Sugarcane Farming : गन्ने के रस की मिठास से किसानों का होने लगा मोह भंग
छोटे किसानों ने गन्ना क्रय केंद्र बंद होने से गन्ने की फसलों की पैदावार करना छोड़ दिया। मगर अब बड़े किसान भी गन्ने की फसल को छोड़कर अन्य फसलों को अपनाने पर जो दे रहे हैं।;
भगवान सिंह राणा. यमुनानगर। घटती जोत, लेबर की कमी, लागत के अनुरूप दाम ना मिलना और सरकार की उदासीनता के चलते किसानों का अब गन्ने की फसल से मोह भंग होने लगा है। किसान गन्ने की पैदावार छोड़कर कम लेबर वाली फसलों की पैदावार करने पर जोर दे रहे हैं। यदि समय रहते सरकार द्वारा गन्ने को प्रोत्साहन देने के लिए कोई प्रोत्साहन नीति नहीं बनाई गई तो आने वाले कुछ वर्षों में खेतों से गन्ने की फसल गायब हो जाएगी और लोग गुड़ व चीनी से तरस जाएंगे।
दशकों से यमुनानगर जिले में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर होती रही है। किसान गन्ने की फसल को नगदी के रुप में मानते रहे हैं। करीब दस वर्ष पहले तक जिले के प्रत्येक गांव में एक लाख से अधिक क्विंटल गन्ने की पैदावार होती थी। हर दो तीन गांव के लिए गन्ना क्रय केंद्र बनाए हुए थे। मगर पिछले कुछ वर्षों में अधिकांश गांव में बने गन्ना क्रय केंद्रों को बंद कर दिया गया और उन से जुड़े किसानों का गन्ना सीधा शुगर मिल गेट पर पहुंचाने का क्रम शुरू किया गया। जिससे छोटे किसानों ने गन्ना क्रय केंद्र बंद होने से गन्ने की फसलों की पैदावार करना छोड़ दिया। मगर अब बड़े किसान भी गन्ने की फसल को छोड़कर अन्य फसलों को अपनाने पर जो दे रहे हैं।
गन्ना की खेती से मोह भंग होने के ये बन रहे कारण
गन्ना किसान राजबीर सिंह, ज्ञान सिंह, सुरेंद्र कुमार व प्रदीप कुमार का कहना है कि गन्ने की फसल के बुआई से लेकर छिलाई तक काफी संख्या में मजदूरों की जरूरत होती है। मगर अब गन्ने की फसल की छिलाई, गुड़ाई, बंधाई समेत अन्य कायोंर् के लिए मजदूर ढूंडे नहीं मिल रहे हैं। वहीं, परिवारों के बंटवारे होने से जोत भी घटने लगी है। लोग गन्ना की खेती छोड़कर आलू, प्याज, गोभी समेत अन्य तीन-चार महीने में तैयार होने फसलों को करने पर जोर दे रहे हैं इसके अलावा आज गन्ने की खेती पर आने वाली लागत के अनुरूप दाम नहीं मिल रहे हैं। जिससे किसान आर्थिक बोझ के तले दबने लगा है।
प्रोत्साहन योजना जरूरी
भारतीय किसान संघ के प्रांतीय महासचिव रामबीर सिंह चौहान का कहना है कि गन्ने की फसल को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार को किसानों के लिए कोई लाभकारी प्रोत्साहन योजना शुरु करनी चाहिए। वहीं, गांवों में पहले की तरह गन्ना क्रय केंद्र शुरू करने चाहिएं। उनका कहना है कि यदि समय रहते सरकार और शुगर मिल प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन भी दूर नहीं जब खेतों से गन्ने की फसल पूरी तरह गायब हो जाएगी। उधर, संबंधित विभाग के एक अधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि गन्ने के खेती के लिए किसानों के लिए सरकार से कोई अनुदान या सहायता का प्रावधान नहीं है।