चिट फंड कंपनियों के नाम पर करोड़ों के फर्जीवाड़े का खुलासा, देश के कई राज्यों के साथ विदेशों से भी जुड़े तार
पुलिस ने फर्जीवाड़े में गुजरात के सुरेंद्रा नगर के चाचका वासी सचिन गुड़ालिया, अहमदाबाद के गजरात सोसाइटी के पिंटू राजपूत तथा जयपुर के खेजडो का रास्ता निवासी आकाश शर्मा को गिरफ्तार किया है। पुलिस की छापेमारी और तीन आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद इस गिरोह से जुड़े अन्य सदस्य या तो भूमिगत हो गए हैं या फिर विदेश भाग गए हैं।;
हिसार : जिला पुलिस ने चिट फंड कंपनियों के नाम पर बड़े स्तर पर किए जा रहे फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। फर्जीवाड़े के तारे देश के अलग-अलग राज्यों के साथ दुबई, चीन समेत अन्य देशों से जुड़े हैं। पुलिस ने गैंग के तीन सदस्यों को पकड़ा है, जिन्होंने पिछले कुछ महीनों को लगभग 300 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन किया है। यह खुलासा पटेल नगर निवासी चंद्रशेखर के साथ हुई ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले की जांच में हुआ है। पुलिस ने फर्जीवाड़े में गुजरात के सुरेंद्रा नगर के चाचका वासी सचिन गुड़ालिया, अहमदाबाद के गजरात सोसाइटी के पिंटू राजपूत तथा जयपुर के खेजडो का रास्ता निवासी आकाश शर्मा को गिरफ्तार किया है। पुलिस की छापेमारी और तीन आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद इस गिरोह से जुड़े अन्य सदस्य या तो भूमिगत हो गए हैं या फिर विदेश भाग गए हैं।
पुलिस अधीक्षक लोकेंद्र सिंह ने वीरवार को अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि पुलिस ने चंद्रशेखर की शिकायत पर 17 मई को विनमनी एप के जरिए लाखों रुपये की धोखाधड़ी करने का केस दर्ज किया था। पुलिस केस की तह में गई तो करोड़ों की फंडिग के खुलासे हुए। पुलिस ने सचिन गुड़ालिया, पिंटू राजपूत तथा आकाश शर्मा को काबू किया।
जयपुर में अलग-अलग बैंकों में आकाश के 13 खाते
एसपी ने बताया कि शिकायतकर्ता चंद्रशेखर द्वारा विन मनी ऐप में लगाए गए पैसे एक महाराष्ट्र स्थित बैंक अकाउंट में गए, फिर वहां से वह पैसे उड़ीसा स्थित बैंक अकाउंट में गए और अंत में धनराशि को कोलकाता स्थित बैंक में एक संदिग्ध व्यक्ति के खाते में गई। वह उसे 5 -5 लाख रुपये की बड़ी-बड़ी मात्रा में धनराशि जयपुर निवासी आकाश शर्मा के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करता है और आकाश शर्मा उस धनराशि के विनएंस ऐप के माध्यम से गैरकानूनी तरीके से यूएसडीटी कॉइन खरीद कर उस संदिग्ध के खाते में वापस डाल देता। आकाश शर्मा के जयपुर में अलग-अलग बैंकों में 13 बैंक अकाउंट है।
विनएंस ऐप से करोड़ों किए इधर से उधर
आरोपित आकाश ने विनएंस ऐप के माध्यम से करोड़ों रुपये की ट्रांजेक्शन इधर-उधर की है। आकाश शर्मा ने हाल में 10 लाख रुपये के यूएसडीटी कॉइन उस संदिग्ध के अकाउंट में डाले थे जिसके एवज में उसे 2500 रुपये का कमिशन मिला था। पुलिस रिमांड के दौरान पुलिस टीम ने आकाश शर्मा द्वारा किए गए करोड़ों रुपये के घपले के एवज में कमीशन के तौर पर मिले 302500 रुपये कैश बरामद किया है। आकाश शर्मा यूएसडीटी को आॅनलाइन खरीदता और बेचता है परंतु कुछ संदिग्ध लोग यूएसडीटी को कैश में खरीद, उसे डिजिटल करेंसी में बदल देते है।
बड़ी अमाउंट के खाते विदेशों से होते संचालित
पुलिस जांच में सामने आया है कि धोखाघड़ी में प्रयोग होने वाले बैंक अकाउंट अक्सर किसी साधारण व्यक्ति को थोड़े पैसे का लालच देकर खुलवाए गए है और उनके एटीएम, चेक बुक और इन्टरनेट बैंकिंग संबंधित दस्तावेज ले लेते है और बड़ी अमाउंट के बैंक खाते फर्म के नाम होते है जिन्हें कुछ संदिग्ध दुबई व अलग-अलग देशों में बैठ संचालित करते है।
300 करोड़ से अधिक का लेन-देन
एसपी लोकेंद्र सिंह ने बताया कि जनवरी 2022 से जून 2022 के बीच सचिन गुड़ालिया के बैंक अकाउंट से लगभग 300 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ। ये पैसे अलग-अलग राज्यों के बैंक खातों से घूम-घूम कर इसके खाते में आए है। सचिन गुड़ालिया एक साधारण व्यक्ति है। इसके बैंक का चेक किसी अन्य तीसरे व्यक्ति के पास है जो वह चेक पिंटू राजपूत को देता और पिंटू राजपूत उस चेक से कैश निकाल कर उस कैश को तीसरे व्यक्ति के कहे अनुसार कहीं भी रख देता और वहां से कोई ओर व्यक्ति कैश को उठा ले जाता।
1 करोड़ 38 लाख रुपये फ्रीज
एसपी ने बताया कि आरोपित आकाश शर्मा डिजिटल करेंसी में डायरेक्ट सहपाठी से सहपाठी को ट्रांसफर कर फ्रॉड की गई धनराशि को फ्लो करवाता और खुद कमीशन के तौर पर खुद पैसे कमाता। पुलिस टीम ने आरोपितों से अब तक 352500 रुपये बरामद किए है और साथ ही अकाउंट में 1 करोड़ 38 लाख रुपये फ्रीज करवाए है।
एसपी ने नागरिकों को किया सचेत
पुलिस अधीक्षक लोकेंद्र सिंह ने बताया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां इन दिनों उच्च स्तर पर हैं। ऐसी कंपनियां अपने निवेशक को उच्च ब्याज दर और उधार योजनाओं का वादा करके आकर्षक योजनाओं की पेशकश करती है। जिन्हें आम तौर पर चिट फंड योजनाएं कहा जाता है। ये आज बचत और उधार लेने की तकनीक का सबसे आसान विकल्प बन गई हैं। ऐसे चिट फंड के नाम पर निवेशक शिकार हो रहे हैं और उच्च जोखिम उठा रहे हैं। लोग एक पंजीकृत चिट फंड कंपनी जो कानूनी और सुरक्षित हैं और अपंजीकृत असंगठित चिट फंड कंपनी के बीच अंतर की पहचान नहीं कर पाते हैं। विन ऐप मनी वाला मामला, किसी मान्यता प्राप्त चिटफंड कंपनी/योजना के कार्य सिद्धांत, पंजीकृत और अपंजीकृत चिटफंड कंपनी के बीच अंतर को दर्शार्न का प्रयास करता है। जिससे चिटफंड योजना चुनने का निर्णय लेने से पहले लोगों में जागरूकता बढ़ती है।