सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले हर छात्र की साल में दो बार होगी स्वास्थ्य जांच, सेहत पोर्टल पर जांच करनी होगी अपलोड
स्टूडेंट वेलबीइंग के लिए 'सेहत' नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम सभी सरकारी विद्यालयों के सभी कक्षाओं के बच्चों के लिए है। जिसके अंतर्गत सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण प्रतिवर्ष किया जाएगा।;
हरिभूमि न्यूज नारनौल। अगस्त माह में सीएम मनोहरलाल ने घोषणा की थी कि प्रतिवर्ष सभी छात्रों का दो बार स्वास्थ्य प्रशिक्षण किया जाएगा। इस पर शिक्षा विभाग ने प्लानिंग तैयार कर निर्देश जारी किए है। दो बार स्वास्थ्य प्रशिक्षण करने के पीछे मकसद होगा कि स्वास्थ्य संबंधित मेडिकल सुविधाएं तुरंत मिल सकेगी। यह तय किया गया है कि चिकित्सक की टीम एवं प्रत्येक स्कूल के दो हेल्थ एंड वेलनेस एम्बेस्डर्स अध्यापक प्रति वर्ष दो बार छात्रों की आंख, दांत, वजन, ऊंचाई व हीमोग्लोबिन की जांच कर उसका ब्यौरा स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निर्मित अवसर पोर्टल पर अपलोड करेंगे ताकि छात्रों को उनके जांचनुसार जो भी आवश्यक स्वास्थ्य संबंधी उपचार चाहिए, उसके लिए स्वयं दवाईयां उपलब्ध करवाई जा सके।
स्टूडेंट वेलबीइंग के लिए 'सेहत' नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम सभी सरकारी विद्यालयों के सभी कक्षाओं के बच्चों के लिए है। जिसके अंतर्गत सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण प्रतिवर्ष किया जाएगा। इस स्वास्थ्य परीक्षण के दो चरण है। पहले चरण में डॉक्टर्स की टीम प्रत्येक विद्यालय में दौरान करेगी। इसमें हीमोग्लोबिन, दांत व आंखों की जांच, बच्चों की लंबाई व वजन शामिल है। यह पहला चरण अप्रैल से अगस्त के बीच होगा। दूसरा चरण में जांच टीम में एएनएम एवं अध्यापक/वोकेशनल इंस्ट्रक्टर शामिल होंगे। यह अगस्त/सितंबर से दिसंबर/जनवरी में इन्हीं की दोबारा जांच होगी। बच्चों की चिकित्सीय जांच करने के बाद उनकी स्वास्थ्य संबंधी सूचना एक ऑनलाइन पोर्टल में फीडकर दी जाएगी। यह पोर्टल स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निर्मित किया गया है। पोर्टल में बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी निरीक्षण से मिली रिपोर्ट अनुसार स्वास्थ्य विभाग बच्चों का चिकित्सीय इलाज, दवा इत्यादि उपलब्ध करवाएंगे। सेहत कार्यक्रम को स्कूल स्तर पर लागू करने के लिए हेल्थ एवं वेलनेस एम्बेस्डर्स अध्यापकों के लिए एक मॉड्यूल भी जल्द ही स्कूलों में भेजा जाएगा।
छात्रों की जांच/स्क्रीनिंग
-प्रथम चरण में डॉक्टर्स की टीम सभी सरकारी स्कूलों के छात्रों का निरीक्षण स्कूलों में जाकर कर रही है। यह चरण लगभग तीन से चार माह से चल रहा है। मुखियाओं को निर्देश दिए है कि वे प्रत्येक कक्षा के इंचार्ज से सभी छात्रों के गृहकार्य डायरी में नोट अंकित करवाकर छात्र उपस्थिति शत प्रतिशत करवाएं।
-डॉक्टर्स जांच/स्क्रीनिंग उपकरणों के साथ निर्धारित तिथि को विद्यालय का दौरा करते है। स्कूल मुखिया अपने स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क कर जांच की तिथि का ब्यौरा ले सकते है।
-मुखिया विद्यालय की प्रबंध योजना की रूप रेखा स्क्रीनिंग दिवस हेतु तैयार करें। नामित हेल्थ एंव वेलनेस एम्बेस्डर्स अध्यापकों को भी जांच/स्क्रीनिंग प्रशिक्षण उसी दिन दिया जाए।
-दूसरी चरण की स्क्रीनिंग का आयोजन स्कूल में ड७ॉक्टर द्वारा जांच के तीन-चार मास के बाद शुरू कर लें। स्कूल में डाक्टर टीम द्वारा अप्रैल में की गई है, तब उस स्कूल के वेलनेस एम्बेसडर एवं एएनएम मिलकर तीन मास उपरांत पड़ने वाले शनिवार में स्कूल के छात्रों का फोलोअप जांच करेंगे। सभी छात्रों का ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड करेंगे। स्कूल मुखिया यह ध्यान रखे कि उनके स्कूल के स्क्रीनिंग के प्रथम चरण पूरा होने के तीन माह बाद अगले चरण की जांच स्कूल में वेलनेस अध्यापक से करवाई जाए। स्कूल मुखिया अपने पास के एएनएम के साथ मिलकर कक्षावार जांच का समय व तिथि निश्चित करें तथा फोलोअप जांच पूरी करना सुनिश्चित करें। एएनएम छात्रों की हीमोग्लोबिन जांच के साथ-साथ वेलनेस एम्बेसडर अध्यापक को उसकी जांच में मार्गदर्शन भी देंगे।
सेहत पोर्टल पर जांच रिपोर्ट को अपलोड करना जरूरी : सभी छात्रों की जांच रिपोर्ट कार्ड में अंकित ब्यौरा को हेल्थ एंड वेलनेस एम्बेसडर अध्यापक द्वारा दोनों चरणों का पोर्टल पर अपलोड किया जाना अनिवार्य है। इस कार्य को निर्विघन पूरा करें। इसके लिए पोर्टल पर क्रियान्वयन मॉड्यूल भी उपलब्ध किया गया है।
अध्यापक प्रशिक्षण : प्रत्येक विद्यालय से गत दो वर्षों में दो अध्यापकों को वेलनेस एम्बेसडर नामित कर शिक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार सुरक्षा मंत्रालयों द्वारा सामूहिक रूप से विद्यालय स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें अलग-अलग विषयों पर हेल्िा एंड वेलनेस एम्बेसडर का प्रशिक्षण किया था।