हर गांव की होगी अपनी वेबसाइट, मनरेगा कार्य से लेकर खर्चा का ब्यौरा भी होगा आंखों के सामने
मुख्यमंत्री (Chief Minister) ने निर्देश दिए कि जनसाधारण की जानकारी के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत की वेबसाइट (Website) पर अनुज्ञेय मनरेगा कार्यों की सूची अपलोड की जाए और विकास के लिए किए गए सभी महत्वपूर्ण व्यय भी ग्राम पंचायत की वेबसाइट पर दिखाए जाएं।;
चंडीगढ़। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पहली अप्रैल, 2020 से 309 रुपये प्रतिदिन की उच्चतम मजदूरी (wage) दर देने वाला देश का पहला राज्य बनने के बाद हरियाणा ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस योजना के क्रियान्वयन में ग्रामीण विकास और अन्य सम्बन्धित विभागों को शामिल करके इस योजना के आकार को तीन गुणा कर दिया है।
चालू वित्तीय वर्ष के दौरान एक करोड़ मानव दिवस सृजित (Created) करने के लक्ष्य के विरूद्घ राज्य नरेगा के तहत 45 लाख मावन दिवस सृजित कर चुका है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों से सम्बन्धित विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए सोमवार को हुई राज्य स्तरीय दिशा कमेटी की बैठक में यह जानकारी दी गई। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बैठक की सह-अध्यक्षता की।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जनसाधारण की जानकारी के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत की वेबसाइट पर अनुज्ञेय मनरेगा कार्यों की सूची अपलोड की जाए और विकास के लिए किए गए सभी महत्वपूर्ण व्यय भी ग्राम पंचायत की वेबसाइट पर दिखाए जाएं। स्वच्छता और ठोस कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने के लक्ष्य वाली गोबर-धन परियोजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिला हिसार के गांव नयागांव की गोबर-धन परियोजना को राज्य के सभी जिलों में चलाया जाए।
बैठक में बताया गया कि राज्य तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा गोबर-धन योजना के तहत 7 परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं। जहां जिला हिसार के गांव नया गांव में गोबर-धन परियोजना कानिर्माण के उपरांत संचालन शुरू हो चुका है, वहीं जिला भिवानी, चरखी दादरी, सिरसा, फरीदाबाद और पानीपत में ऐसी परियोजनाओं का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू होने की सम्भावना है।
मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए कि छात्राओं को उनके स्नातक होने के बाद उनकी उपाधि के साथ ही उनके पासपोर्ट भी दिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह भी निर्णय किया गया है कि राज्य भर के विभिन्न कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को ड्राइविंग लाइसेंस उनके शैक्षणिक संस्थानों में ही उपलब्ध कराए जाएंगे।