5000 साल पहले भी आधुनिक तरीके से बसाए जाते थे शहर, राखीगढ़ी की खुदाई में निकली चौकाने वाली वस्तुएं
हड़प्पाकालीन राखीगढ़ी में इन दिनों खुदाई का कार्य जारी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली के मार्गदर्शन में चौथी बार इन टीलों पर खुदाई की जा रही है। टीले नंबर तीन पर हड़प्पन टाउन प्लानिंग की बड़ी साइट पाई गई है।;
नारनौंद ( हिसार )
हड़प्पाकालीन राखीगढ़ी में इन दिनों खुदाई का कार्य जारी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली के मार्गदर्शन में चौथी बार इन टीलों पर खुदाई की जा रही है। टीले नंबर तीन पर हड़प्पन टाउन प्लानिंग की बड़ी साइट पाई गई है। जिससे साबित होता है कि पांच हजार वर्ष पहले भी ऐसी तकनीक से शहर बसाए जाते थे। जो तकनीक आज हम बड़े शहरों को बसाने के लिए कर रहे हैं।
पहली बार एक साथ तीन टीलों पर खुदाई की गई है। टीला नम्बर तीन पर बड़ी पक्की दीवार भी मिली है और उसके नीचे कच्ची ईंटों की दीवार भी पाई गई है। दीवार के साथ में उस समय के मकान के अवशेष भी पाए गए हैं। दो महीने के अध्ययन के बाद अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि खुदाई के दौरान जो मकान निकले हैं। वह काफी प्लानिंग के हिसाब से बनाए गए हैं। जैसा कि आज हम शहरों के सेक्टरों में देखते हैं। उस समय भी लोगों ने ऐसे ही प्लानिंग करके यह मकान बनाए थे। सभी मकान एक जैसे ही है और उनके साथ में पानी की निकासी के लिए नालियां भी बनाई गई हैं। जो भी सड़क मिली है वह बिल्कुल सीधी हैं। वहीं सड़क के किनारों पर काफी बड़े पोट भी मिले हैं। कचरा डालने के लिए उस समय के लोग इसका प्रयोग करते थे। ताकि साफ-सफाई अच्छी तरह से रखी जा सके।
उस वक्त की टाउन प्लानिंग गजब की : संजय
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण दिल्ली के संयुक्त महानिदेशक डॉ. संजय मंजुल ने बताया कि हड़प्पा संस्कृति यह बयां करती है कि उन लोगों ने भी अपने जीवन में कितनी उन्नति की है। शुरूआत में कच्ची ईंटों के मकान मिले हैं। वही अर्ली हड़प्पन में पक्की ईंटों की दीवार भी पाई गई है। उनकी टाउन प्लानिंग बड़े ही गजब की है। उस समय भी इंजीनियर होंगे इसके अभी कोई सबूत तो नहीं मिले हैं। लेकिन जिस तरीके से यह शहर बसाया गया था। उससे साबित होता है कि इसको पूरी प्लानिंग करके ही बसाया गया होगा।
कंकालों के डीएनए रिपोर्ट के बाद इतिहास बदलेगा : अरविंद
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की नोट्स रीजनल डायरेक्टर डॉ. अरविंद मंजुल ने बताया कि अबकी बार खुदाई में काफी महत्वपूर्ण चीजें पाई गई हैं। जिन पर अध्ययन जारी है। टीले नंबर सात से दो कंकाल का डीएनए सैंपल लिया गया है। डीएनए सैम्पल की रिपोर्ट आने के बाद देश का इतिहास बदलने वाला है।
राखीगढ़ी टीले पर जानकारी देते भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संयुक्त महानिदेशक डॉ. संजय मंजुल व डायरेक्टर अजय यादव।