प्राकृतिक खेती प्रोजेक्ट के लिए धरती-पुत्र चयनित : कृषि विभाग तैयार करेगा ट्रेनर, ब्लॉक स्तर पर लगेगी किसानों की गोष्ठी
योजना का लाभ लेने के लिए किसानों ने पोर्टल पर प्राकृतिक खेती को लेकर अपना पंजीकरण करवाया था। जिनका विभाग की तरफ से चयन किया गया है। विभाग की तरफ से तीन साल पहले उक्त प्रोजैक्ट को तैयार किया था। हालांकि कोविड-19 संक्रमण की वजह से योजना को कृषि विभाग धरातल पर नहीं उतार पाया था।;
सोनीपत जिले में रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती की तरफ कदम बढ़ाने वाले 58 धरती-पुत्रों ने खुद ही अपनी स्वीकृति कृषि विभाग को दी है। कृषि क्षेत्र में सरकार का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट प्राकृतिक खेती प्रोजेक्ट आखिरकार इस बार रबी सीजन से धरातल पर उतरता नजर आएगा। विभाग द्वारा रबी सीजन के लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। उक्त योजना का लाभ लेने के लिए किसानों ने पोर्टल पर प्राकृतिक खेती को लेकर अपना पंजीकरण करवाया था। जिनका विभाग की तरफ से चयन किया गया है। विभाग की तरफ से तीन साल पहले उक्त प्रोजैक्ट को तैयार किया था। हालांकि कोविड-19 संक्रमण की वजह से योजना को कृषि विभाग धरातल पर नहीं उतार पाया था।
बता दें कि खेत में फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए बड़ी स्तर पर रासायनों को इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से किसानों की खेती में लागत मूल्य में वृद्धि होती है। फसलों मं रासायनों का इस्तेमाल करने से फसल की गुणवत्ता पर असर देखने को मिलता है। जोकि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बेहह हानिकारक साबित होता है। साथ ही मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की सेहत भी रासायनिक खेती से बिगड़ती जा रही है। ऐसे में फसल उत्पादन लागत शून्य करने और किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए करीब तीन साल पहले प्राकृतिक खेती प्रोजैक्ट की रुपरेखा तैयार की गई थी। प्राकृतिक खेती के तहत फसल का उत्पादन पूरी तरह से प्राकृतिक साधनों के इस्तेमाल से किया जाता है। इसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक दवाइयों आदि का इस्तेमाल न करके देशी गाय के गोबर और मूत्र, नीम की पत्तियां, गुड़ आदि का इस्तेमाल करके खेती की जाती है। इससे फसल उत्पादन की लागत नाममात्र होती है और फसलों की गुणवत्ता बेहतर होती है। प्राकृतिक खेती प्रोजैक्ट कोरोना संक्रमण की वजह से पैदा हुआ हालातों के कारण अब तक अधर में लटका हुआ था, लेकिन अब इसका एक्शन प्लान तैयार हो गया है और रबी सीजन से इसे लागू किया जाएगा।
जिले में रबी सीजन से शुरू होने वाले प्राकृतिक खेती प्रोजैक्ट के तहत जिन किसानों का चयन किया गया है। उन किसानों के खेत की मिट्टी का कृषि विभाग कार्बन टेस्ट करवाएंगा। इसके लिए टीमों का गठन किया गया है और सप्ताह भर के अंदर सैंपल लेकर उन्हें लैब में भेजा जाएगा, ताकि समय रहते रिपोर्ट आ सके और किसान प्राकृतिक खेती की शुरूआत कर सके। मिट्टी की जांच के साथ-साथ किसान को प्राकृतिक खेती को लेकर सभी प्रकार की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। प्रोत्साहित करने के लिए प्राकृतिक खेती में इस्तेमाल होने वाले ड्रम सहित कई अन्य वस्तुओं को भी किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा, ताकि किसान प्राकृतिक तौर पर खाद, दवाई आदि बना सके। सरकार प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को देशी गाय खरीदने पर भी सब्सिडी मुहैया कराएगी। कृषि अधिकारियों की माने तो एक देशी गाय से 10 से अधिक एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती की जा सकती है।
प्राकृतिक खेती का विस्तार करने के लिए कृषि विभाग द्वारा जो एक्शन प्लान जारी किया गया है, उसके अंतर्गत जिले में बड़ी संख्या में मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे। मास्टर ट्रेनर को कुरुक्षेत्र के गुरुकुल में प्राकृतिक खेती के गुर सिखाएं जाएगे, ताकि मास्टर ट्रेनर किसानों को बेहतर ढंग से प्राकृतिक खेती के तरीके समझा सके। मास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग कृषि विभाग के एटीएम व बीटीएम स्तर के कर्मचारियों को दी जाएगी। इसके अतिरिक्त ब्लाक स्तर पर किसान गोष्ठी भी आयोजित होगी, ताकि अधिक से अधिक संख्या में किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा सके। ट्रेनिंग प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए प्रदेश में 2 करोड़ से अधिक खर्च किए जाएंगे।
किसानों को प्राकृतिक खेती की तरफ लेकर जाने के लिए विभाग की तरफ से हर संभव प्रयास किए जा रहे है। जिले से 58 किसानों को चयनित किया गया है। जिन्होंने खुद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है। चयनित किसानों की लिस्ट उच्च अधिकारियों को भेजी गई है। उक्त किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच की जाएगी तथा उन्हें प्राकृतिक खेती करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग लेने वाले किसानों में महिला किसानों को भी शामिल किया जाएगा। प्राकृतिक खेती से फसलों की गुणवत्ता में सुधार होगा तथा किसान की फसल उत्पादन में लागत भी नाममात्र की आएगी। - अनिल सहरावत, जिला कृषि अधिकारी।