भारत मित्र स्तम्भ का लोकार्पण : Mohan Bhagwat बोले, भारत की सांस्कृतिक विरासत सदा महान रही, पूरे विश्व ने किया अनुसरण
- आरएसएस प्रमुख ने खांडा खेड़ी में किया भारत मित्र स्तम्भ का लोकार्पण, किया अवलोकन
- कार्यक्रम में पहुंचने पर पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने किया आरएसएस प्रमुख का स्वागत
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Hisar : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि विश्व आज विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है। परिवार टूट रहे है, बच्चो के हाथों में हथियार है। कोरोना के बाद स्थिति और भी गंभीर हुई है। कलयुग में भारत की स्थिति अन्य देशों की तुलना में काफी अच्छी है। हमारे यहां परिवार संस्कृति व संबंध कायम है, फिर भी देश को आगे बढ़ाना है तो हमें मित्रसेन आर्य जैसे लोगों के विचारों को आगे बढ़ाना होगा। जो समाज व देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहते है। वे वीरवार को गाव खांडाखेड़ी में भारत मित्र स्तंभ का उद्घाटन करने पहुंचे थे। उन्होंने भारत मित्र स्तंभ का अवलोकन भी किया।
कार्यक्रम में पहुंचने पर वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत का स्वागत किया। यहां पहुंचते ही आरएसएस प्रमुख ने सबसे पहले भारत मित्र स्तम्भ का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि यह सोने का समय नहीं बल्कि जागने का समय है, यह हर पुरुषार्थ को सिखाना होगा। नीति व संस्कारों को प्राथमिकता देनी होगी। मोबाइल युग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज ऐसे हालत हो गए हैं कि दो चार लोग यदि एक साथ बैठे हैं तो भी आपस में बात नहीं करेंगे बल्कि अपने - अपने मोबाइल पर लगे रहेंगे। उन्होंने खांडा खेड़ी में बनाए गए भारत मित्र स्तम्भ की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह स्तम्भ अपने आप में भारत की सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए हैं। बच्चों को इस स्तम्भ की यात्रा करनी चाहिए, उन्हें भारत की सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराना चाहिए, तभी तो वे जान पाएंगे कि हमारा देश व संस्कृति क्या थी।
उन्होंने कहा कि हमें ऐसे लोग व समाज चाहिए जो अच्छे काम को अच्छा बता सके, यह कहने वाले चाहिए कि आपने दो कदम रखे हैं, हम आपके साथ चार कदम रखते हैं। यह केवल उनका भाषण नहीं है, उनके मन की बात है और भावों में व्यक्त की है। भारत मित्र स्तम्भ की स्थापना व स्व. चौधरी मित्रसेन के परिवार की एकजुटता से हमें सीख लेनी चाहिए।उन्होंने कहा कि प्रमुख आर्य समाजी चौधरी मित्रसेन से भले ही दो बार मिलना हुआ हो, परतु खांडा खेड़ी में भारत मित्र स्तंभ देखकर न केवल मित्रसेन के जीवन परिचय, बल्कि भारत की संस्कृति व सभ्यता के भी दर्शन हो गए। हमारी नई पीढ़ी को संस्कार, संस्कृति व सभ्यता से जोड़ने के लिए देश में मित्रसेन के पदचिन्ह पर चलना चाहिए। समाज में महापुरूषों का अनुसरण करने का प्रयास करने वाले बहुत से लोग हैं। बस जरूरत उनका हौसला बढ़ाने की है, ताकि वह और अधिक उत्साह के साथ काम कर सके।
भारत मित्र स्तंभ में स्थापित चौधरी मित्र सेन की प्रतिमा के साथ आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत व स्वामी रामदेव।
कार्यक्रम के दौरान योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि स्व. चौधरी मित्रसेन के परिवार के प्रति उनका आत्मीय भाव है। कल तक उनका यहां आने का कोई कार्यक्रम नहीं था परन्तु वे अपने को रोक नहीं पाए। स्व. चौधरी मित्रसेन से उनकी कई-कई घंटे बात होती थी और मित्रसेन हमेशा उनसे अपने बेटों-बेटियों की तरह स्नेह रखते थे। आज के समय में संयुक्त परिवार मिलना व परिवार को संयुक्त रखना बहुत बड़ी बात है, लेकिन मित्रसेन के परिवार में हमें यह सब देखने को मिल जाता है। बड़ी माता परमेश्वरी देवी व छोटी माता सरोज ने पूरे परिवार को जोड़कर रखा है, वह सराहनीय है। स्व. चौधरी मित्रसेन के सपनों का आर्य समाज व सपनों का भारत बनाने के लिए हमें एकजुटता से काम करना होगा, अपनी संस्कृति को पहचानना होगा और भारत मित्र स्तम्भ के रूप में उनके पुत्रों ने जो तोहफा दिया है, उससे हमें जन-जन को अवगत कराना होगा। यह स्तम्भ हमें हमारी विरासत व संस्कृति से अवगत करवाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री डॉ. सुकामा ने कहा कि भारत मित्र स्तम्भ के लोकार्पण अवसर पर पहुंचकर वे अपने को धन्य मानती है। यहां पर उन्हें आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत, योग गुरु स्वामी रामदेव, आर्य समाज के विद्वानों, सन्यासियों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि स्व. चौधरी मित्रसेन आर्य के पुत्रों ने हमें भारत मित्र स्तम्भ के रूप में प्रकाश स्तम्भ दिया है, जिससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।
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