सोनीपत : कॉ-आपरेटिव बैंक में 2.95 करोड़ रुपये का गबन
धोखाधड़ी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में हुआ खुलासा, शाखा के तत्कालीन प्रबंधक समेत 18 के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज।;
हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
मुरथल थाना क्षेत्र के गांव स्थित कॉ-आपरेटिव बैंक की शाखा में धोखाधड़ी से बोगस दस्तावेज तैयार कर ऋण देने के नाम पर दो करोड़ 95 लाख 90 हजार रुपये का गबन करने का मामला सामने आया है। बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में मामले का खुलासा होने पर मुरथल शाखा के तत्कालीन प्रंबधक समेत 18 लोगों के खिलाफ अमानत में खयानत, गबन, धोखाधड़ी, रिकार्ड खुर्द-बुर्द करने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस संबंध में पुलिस ने जांच शुरू कर दी हैं।
कॉ-आपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक संजय हुड्डा ने एसपी सोनीपत को शिकायत दी कि बैंक की मुरथल शाखा में बड़ा गडगड़झाला हुआ है। उन्होंने बताया कि उन्होंने व गन्नौर के विकास अधिकारी ने 26 जुलाई, 2019 को शाखा मुरथल में एनपीए (फंसा हुआ) ऋण की वसूली के लिए दौरा कर निजी ऋण की फाइलों की जांच की तो काफी गड़बड़ी मिली थी। इसकी रिपोर्ट तैयार कर 29 जुलाई, 2019 को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को दी गई। इसी जांच के लिए चार बैंक कर्मियों की कमेटी बनाई गई। उन्हें मुरथल सहित शाखाओं के एनपीए हो चुके ऋण की जांच की जिम्मेदारी दी गई। कमेटी ने 2 दिसंबर, 2019 को अपनी रिपोर्ट दे दी थी।
जिस पर इस वर्ष 3 फरवरी को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक हुई। जिसमें गड़बड़ी को लेकर मुरथल शाखा के तत्कालीन प्रबंधक व वर्तमान में निलंबित कनिष्ट लेखाकर फरमाण शाखा मनोज कुमार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए महाप्रबंधक को नियुक्त किया गया। जिस पर महाप्रबंधक ने सेक्टर-15 सोनीपत फिलहाल वर्धमान सोसायटी सोनीपत निवासी मनोज कुमार के खिलाफ शिकायत दी। शिकायत में बताया गया कि वह मुरथल शाखा में फरवरी, 2010 से शाखा प्रबंधक थे। वहीं वर्ष 2015 में उन्हें एनएफएफ सेक्शन मुख्यालय में इंचार्ज का अतिरिक्त चार्ज दिया गया था। वह 13 अक्तूबर, 2015 से 21 अक्तूबर 2016 तक एनएफएफ सेक्शन इंचार्ज रहे।
जांच में सामने आया है कि उन्होंने मुरथल शाखा में प्रबंधक व एनएफएफ शाखा इंचार्ज रहते हुए स्वयं के पांच लाख सहित 51 लोगों को 2 करोड़ 52 लाख 90 हजार रुपये का व्यक्तिगत ऋण बोगस दस्तावेज के आधार पर दिया। ऋण की राशि बोगस बचत खाते में ट्रांसफर की गई। बाद में फर्जी हस्ताक्षर से राशि नकद तथा आरटीजीएस व चैक से सुमित, सतेंद्र, सुरेंद्र, मनोज, वीना कुमारी, विनोद कुमार, हंस मलिक, अनूप मैसर्ज, संदीप पौल्ट्री फार्म, अंगुरी देवी, प्रियंका, नीरु मलिक मैसर्ज हेयदान मोर्टस, धर्मवीर, दिनेश शर्मा आदि के खातों मे ट्रांसफर किए गए। इसकी वसूली नहीं होने पर भौतिक स्तर पर जांच हुई तो ऋण फाइल में मौजूद पते के अनुसार वह वहां पर नहीं रहते मिले। अधिकतर को सरकारी कर्मचारी दर्शाकर बोगस दस्तावेज तैयार कर ऋण दिया गया। ऋण में से 40 व्यक्तियों की तरफ 1 करोड़ 81 लाख से अधिक ऋण बकाया है। यह ब्याज सहित वसूला जाना है। पुलिस ने मामले में मनोज सहित 18 लोगों को नामजद कर मामले की जांच शुरू कर दी है।