Cycle पर दुनिया नापने निकले हरियाणा के ये डॉक्टर, 70 देश कर चुके कवर, साइकिल बाबा के नाम से पहचान

फतेहाबाद जिले के छोटे से कस्बे भूना के रहने वाले इसी प्रकार के एक किरदार साइकिल बाबा ने 2030 तक सारी दुनिया साइकिल से नापने का संकल्प ले रखा है।;

Update: 2022-06-04 06:07 GMT

योगेंद्र शर्मा  : चंडीगढ़

इंसान अगर ठान ले तो कोई भी चीज मुमकिन है। फतेहाबाद जिले के छोटे से कस्बे भूना के रहने वाले इसी प्रकार के एक किरदार साइकिल बाबा ने 2030 तक सारी दुनिया साइकिल से नापने का संकल्प ले रखा है। अभी तक वे लगभग 70 देश कवर कर चुके हैं, उन्होंने अपनी इस यात्रा की शुरुआत 2016 में की थी जिसके बाद लॉकडाउन और कोविड-19 संक्रमण महामारी के दौरान भी साइकिल का पहिया नहीं थमा। साइकिल लेकर निकले डॉक्टर राज अभी तक एक लाख से ज्यादा पौधारोपण कर चुके हैं और विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में इस प्रकार के कार्य करने की प्रेरणा दे चुके हैं।

डॉ राज ने हरिभूमि से बातचीत के दौरान बताया कि उनका जीवन कई प्रकार की चुनौतियों से भरा हुआ है। पिता को ऑपरेटिव बैंक में काम करते थे कैंसर होने के बाद 2015 में दुनिया छोड़ गए इसी प्रकार माता भी हार्टअटैक से पिता से 1 साल पहले स्वर्ग सिधार गई। शादीशुदा और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से आयुर्वेद में एमडी की डिग्री करने वाले डॉक्टर राज को लोग इन दिनों साइकिल बाबा बोलने लगे हैं। उनके जीवन का दुखद पहलू यह है कि पत्नी भी एक सड़क दुर्घटना के दौरान वर्ष 2008 में तलवंडी के पास स्वर्ग सिधार गई थी। तमाम कठिनाइयों और चुनौतियों के बीच उन्होंने 1 दिन साइकिल लेकर अकेले ही नापने का सपना देखा।

सपना देखने के बाद डॉ राज ने वर्ष 2016 में अपनी साइकिल यात्रा की शुरुआत की। सबसे पहले उन्होंने सुरली कंपनी की अपनी एक साइकिल को मॉडिफाई कराया और उस पर 40 से 50 किलो सामान लेकर भारत के अंदर भ्रमण किया। इसके बाद डॉ राज ने अब विदेशी धरती पर भी साइकिल चलाने का संकल्प लिया, उसी संकल्प को पूरा करने के लिए श्रीलंका, भूटान, नेपाल सहित दर्जनों देशों में यात्रा की। अपने इस शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने इस पर होने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए कुछ जमीन भी बेच दी। डॉक्टर राज बताते हैं कि उनके पिता राम सिंह की तीन संतान जिसमें दो भाई और एक उनकी बहन है।

इस समय साउथ अफ्रीका और नीदरलैंड जैसे देशों से गुजर रहे डॉ राज ने फोन पर हरिभूमि से विशेष बातचीत की साथ ही बताया कि ईरान समय कुछ देशों के कटु अनुभव भी उनके साथ जुड़े हैं लेकिन यह घटनाएं उनका मनोबल नहीं तोड़ सकी। इन घटनाओं में मोबाइल पैसा छीनकर उनको नुकसान पहुंचाना लेकिन उसके बावजूद सब कुछ ठीक है । डॉ राज का कहना है कि एक लाख से ज्यादा पौधारोपण करवाकर काफी खुश हैं और युवाओं को इस की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने बताया कि कोविड-19 संक्रमण के दौरान भी नीदरलैंड और इंग्लैंड मेव साइकिल चलाकर अपने संकल्प को पूरा करने की जिद पर अड़े थे। भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने वाले डॉक्टर राज 1 माह तक एक होटल में रहे थे बाद में भारत वापस लौट आए और वंदे मातरम फ्लाइट उनका सहारा बनी लेकिन माहौल ठीक होते ही दोबारा साइकिल उठाकर निकल पड़े।

डॉ राज ने दूसरी बार की यात्रा के दौरान भी कई देशों की जीत आदि को कवर कर लिया है और इस दौरान उन पर कोरोनावायरस हमला बोला लेकिन सब कुछ ठीक रहा। उनका कहना है कि वह दक्षिण अफ्रीका देश की यात्रा पर इन दिनों हैं और इसकी राजधानी कैपटाउन में घूमने के बाद अगले देश में जाएंगे। वर्ष 2030 तक पूरी दुनिया के 200 देश घूमने के बाद डॉक्टर राज वापस आना चाहते हैं।। कुल मिलाकर फतेहाबाद के पास गुना कस्बे के रहने वाले डॉक्टर राज बताते हैं कि साइकिल चलाने की प्रेरणा उनके अपने मन का ख्याल और अचानक एक दिन कुछ कर गुजरने के संकल्प के साथ हुआ है।

Tags:    

Similar News