अग्रोहा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने बिना ऑपरेशन बच्चे के पेट से सेफ्टी पिन निकालकर बचाई जान
महाविद्यालय की निदेशक डॉ. अलका छाबड़ा ने बताया कि गैस्ट्रो विभाग से डॉ. दिव्य सोईन ने एंडोस्कोपी के जरिए बिना ऑपरेशन एक बच्चे के पेट से सेफ्टी पिन निकाल कर बच्चे के परिवार को काफी राहत दी है। उन्होंने बताया कि बच्चे के माता पिता काफी अस्पतालों में इलाज के लिए गए, लेकिन सभी ने बच्चे का ऑपरेशन और भारी भरकम खर्च ही उपाय बताया।;
हिसार : महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज ने एक बार फिर अपने आदर्शों के अनुरूप हर व्यक्ति को नाम मात्र या मुफ्त इलाज की इबारत में एक और कारनामा जोड़ लिया है। महाविद्यालय की निदेशक डॉ. अलका छाबड़ा ने बताया कि गैस्ट्रो विभाग से डॉ. दिव्य सोईन ने एंडोस्कोपी के जरिए बिना ऑपरेशन एक बच्चे के पेट से सेफ्टी पिन निकाल कर बच्चे के परिवार को काफी राहत दी है। उन्होंने बताया कि बच्चे के माता पिता काफी अस्पतालों में इलाज के लिए गए, लेकिन सभी ने बच्चे का ऑपरेशन और भारी भरकम खर्च ही उपाय बताया।
बच्चे के हताश पिता ने इसी दौरान अग्रोहा मेडिकल में भी बात कि जिसके बाद बच्चे की रिपोर्ट्स देख कर डॉ. दिव्य सोईन ने उन्हें बताया कि बिना ऑपरेशन एंडोस्कोपी के जरिए भी बच्चे के पेट से पिन को निकाला जा सकता है। जिसके बाद बच्चे को मेडिकल में दाखिल कराया गया और उसका सफल इलाज किया गया और हर बार की तरह ये साबित किया कि अग्रोहा मेडिकल क्षेत्र में हर व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा अस्पताल है।
इस दौरान बच्चे के परिवार ने भी मेडिकल के डॉक्टर्स और स्टाफ के सहयोग के लिए प्रशंसा की और बताया कि जहां हिसार के दूसरे अस्पताल भारी खर्चा कर ऑपरेशन करने पर दबाव दे रहे थे। वहीं, अग्रोहा मेडिकल कॉलेज ने बिना ऑपरेशन और बिना किसी खर्चे के ही पिन निकाल दी। उन्होंने कहा कि अग्रोहा मेडिकल मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के लिए अंधेरे में रोशनी की किरण है।
डॉक्टर्स के इस प्रयास की सराहना करते हुए निदेशक प्रशासन डॉ. आशुतोष शर्मा ने भी सभी को बधाई दी और कहा कि अग्रोहा मेडिकल कॉलेज हमेशा लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देने के लिए प्रतिबद्ध है और हमेशा अपनी सेवाओं से प्रदेश को निरोगी बनाने में लगा रहेगा। उन्होंने बताया कि गैस्ट्रो विभाग एंडोस्कोपी के जरिए कई सालों से कैंसर का पता लगाना, सिक्के, पिन इत्यादि निकालना और तमाम तरह के इलाज करता रहता है। इस वर्ष 2022-23 में भी विभाग ने 1300 से ज्यादा एंडोस्कोपी कर लोगों का इलाज किया है।
इस इलाज के दौरान एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. संजीव, डॉ. ऋषभ, डॉ. मनप्रीत, डॉ. सोनल, शिशु रोग विभाग से डॉ. कर्णिका, डॉ. नुपुर, डॉ. आयुष और डॉ. किरण का भी महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा।