MDU की आर्थिक स्थिति खा रही है हिचकोले : कर्मचारी जून के वेतन की न करें चिंता, सरकार ने 23.75 करोड़ रुपये का बजट जारी किया
यह बजट जारी होने के बाद ही मई की सेलरी यूनिवर्सिटी दे पाई है। कर्मचारियों को वेतन और दूसरे खर्चे के लिए विश्वविद्यालय को हर महीने 11-12 करोड़ की जरूरत होती है। इस हिसाब से देखा जाए तो जून की सैलरी को लेकर फिलहाल कोई संकट नहीं है।;
अमरजीत एस गिल : रोहतक
आर्थिक स्थिति डांवाडोल होने की वजह से महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय कर्मचारियों को मई का वेतन देरी से मिला। कर्मियों को फिलहाल जून के वेतन की चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि सरकार ने यूनिवर्सिटी को 23.75 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया है। यह बजट जारी होने के बाद ही मई की सेलरी यूनिवर्सिटी दे पाई है। कर्मचारियों को वेतन और दूसरे खर्चे के लिए विश्वविद्यालय को हर महीने 11-12 करोड़ की जरूरत होती है। इस हिसाब से देखा जाए तो जून की सैलरी को लेकर फिलहाल कोई संकट नहीं है। इसके बाद जो होना है, वह कर्मियाें के सामने ही होगा। क्योंकि यूनिवर्सिटी की माली सेहत ठीक नहीं है। बेशक एमडीयू ए प्लस ग्रेड की हो। मालूम हो कि कुछ समय पहले एमडीयू ने राज्य सरकार से 95 करोड़ रुपये के बजट मांग की थी। लेकिन सरकार ने सरकार को बजट देने की बजाय अप्रैल के पहले सप्ताह में पत्र भेजा कि अब विश्वविद्यालयों को कर्ज मिलेगा, न कि बजट। इसके विरोध में यूनिवर्सिटी कर्मचारियों ने हो-हल्ला मचा दिया।
1200 नियमित कर्मचारी
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक 1200 नियमित कर्मचारियों को मई का वेतन देने के बाद यूनिवर्सिटी के खाते में फिलहाल 10-12 करोड़ रुपये शेष हैं। नियमित कर्मचारियों में 338 शिक्षक भी शामिल हैं। ठेके पर कार्य कर रहे कर्मियाें को अभी तक मई का वेतन नहीं दिया गया है।
जुलाई-अगस्त में होती है कमाई
चूंकि जुलाई अगस्त में शिक्षण संस्थाओं में दाखिला प्रक्रिया शुरू होती है। इसलिए विश्वविद्यालय की पांचों ऊंगलियां घी में पहुंचनी शुरू हो जाती हैं। इस बार फीस में बढ़ोतरी की गई है। इसलिए चालू वित्तीय वर्ष में करीब 116 करोड़ रुपये की आमदनी होने की उम्मीद। इस आमदन के बाद भी यूनिवर्सिटी को सरकार पर ही निर्भर रहना पड़ता है। क्योंकि एक साल में वेतन के रूप में यूनिवर्सिटी ने 140-145 करोड़ रुपये देने होते हैं। कुल मिलाकर फीस से तो कर्मचारियों की सेलरी भी पूरी नहीं होती है। ऐसे में विश्वविद्यालय में निर्माण संबंधित कार्य सरकार के बजट से ही करवाने होते हैं। चूंकि एमडीयू भी कुरुक्षेत्रा यूनिवर्सिटी की तरह आर्थिक बदहाली में पहुंच चुकी है।
बजट को लेकर कर्मचारी संगठन लामबंद
कर्मचारी संगठनों ने कहा कि विश्वविद्यालय को कर्ज की बजाय बजट देने की प्रक्रिया जारी रखी जाए। इसके बाद सरकार ने यू टर्न लिया और बजट व्यवस्था जारी रखने के लिए यूनिवर्सिटी को पत्र भेजा। सरकार ने पत्र तो भेज दिया। लेकिन बजट नहीं भेजा। जिसकी वजह से कर्मचारियों को एक जून को वेतन नहीं मिल सका। तय समय पर सैलरी न मिलने पर गैर शिक्षक कर्मचारी संघ ने आपात बैठक की और विश्वविद्यालय को अल्टीमेटम दिया कि अगर तीन जून तक वेतन उनके खातों में जमा नहीं हुआ तो 6 को गेट मीटिंग करके अगली कार्रवाई की जाएगी। कर्मचारी दूसरा कोई कदम उठाते, उससे पहले ही सरकार ने यूनिवर्सिटी द्वारा मांगें गए 95 करोड़ रुपये के बजट में से 23.75 करोड़ रुपये जारी कर दिए। इसी वजह से कर्मियों ने सोमवार को गेट मीटिंग नहीं की।