Farmers Protest : टीकरी बॉर्डर एक और आंदोलनकारी निहंग की मौत
मृतक की पहचान करीब 65 वर्षीय हरचरण सिंह के रूप में हुई है। मानसा जिले के गांव हाकमवाला बोहा के निवासी हरचरण सिंह निहंग सिख थे।;
हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में किसानों की जान जाने का सिलसिला भी नहीं थम रहा। लगातार दूसरे दिन बुधवार को भी यहां टीकरी बॉर्डर पड़ाव में शामिल एक बुजुर्ग (निहंग सिख) की मौत हो गई। मौत की वजह स्पष्ट नहीं है। हृदयाघात की आशंका जताई जा रही है। पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है।
मृतक की पहचान करीब 65 वर्षीय हरचरण सिंह के रूप में हुई है। मानसा जिले के गांव हाकमवाला बोहा के निवासी हरचरण सिंह निहंग सिख थे। शुरुआत से इस आंदोलन से जुड़े थे। वह यहां रोहतक-दिल्ली रोड पर मेट्रो पिलर 783 के नजदीक ठहरे थे। जानकारी के अनुसार, गत एक अक्टूबर को हरचरण सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। उन्हें गंभीर चोट आई थी। पीजीआई रोहतक में कई दिन इनका उपचार चला। अभी लगभग दो सप्ताह पहले ही ऑप्र्रेशन के बाद उन्हें पीजीआई से छुट्टी मिली। घर पर जाने के बजाय हरचरण ने आंदोलन स्थल पर ही जाने की इच्छा जाहिर की। उन्हें यहां आंदोलन स्थल पर लाया गया। बुधवार को उन्हें जांच के लिए अस्पताल ले जाया जाना था। सुबह उन्हाेंने भोजन किया और विश्राम करने लगे। इसी दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई।
चिकित्सकों ने जांच की तो उनकी सांस थमी हुई थी। इसके बाद उनके शव को नागरिक अस्पताल में लाया गया। सूचना पाकर एमआईई चौकी से पुलिस अस्पताल में पहुंची और आवश्यक कार्रवाई शुरू की। पोस्टमार्टम के बाद मौत के कारणों का खुलासा होने की संभावना है। अस्पताल में मौजूद मक्खन सिंह ने कहा कि उनके पिता की आंदोलन में आस्था थी। इसलिए पहले दिन से इस आंदोलन से जुड़े हुए थे। हालत गंभीर होने के बावजूद छुट्टी मिलते ही घर जाने के बजाय आंदोलन आ गए। वे आंदोलन को जीत मिलने के बाद ही घर जाना चाहते थे, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। उधर, आंदोलनकारी किसानों ने कहा कि सरकार की जिद की वजह से लगातार किसानों की जान जा रही है। इन शहादतों को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। कानूनों को रद्द कराने के बाद ही अपने घर लौटेंगे।