किसान आंदोलन का सब्जी की फसलों पर पड़ने लगा प्रभाव, कोई खरीदार नहीं पहुंच रहा

किसानों का कहना है कि यदि किसान आंदोलन लंबा चलता रहा तो मजबूरी में किसानों को अपने खेतों में खड़ी गोभी व मुली की फसल की जुताई करने पर मजबूर होना पड़ेगा। क्योंकि किसान आंदोलन के चलते अब जो मुली व गोभी के भाव चल रहे हैं वह लागत से काफी कम हैं।;

Update: 2020-12-17 07:51 GMT

हरिभूमि न्यूज : यमुनानगर

कृषि क्षेत्र के लिए बनाए गए कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन का प्रभाव सब्जी की फसलों पर पड़ने लगा है। आलम यह है कि किसान आंदोलन के चलते दिल्ली समेत अन्य बड़े शहरों में सब्जी मंडियों में सब्जी नहीं बिकने पर गोभी व मूली की फसल खेतों में खड़ी सड़ने लगी हैं। इन सब्जियों का कोई खरीदार नहीं पहुंच रहा है, वहीं, गोभी व मुली की कीमतों में भी भारी मंदी आ गई है और इन्हें खरीदने के लिए कोई तैयार नहीं है।

सब्जी उत्पादक महाबीर सिंह, राजपाल, मोहन लाल, संदीप और विकास आदि ने बताया कि इस बार उनके खेतों में गोभी व मूली की फसल की अच्छी पैदावार हुई है। उन्हें उम्मीद थी कि गोभी व मूली की फसल से उन्हें अच्छा लाभ होगा। मगर किसानों का आंदोलन चल रहा है। जिसके चलते दिल्ली समेत अन्य शहरों की सब्जी मंडियों में सब्जी बेचने कोई नहीं जा रहा है। इसी के चलते जो व्यापारी पहले खेतों से ही गोभी व मुली की फसल को अच्छे दाम पर खरीदकर ले जाते थे, वह अब खेतों में खरीदने नहीं पहुंच रहे हैं। स्थानीय कोई व्यापारी यदि खेत में पहुंचता भी है तो वह गोभी व मूली को एक से डेढ़ रुपये किलो खरीदने का प्रयास करता है। जिसकी वजह से सब्जी की फसलें खेतों में खड़ी बर्बाद होने लगी हैं।

किसानों का कहना है कि यदि किसान आंदोलन लंबा चलता रहा तो मजबूरी में किसानों को अपने खेतों में खड़ी गोभी व मूली की फसल की जुताई करने पर मजबूर होना पड़ेगा। क्योंकि किसान आंदोलन के चलते अब जो मूली व गोभी के भाव चल रहे हैं वह लागत से काफी कम हैं। किसानों का कहना है कि दोनों फसलों से उन्हें प्रति एकड़ 90 हजार से एक लाख रुपये तक का नुकसान होने की संभावना बन गई है। उन्होंने सरकार से किसान आंदोलन के चलते बर्बाद हो रही सब्जी की फसलों की गिरदावरी करवाकर उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की।

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