डर को वापस लिया जाए।

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